ग्वालियर. पौधरोपण में गड़बड़ करने वालों से वसूली तक नहीं, वाटरशेड में भ्रष्टाचार की जांच भी नहीं

जिले की पंचायती व्यवस्था…

ग्रामीण क्षेत्र में विकास के लिए बीते 2009 से 2019 तक फिक्स बजट के रूप में हर वर्ष जिले में 75 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। 2014-15 के बाद से विकास के लिए आने वाला धन…

ग्वालियर. ग्रामीण क्षेत्र में विकास के लिए बीते 2009 से 2019 तक फिक्स बजट के रूप में हर वर्ष जिले में 75 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। 2014-15 के बाद से विकास के लिए आने वाला धन सीधे पंचायत के खाते में जा रहा है। इससे पहले तक जिला पंचायत और जनपद से स्वीकृत होकर राशि पंचायत के खाते में जाती थी। गांव के विकास के लिए आने वाली सरकारी राशि में अभी तक करोड़ों रुपए का गोलमाल हो चुका है। सबसे ज्यादा भृष्टाचार वाटरशैड,मनरेगा के माध्यम से बने खेतलालाब, मेढ़ बंधान, मिट्टी मुरम के काम, शौचालय निर्माण, नाली निर्माण और पौधारोपण जैसी योजनाओं में हुआ है। शासकीय राशि को हड़पने के मामले में 171 पूर्व सरपंचों को शासकीय धन जमा न होने तक चुनाव के लिए अयोग्य ठहराकर नोटिस दिए गए हैं। लेकिन इन पूर्व सरपंचों में से अधिकतर ने सरकारी राशि वापस नहीं की। इन पूर्व सरपंचों पर 5 करोड़ 98 लाख रुपए की राशि बकाया है। सबसे ज्यादा गडबड़ी वाली पंचायतों में भितरवार की 45, डबरा और मुरार की 43-43 और घाटीगांव की 37 पंचायतें शामिल हैं। इन पंचायतों में वर्ष 2017 से 2021 के बीच सबसे ज्यादा शासकीय धन का दुरुपयोग हुआ है। जबकि वाटरशैड जैसी महत्वाकांक्षी योजना में लगभग 18 करोड़ रुपए का गोलमाल होने का मामला जांच में है, लेकिन यह जांच अभी तक पूरी नहीं हुई और फर्जीवाड़ा करने वाले मौज में हैं।
दरअसल, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले पूर्व सरपंचों को पंचायतराज अधिनियम की धारा-40 और धारा-92 के अंतर्गत पद से हटाने के नोटिस दिए गए थे। 33 सरपंचों को जेल भेजने के आदेश भी जारी हुए थे, इनमें से सात जेल गए और बाकी ने करीब 30 लाख रुपए सरकारी खजाने में जमा कराए हैं। मिलीभगत से आर्थिक अनियमितताओं को अंजाम देने वाले अधिकारियों ने पूर्व सरपंचों द्वारा बीते सात वर्षों में की गईं आर्थिक अनियमितताओं के जो मामले सामने आए उन्हीं का डाटा जिला पंचायत सीईओ तक पहुंचाया। जिन पूर्व सरपंचों ने वर्ष 2009 से 2017 के बीच शासकीय धन हड़पा था, उनसे वसूली का जिक्र तक रिपोर्ट में नहीं किया गया। जिन्होंने पौधारोपण,जल संरक्षण, सीसी सड़क के नाम पर सरकारी खजाने को करोड़ों की चपत लगाई उन्हें अघोषित अभयदान दिया गया है। जबकि सबसे ज्यादा धन का दुरुपयोग पौधारोपण और वाटरशैड में ही हुआ है। नगर निगम सीमा से लगीं पंचायतों में 3 हजार शौचालय बनाए बगैर राशि निकालने की जांच प्रमाणित हुई थी, लेकिन बाद में क्रॉस जांच करने वाले पंचायत समन्वय अधिकारी ने पूरे मामले को खुर्द बुर्द कर दिया। जांच को दबाने वाले पीसीओ को पदोन्नत कर पंचायत इंस्पेक्टर के पद पर टीकमगढ़ जिले में भेज दिया गया। हाल ही में पंचायत चुनाव को लेकर आचार संहिता के दौरान फिर से डिफॉल्टर सरपंचों की कार्रवाई के निर्देश दिए लेकिन अनेक फाइलें दबाए बैठे अधिकारियों ने पुरानी फाइलों को जिला पंचायत सीईओ आशीष तिवारी के सामने आने ही नहीं दिया है।

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जिले की पंचायती व्यवस्था… पौधरोपण में गड़बड़ करने वालों से वसूली तक नहीं, वाटरशेड में भ्रष्टाचार की जांच भी नहीं
वर्ष 2017 से 2020 तक की आर्थिक अनियमितताएं
मुरार के 43 पूर्व सरपंच और सचिवों को 1 करोड़ 5 लाख 94 हजार 005 रुपए की वसूली के नोटिस दिए गए थे।
-घाटीगांव के 37 पूर्व सरपंच और सचिवों को 74 लाख 5 हजार 410 रुपए की वसूली के नोटिस दिए गए थे।
-डबरा के 43 पूर्व सरपंच और सचिवों को 1 करोड़ 41 लाख 69 लाख 891 रुपए की वसूली के नोटिस दिए गए थे।
-भितरवार के 45 पूर्व और सचिवों से 2 करोड़ 22 लाख 28 हजार 697 रुपए की वसूली के नोटिस दिए गए थे।
इनका कहना है
जिन पूर्व सरपंचों पर सरकारी धन बकाया है, उनको निरर्हित घोषित किया गया है, वसूली की प्रक्रिया जारी है। 33 पूर्व सरपंचों को जेल भेजने के आदेश दिए गए थे, इनमें से 28 ने राशि जमा करा दी थी।
आशीष तिवारी, सीईओ-जिला पंचायत

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