हड़बड़ी में क्या गड़बड़ी कर बैठी सरकार? …? 21 की उम्र में पार्षद तो बन जाएंगे, पालिका-परिषद अध्यक्ष नहीं
21 की उम्र में पार्षद तो बन जाएंगे, पालिका-परिषद अध्यक्ष नहीं; नौबत नया अध्यादेश लाने की….
नगरीय निकाय चुनाव के नियमों में सरकार एक बड़ा बदलाव करना भूल गई। इस बार नगर पालिकाओं और नगर परिषदों के अध्यक्ष का चुनाव पार्षद करेंगे। लेकिन अध्यक्ष बनने के लिए उम्र 25 साल होना जरूरी है। जबकि पार्षद के लिए उम्र 21 या इससे अधिक है। ऐसे में नेताजी पार्षद तो बन जाएंगे लेकिन चाहकर भी अध्यक्ष नहीं बना पाएंगे।
निकाय चुनाव के लिए राज्य सरकार 25 मई को अध्यादेश लाई थी। इसके अनुसार महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष तरीके से होगा। यानी जनता सीधे महापौर के लिए वोट करेगी। जबकि पालिका और परिषद अध्यक्ष का चुनाव पार्षद करेंगे। अध्यक्ष चुने जाने के लिए पार्षद होना जरूरी है, लेकिन उसकी उम्र 25 साल होनी चाहिए। इससे पहले पालिका और परिषद अध्यक्ष का चुनाव भी महापौर की तरह प्रत्यक्ष प्रणाली से होता था। लिहाजा जब निकाय चुनाव का अध्यादेश लाया गया तो उसमें उम्र की व्यवस्था को बदलना भूल गए। यही बड़ी चूक अब परेशानी बनेगी।
कई जगह निर्विरोध पार्षद चुने जा रहे हैं, लेकिन जैसे ही अध्यक्ष की बात आएगी तो कई पार्षद सिर्फ इसलिए अध्यक्ष नहीं बन पाएंगे, क्योंकि वे 25 वर्ष से कम के हैं। इस बार 76 नगर पालिका अध्यक्ष और 255 नगर परिषद अध्यक्ष का चुनाव होना है। पंचायत और निकायों के एक साथ हो रहे चुनावों में सभी चरणों का मतदान 13 जुलाई तक हो जाएगा। निकायों के परिणाम 18 जुलाई तक आ जाएंगे। इसी के बाद अध्यक्ष का चयन होगा।
विधानसभा सत्र 25 जुलाई से, लेकिन नियमों में बदलाव करना अभी जरूरी
निकाय चुनाव के लिए राज्य सरकार को अध्यादेश लाना पड़ा था। चूंकि, अब उम्र में बदलाव के लिए मप्र नगर पालिका निर्वाचन नियम 1961 की धारा 34 व 35 में संशोधन करना होगा। विधानसभा सत्र 25 जुलाई से है, लिहाजा अभी चुनावी प्रक्रिया को निर्बाध चलाने के लिए सरकार को फिर अध्यादेश लाना पड़ेगा।
एक बार फिर नए सिरे से संशोधन काे पूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा
विधानसभा के मानसून सत्र की तैयारी के दौरान जब नगर निगम व नगर पालिका निर्वाचन संशोधन अध्यादेश 2022 को सदन में पेश करने की बात आई, तब उम्र के पेंच का पता चला। अब फिर एक बार नए सिरे से संशोधन काे पूरी प्रोसेस से गुजरना होगा।