ग्वालियर : नगर निगम चुनाव में आमजन के मुद्दे गायब …?

शहर में अनेकों प्रकार की समस्या हैं, जिनसे आमजनों को हर दिन दो-चार होना पड़ता है। यह सभी मुद्दे इस बार निगम चुनाव से गायबहैं …? 

ग्वालियर शहर में अनेकों प्रकार की समस्या हैं, जिनसे आमजनों को हर दिन दो-चार होना पड़ता है। यह सभी मुद्दे इस बार नगर निगम चुनाव के प्रचार से गायब हैं। शहर के विकास के लिए इन मुद्दों का होना आवश्यक है। इनसे शहरवासियों को पता चलता कि महापौर व पार्षद पद के उम्मीदवारों की शहर के विकास को लेकर क्या योजनाएं हैं। शहर की सफाई, जल, यातायात व अवैध कालोनियों की स्थिति को दर्शाती यह रिपोर्ट…

सफाई व्यवस्था

नगर निगम में तीन हजार सफाई कर्मचारी हैं। साथ ही 200 चालक एवं 300 सहायक चालक हैं। इसके बाद भी सफाई व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है। निगम के पास 210 टिपर वाहन होने के बावजूद हर वार्ड में कचरा लेने वाहन रोज नहीं पहुंचते। इस कारण आज भी सड़कों व खाली भूखंडों पर कचरा जमा दिखता है, जबकि इंदौर, ग्वालियर से कहीं अधिक आगे निकल चुका है। वह स्वच्छ सर्वेक्षण में पिछले पांच सालों से प्रथम स्थान पर बना हुआ है।

अवैध कालोनियां

वर्तमान में 700 के करीब अवैध कालोनियां हैं, साथ ही लगातार इसमें विस्तार हो रहा है। इन कालोनियों में विकास कराने में निगम का बड़ा बजट खर्च होता है तो वहीं दूसरा ओर यहां से राजस्व भी निगम को बेहद कम मिल पाता है। शहर में अगर अवैध कालोनियों पर रोक लगे और वैध कालोनियों का निर्माण होने लगे तो हरियाली भी बढ़ेगी। साथ ही निगम को हर साल 50 करोड़ से अधिक का राजस्व भी प्राप्त होगा।

अमृत योजना

शहर में अब अमृत योजना पार्ट-2 के तहत काम चल रहा है, जबकि पार्ट-1 का कार्य आज भी पूरा नहीं हो पाया है। निगम के अधिकारी पार्ट-1 कार्य पूर्ण होने की बात कहते हैं, लेकिन हकीकत में आज भी दो टंकियां अधूरी है। खोदी गईं सड़कों पर रेस्टोरेशन कार्य भी अभी अधूरा पड़ा है। इस योजना में करीब 700 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी लोगों के घरों पर 12 मीटर ऊंचाई तक बिना पंप के पानी नहीं पहुंच रहा। शहर के नालों में सीवरेज बह रहा है।

यातायात व्यवस्था

शहर की हर सड़क व चौराहों पर हाथ ठेले व हाकर्स खड़े रहते हैं, जिस कारण सड़कों पर प्रतिदिन जाम लगता है। इन हाकर्स के लिए निगम द्वारा शहर में 10 हाकर्स जोन बनाए हैं, लेकिन यह सभी खाली पड़े हैं। अधिकांश हाकर्स जोन की हालत भी खराब हो चुकी है। किसी की टिनशेड टूट चुकी है तो कहीं पर बिजली, पानी व शौचालय आदि की सुविधाएं नहीं हैं।

सड़कों पर वाहन पार्क

शहर में एक भी ऐसी सड़क नहीं है, जहां दो व चार पहिया वाहन न पार्क किए गए हों। इससे जाम तो लगता ही है, वातावरण में प्रदूषण भी बढ़ता है। जाम के कारण पेट्रोल-डीजल की खपत भी बढ़ जाती है। यातायात व्यवस्था को ठीक करने के लिए नगर निगम ने 28 पार्किंग बनाई हैं। इसमें से 24 वर्तमान में संचालित हैं, लेकिन यह सभी खाली पड़ी रहती हैं।

राजस्व में बढ़ोत्तरी

राजस्व में बढ़ोत्तरी निगम अधिकारियों का सबसे अहम काम है। आमजनों से कर के रूप में राजस्व प्राप्त होता है, जिससे विकास कार्य किए जाते हैं। निगम ने चालू वर्ष में 81 करोड़ रुपये संपत्ति कर वसूला है, जबकि लक्ष्य 120 करोड़ रुपये का निर्धारित था। निगम सीमा के रहवासियों में आज भी 40 प्रतिशत लोग टैक्स जमा नहीं करते हैं। शत-प्रतिशत लोगों से टैक्स जमा कराना भी अधिकारियों के लिए बड़ी चुनौती है।

 

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