सुना आपने! बेटी के egg बेचकर मां कमा रही थी पैसा; अब जानिए कितना खतरनाक है ऐसा egg डोनेशन

हो सकता है कि आपने यह खबर पढ़ी हो, जिन्होंने नहीं पढ़ी, उनके लिए हम तमिलनाडु के सेलम डिस्ट्रिक्ट की इस खबर को ब्रीफ करते हैं-

एक नाबालिग की मां अपने दोस्त से उसका रेप करवाती थी। यही नहीं वह अपनी बेटी के एग को भी हॉस्पिटल में बेच देती थी। इस एग डोनेशन में जो पैसे मिलते थे, वह मां और उसका दोस्त आपस में बांट लिया करते थे। ऐसा कई सालों से चल रहा था। फिलहाल मां और उसका दोस्त जेल में हैं। पुलिस अब डॉक्टरों और दलालों की तलाश कर रही है।

रेप के लिए तो कानून में सजा तय है। लेकिन इस तरह की घटनाएं महिलाओं के एग को लेकर कई तरह के सवाल छोड़ जाती हैं। जरूरत की खबर में महिला के एग से जुड़े सारे सवालों का जवाब दे रही हैं एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज की गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. प्रीति त्रिवेदी और IVF एक्सपर्ट डॉ. रोमिका कपूर

सवाल: एग डोनेशन क्या होता है?

जवाब: इस प्रक्रिया में महिला अपना एग हॉस्पिटल या IVF सेंटर में डोनेट कर सकती है। इसकी मदद से वह महिलाएं मां बन पाती हैं, जिन्हें गर्भधारण में किसी तरह की समस्या होती है।

इसे ऐसे समझ सकते हैं…

  • यह एक असिस्टेड रिप्रोडक्शन प्रोसेस है।
  • इसमें एक फर्टाइल महिला अपने एग्स डोनेट करती है।
  • इससे इन्फर्टाइल महिला को मां बनाने में मदद मिलती है।
  • एग को लैब में स्पर्म के साथ फर्टिलाइज किया जाता है।
  • उसके बाद उसे मां के यूट्रस में इम्प्लांट किया जाता है।
  • जिससे मां के यूट्रस में भ्रूण बनने की प्रोसेस शुरू होती है।

सवाल: क्या इस प्रक्रिया से जान भी जा सकती है?

जवाब: एग डोनेशन से महिलाओं के जान जाने का खतरा रहता है। एग डोनेशन के प्रोसेस में एग डोनेट करने वाली महिला को एक हार्मोनल ट्रीटमेंट से गुजरना पड़ता है। इस वजह से महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए एग डोनेशन को लेकर कानून बनाए गए हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक रिपोर्ट के मुताबिक एग डोनेशन में करीब 8% प्रतिशत महिलाओं की मौत हो जाती है। ऐसे में इस प्रोसेस को सावधानीपूर्वक एक्सपर्ट डॉक्टर की देखरेख में ही किया जाना चाहिए। ऐसी महिलाएं जो जरूरत से ज्यादा बार एग्स डोनेट करती हैं, उनके लिए ये खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

एग डोनेशन के साइड इफेक्ट्स क्या हो सकते हैं?

एग लेने वाली महिला को होता है खतरा

  • गर्भपात
  • प्रीमैच्योर डिलीवरी
  • HIV
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • डायबिटीज
  • जुड़वां बच्चे होने की संभावना

एग डोनर को भी है खतरा

  • वजन बढ़ना
  • मूड स्विंग होना
  • ब्लीडिंग
  • भविष्य में गर्भधारण में परेशानी

सवाल: क्या एग डोनेशन कभी भी कर सकते हैं?

जवाब: दरअसल किसी भी महिला की ओवरी से एक महीने में एक ही एग रिलीज होता है। रिलीज होने वाले एग की संख्या बढ़ाने के लिए महिला को हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं। इसके बाद इंजेक्शन के जरिए ही शरीर से एग निकाला जाता है और उसे फ्रीज करके रखा जाता है। एग डोनेशन या फ्रीजिंग के बाद IVF के जरिए कंसीव किया जा सकता है।

सवाल: किन स्थिति में एग डोनर की मदद ली जाती है?

जवाब:

  • 35 साल की उम्र के बाद, ज्यादातर महिलाएं सफल गर्भावस्था के लिए स्वस्थ अंडे प्रोडूस नहीं कर पाती हैं। यह डोनर एग के उपयोग की पहली वजह हो सकती है।
  • यदि कोई महिला 30 से 35 साल की उम्र में ही मेनोपॉज (पीरियड रुक गए हों) और उसके बाद उसे संतान की चाह हो तो डोनर की मदद से बच्चे को जन्म दे सकती है।
  • किसी महिला की मेडिकल ट्रीटमेंट की वजह से ओवरी डैमेज हो गई हो या जन्म से ही ओवरी न बनी हो तो वह परिवार शुरू करने के लिए डोनर एग की मदद ले सकती है।
  • या फिर बच्चा कंसीव करने में बार-बार तकलीफ आ रही हो।

सवाल: एग डोनेशन को लेकर क्या कोई कानून है?

जवाब: एग डोनेशन को लेकर मेडिकल काउंसिल ने कुछ नियम तय किए हैं। देश के सारे IVF सेंटर में ये नियम लगे रहते हैं, लेकिन अब तक इसे लेकर कोई कानून नहीं है। इसकी वजह यह है कि अभी एग डोनेशन केस लाइमलाइट में नहीं हैं। ठीक वैसे ही जैसे एक समय IVF नहीं था। जब किराए की कोख का कारोबार बढ़ा तो सरकार को बिल पास कर कानून बनाना पड़ा। इसी तरह इस पर भी कानून जल्द ही बनाने की जरूरत है।

सवाल: नाबालिग का परिवार अगर उसके एग बेचे तो उन्हें क्या सजा हो सकती है?

जवाब: Pocso Act के तहत केस दर्ज किया जा सकता है।

अब तमिलनाडु वाले केस में ही देखें, तो एक दूसरी महिला ने नाबालिग का जाली आधार कार्ड बनवाया और इसे बनाने के लिए पांच हजार रुपए का कमीशन लिया था। वहीं आरोपी मां ने 20 हजार में बेटी के अंडे बेचे। इसमें मामले में भी पुलिस ने Pocso Act के साथ IPC की धारा 420 और 506 (2) के तहत मामला दर्ज किया है।

सवाल: क्या जो महिला जल्दी मां नहीं बनना चाहती, वह अपना एग फ्रीज कर सकती है?

जवाब: हां, मेडिकल साइंस की भाषा में इसे मैच्योर ओअसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन (Mature Oocyte cryopreservation) कहा जाता है। समझ पाने वाली भाषा में कहें तो यह वो प्रक्रिया है, जिससे महिलाओं की प्रजनन क्षमता को संरक्षित किया जाता है, ताकि वह भविष्य में जब चाहें अपना परिवार बना सकें। एग फ्रीजिंग में महिला के शरीर में अंडाशय से परिपक्व अंडे निकाले जाते हैं और उन्हें तरल नाइट्रोजन के बराबर तापमान में फ्रीज करके रख दिया जाता है। एग फ्रीजिंग उन महिलाओं के वरदान है, जो अधिक उम्र में मां बनने की ख्वाहिश रखती हैं।

एग डोनेशन और IVF के बीच अंतर क्या है ?

IVF और एग डोनेशन का इस्तेमाल दो अलग-अलग प्रोसेस हैं। दोनों की मदद से एक महिला मां बन पाती है। यदि किसी महिला के अंडे हेल्दी हैं तो वह IVF प्रोसेस में अपने अंडे को यूज कर सकती है। वहीं जिनके पास अनहेल्दी अंडे हैं, या जिनके अंडे नहीं बन रहे हैं वह अपने पति के शुक्राणु के साथ एक एग डोनर के अंडे को फर्टिलाइज करने का ऑप्शन चुन सकती हैं।

यह भी जान लें

महिला की ओवरी से निकलने वाले अंडे को OVA कहते हैं।

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