कांग्रेस के 55 बनाम BJP के 14 साल …?

राष्ट्रपति के लिए BJP ने प्रोजेक्ट किए मुस्लिम, दलित और आदिवासी; कांग्रेस अपर क्लास तक सिमटी…

देश में अब तक राष्ट्रपति पद के लिए 15 बार चुनाव हो चुके हैं, जिसमें 14 शख्सियतें राष्ट्रपति बन चुकी हैं। इनमें 5 ब्राह्मण, 3 मुस्लिम, 2 दलित, 1 कायस्थ, 1 महिला और सिख समाज से आने वाले एक शख्स शामिल हैं। आजादी के बाद से लेकर अब तक डॉ. राजेंद्र प्रसाद एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति रहे, जिन्हें लगातार दो टर्म यानी दस साल इस पद पर रहने का मौका मिला।

दिलचस्प यह है कि देश के जो 14 राष्ट्रपति निर्वाचित हुए, उनमें से 7 दक्षिण भारत के थे। इनमें तमिलनाडु के सर्वपल्ली राधाकृष्णन, आर वेंकटरमण और एपीजे अब्दुल कलाम, आंध्र प्रदेश से जाकिर हुसैन और नीलम संजीव रेड्‌डी, केरल से केआर नारायणन और ओडिशा से वीवी गिरि शामिल हैं, जबकि 7 राष्ट्रपति शेष भारत से चुने गए हैं।

इसमें बिहार से डॉ. राजेंद्र प्रसाद, दिल्ली से फखरुद्दीन अली अहमद, पंजाब से ज्ञानी जैल सिंह, मध्य प्रदेश से डॉ. शंकर दयाल शर्मा, राजस्थान-महाराष्ट्र की प्रतिभा पाटिल, पश्चिम बंगाल के प्रणब मुखर्जी और उत्तर प्रदेश के रामनाथ कोविंद शामिल हैं। पद पर रहते हुए जाकिर हुसैन और फखरुद्दीन अली अहमद की मृत्यु हो गई थी, जिसके कारण तीन लोगों को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाना पड़ा।

 

ऐसा पहली बार होगा, जब आदिवासी समाज से आने वाली किसी महिला के राष्ट्रपति चुने जाने के आसार ज्यादा हैं। इसमें ये भी दिलचस्प है कि सवर्णों की पार्टी बताई जाने वाली भाजपा ने अपने 14 साल के तीन टर्म में मुस्लिम, दलित और आदिवासी महिला को राष्ट्रपति पद के लिए प्रोजेक्ट किया।

वहीं दलित-आदिवासी और पिछड़ों के उत्थान की बात करने वाली कांग्रेस के लगभग 55 साल के शासन में एक भी आदिवासी या दलित राष्ट्रपति नहीं बन सका। कांग्रेस ब्राह्मण, सिख, महिला, कायस्थ जैसे अपर क्लास तक सिमटी रही।

कांग्रेस के शासन में 5 ब्राह्मण, 2 मुस्लिम बने राष्ट्रपति

केंद्र में जब तक कांग्रेस की सरकार रही, तब तक 5 ब्राह्मण, 2 मुस्लिम और 1-1 कायस्थ, सिख और राजपूत महिला का चुनाव राष्ट्रपति पद के लिए हुआ।

आजादी के बाद से लेकर 24 मार्च 1977 तक यानी शुरुआती लगभग तीन दशक के कांग्रेस के शासन में डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन, वीवी गिरि, फखरुद्दीन अली अहमद राष्ट्रपति बने। इसमें कायस्थ, ब्राह्मण और मुस्लिम शामिल रहे।

President slide (3)

दूसरे टर्म में, 14 जनवरी 1980 से लेकर दो दिसंबर 1989 तक केंद्र में कांग्रेस की सरकार रही। तब ज्ञानी जैल सिंह और आर वेंकटरमण को राष्ट्रपति बनाया गया। ज्ञानी जैल सिंह सिख और आर वेंकटरमण तमिल ब्राह्मण थे। 21 जून 1991 को फिर से कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई, जिसके बाद डॉ. शंकर दयाल शर्मा को राष्ट्रपति बनाया गया।

16 मई 1996 के बाद लगभग 8 साल तक कांग्रेस सत्ता से बाहर रही। 22 मई 2004 को कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (UPA) की सत्ता में वापसी हुई। इस दौरान प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बनाए गए। प्रतिभा पाटिल राजपूत समाज से हैं, जबकि प्रणब मुखर्जी बंगाली ब्राह्मण थे।

जनता पार्टी/ संयुक्त मोर्चा सरकार में बने 2 राष्ट्रपति

देश में कई बार जनता पार्टी, जनता दल और संयुक्त मोर्चा की भी सरकार बनी, लेकिन कोई भी सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई।

पहली बार 14 मार्च 1977 को मोरारजी देसाई के नेतृत्व में गैर कांग्रेसी सरकार बनी। 28 महीने में ही यह सरकार गिर गई, लेकिन इससे पहले जुलाई 1977 में राष्ट्रपति का चुनाव हुआ और नीलम संजीव रेड्‌डी चुने गए।

1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता दल की और 1990 में चंद्रशेखर के नेतृत्व में समाजवादी जनता पार्टी की सरकार बनी, लेकिन इस दौरान राष्ट्रपति पद के लिए कोई चुनाव नहीं हुआ। एक जून 1996 से 19 मार्च 1998 के बीच संयुक्त मोर्चा की सरकार रही। संयुक्त मोर्चा की सरकार को कांग्रेस का बाहर से समर्थन था। इस दौरान ही केआर नारायणन को राष्ट्रपति बनाया गया। नारायणन देश के पहले दलित राष्ट्रपति थे। हालांकि, कांग्रेस के शासनकाल में ही उन्हें 1992 में उपराष्ट्रपति बनाया गया था।

BJP ने मुस्लिम, दलित और आदिवासी महिला को किया प्रोजेक्ट

भाजपा को केंद्र में तीन बार शासन करने का मौका मिला, लेकिन पार्टी ने अगड़ी जाति के किसी भी शख्स को राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी नहीं बनाया। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में NDA की सरकार ने 2002 में मुस्लिम वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति पद के लिए प्रोजेक्ट किया। वह देश के 11वें राष्ट्रपति बने।

2014 में भाजपा की सत्ता में वापसी हुई। 2017 में राष्ट्रपति चुनाव हुआ। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भाजपा ने बिहार के राज्यपाल और दलित समाज से आने वाले रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति प्रोजेक्ट किया। राष्ट्रपति कोविंद 24 जुलाई 2022 तक इस पद पर रहेंगे। भाजपा तीसरी बार 2019 में सत्ता में आई।

इस बार BJP ने आदिवासी समाज से आने वाली द्रौपदी मुर्मू को प्रोजेक्ट किया, जिनके सामने कांग्रेस और विपक्ष ने मिलकर भाजपा से ही निकले और तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिन्हा को अपना प्रत्याशी बनाया है।

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