सेक्स टॉनिक नहीं है वियाग्रा …?

ओवरडोज से नागपुर में बॉयफ्रेंड की मौत, प्रयागराज में पति को करानी पड़ी सर्जरी; आखिर वियाग्रा शरीर में करती क्या है…

3 जुलाई को नागपुर में एक 25 साल के युवक की हार्ट अटैक से मौत हो गई। पुलिस जांच में उस युवक के पॉकेट से वियाग्रा की गोलियां मिलीं। पुलिस को शक है कि इस युवक की मौत होटल में गर्लफ्रेंड से संबंध बनाते समय वियाग्रा के ओवरडोज की वजह से ही हार्ट अटैक आने से हुई।

4 जून को UP के प्रयागराज में वियाग्रा ओवरडोज की वजह से घंटों इरेक्शन यानी यौन उत्तेजना और दर्द से परेशान एक 28 साल के युवक की दो बार सर्जरी की गई। कुछ महीनों पहले शादी करने वाले इस युवक ने दोस्तों की सलाह पर वियाग्रा का ओवरडोज लेना शुरू कर दिया था।

ये दो घटनाएं नीली रंगे की टैबलेट यानी वियाग्रा को लेकर लोगों में कम जानकारियों को दिखाती हैं। आमतौर पर वियाग्रा को सेक्स पावर बढ़ाने वाली दवा माना जाता है, लेकिन ये पूरा सच नहीं है।

भास्कर एक्सप्लेनर में बताएंगे कि वियाग्रा हमारे शरीर में करता क्या और इससे जुड़ी कौन-सी गलत जानकारियां फैली हुई हैं। लेकिन सबसे पहले जानते हैं कि इस दवा की खोज का रोचक किस्सा…

फाइजर बना रही थी दिल की दवा, इत्तेफाक से बन गई नपुंसकता से निपटने वाली वियाग्रा

1989 में अमेरिकी दवा बनाने वाली कंपनी फाइजर की टीम एंजाइना यानी दिल की बीमारी के इलाज के लिए दवा बनाने पर काम कर रही थी। एंजाइन एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें दिल को खून पहुंचाने वाली नसें सिकुड़ जाती हैं, जिससे सीने में दर्द और सांस लेने में दिक्कत होती है।

इस कोशिश में फाइजर ने एक नया कंपाउंड सिल्डेनाफिल बनाया और उसका टेस्ट कुछ पुरुषों पर किया। क्लिनिकल ट्रायल में सिल्डेनाफिल दिल के दर्द से राहत देने में नाकाम रही। ऐसे में फाइजर ने इस प्रोजेक्ट को खत्म करने का मन बना लिया था, लेकिन तभी ट्रायल में शामिल पुरुषों पर इसके कुछ अलग ही असर नजर आए।

दरअसल, ट्रायल में हिस्सा लेने वाले ज्यादातर पुरुषों को इस दवा से इरेक्शन यानी यौन उत्तेजना महसूस हुई और इससे कइयों की सेक्स लाइफ में भी सुधार हुआ। यानी फाइजर जिस दवा को दिल में खून के फ्लो के सही ढंग से होने के लिए बना रही थी, उसने ये काम किया पेनिस की नसों के लिए।

इन नतीजों के बाद फाइजर ने इरेक्टाइल डिस्फंक्शन यानी पुरुष नपुंसकता की समस्या से निपटने पर एक्सपेरिमेंट शुरू कर दिया। 1996 में कंपनी को इस दवा के लिए पेटेंट मिला। 1997 में उसने लाइसेंस के लिए US फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यानी FDA के पास अप्लाई किया।

FDA ने 27 मार्च 1998 को सिल्डेनाफिल नामक दवा को मेडिकल यूज के लिए मंजूरी दे दी। सिल्डेनाफिल का ही ब्रैंड नाम वियाग्रा है। अप्रैल 1998 में पुरुषों की नपुंसकता से निपटने वाली दवा वियाग्रा अमेरिकी मेडिकल स्टोर्स में पहुंच गई।

1998 में लॉन्च होने के पहले ही साल अमेरिका में वियाग्रा की करीब 62 अरब रुपए की 10 करोड़ टैबलेट बिकी थीं। 2017 में ये अमेरिका में डॉक्टरों द्वारा 217वीं सबसे ज्यादा लिखी गई दवा थी।
1998 में लॉन्च होने के पहले ही साल अमेरिका में वियाग्रा की करीब 62 अरब रुपए की 10 करोड़ टैबलेट बिकी थीं। 2017 में ये अमेरिका में डॉक्टरों द्वारा 217वीं सबसे ज्यादा लिखी गई दवा थी।

यौन क्षमता बढ़ाने के काम आती है वियाग्रा

वियाग्रा के इस्तेमाल से शरीर पर क्या असर होता है? दैनिक भास्कर ने यही सवाल पूछा सेक्सोलॉजिस्ट और सेक्स एजुकेटर डॉ. यशवंत धावले से। डॉ. यशवंत ने कहा, ”वियाग्रा के इस्तेमाल से पेनिस में ब्लड फ्लो बढ़ जाता है, जिससे उसमें इरेक्शन यानी उत्तेजना आती है।”

वियाग्रा को वो किन लोगों को लेने की सलाह देते हैं? इस पर डॉ. यशवंत ने कहा कि 70-80% पुरुषों में यौन समस्या मानसिक होती है, ऐसे में उन्हें वियाग्रा रिकमंड नहीं करते हैं। इसे केवल 20-30% उन लोगों को इस्तेमाल की सलाह देते हैं, जिन्हें इरेक्शन यानी यौन उत्तेजना से जुड़ी वाकई गंभीर समस्या होती है।

नागपुर में वियाग्रा के ओवरडोज से मौत और प्रयागराज में एक व्यक्ति के कई घंटों तक इरेक्शन जैसे मामलों के लिए डॉ. यशवंत मेडिकल स्टोर से या ब्लैक मार्केट से वियाग्रा का 100 mg जितना ओवरडोज लेने को वजह मानते हैं। आमतौर पर डॉक्टर वियाग्रा की 20-25 mg लेने की सलाह देते हैं।

  • वियाग्रा का इस्तेमाल पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन यानी नपुंसकता से अस्थाई तौर पर निपटने या यौन क्षमता बढ़ाने में होता है।
  • वियाग्रा खाने से पुरुषों के पेनिस में अस्थाई रूप से खून का फ्लो बढ़ जाता है। यानी इससे पुरुषों की यौन क्षमता अस्थाई रूप से एक्टिव होती है।
  • एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वियाग्रा का असर इसे खाने के करीब 20-25 मिनट बाद शुरू होता है और करीब 2 घंटे तक रहता है। इसे या तो टैबलेट के रूप में लेते हैं या सीधे नसों में इसका इंजेक्शन लगता है।
  • एक्सपर्ट्स के अनुसार, वियाग्रा का इस्तेमाल बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए।
  • अब तक ये स्पष्ट नहीं है कि महिलाओं में सेक्शुअल डिस्फंक्शन के इलाज में वियाग्रा कारगर है या नहीं।
1999 में अमेरिकी राष्ट्रपति कैंडिडेट बॉब डोल और 2002 में फुटबॉल लेजेंड पेले जैसी चर्चित शख्सियतों के वियाग्रा का ऐड करने से इसकी लोकप्रियता और तेजी से बढ़ी। चर्चित प्लेबॉय मैगजीन के मालिक अरबपति ह्यूग हफनर को वियाग्रा के जबर्दस्त इस्तेमाल से एक कान से सुनाई देना बंद हो गया था, लेकिन हफनर का कहना था कि वह सेक्स छोड़ने के बजाय बहरा होना पसंद करेंगे।
1999 में अमेरिकी राष्ट्रपति कैंडिडेट बॉब डोल और 2002 में फुटबॉल लेजेंड पेले जैसी चर्चित शख्सियतों के वियाग्रा का ऐड करने से इसकी लोकप्रियता और तेजी से बढ़ी। चर्चित प्लेबॉय मैगजीन के मालिक अरबपति ह्यूग हफनर को वियाग्रा के जबर्दस्त इस्तेमाल से एक कान से सुनाई देना बंद हो गया था, लेकिन हफनर का कहना था कि वह सेक्स छोड़ने के बजाय बहरा होना पसंद करेंगे।

वियाग्रा खाने से कैसे बढ़ जाती है पुरुषों में उत्तेजना?

दरअसल, वियाग्रा को बनाने के पीछे सोच शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड के रिलीज होने से दिल की मसल्स में खून का फ्लो बढ़ाने की थी।

केमिकल नाइट्रिक ऑक्साइड शरीर में मसल्स को रिलैक्स करता है, मसल्स के रिलैक्स होने से उनकी तरफ खून का फ्लो बढ़ जाता है।

शरीर में यही केमिकल सेक्शुअल उत्तेजना के दौरान नैचुरली रिलीज होता है, जोकि पीनाइल मसल्स की ओर खून का फ्लो बढ़ा देता है, जिससे यौन उत्तेजना यानी इरेक्शन होता है।

वियाग्रा खाने से शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड बढ़ता है, लेकिन ये दिल से ज्यादा पीनाइल मसल्स पर असर करता है, इसीलिए वियाग्रा को खाने से पुरुषों में यौन उत्तेजना होती है।

वियाग्रा की लोकप्रियता का आलम ये था कि जल्द ही वियाग्रा के नाम पर मार्केट में कई नकली दवाइयां आ गईं। असली वियाग्रा की लॉन्चिंग के कुछ ही हफ्तों बाद भारत और थाईलैंड में ऑनलाइन नकली वियाग्रा बिकने लगी थीं। 2011 में आए फाइजर के एक पोल के मुताबिक, आमतौर पर ऑनलाइन खरीदी जाने वाली 80% वियाग्रा नकली होती हैं। नकली वियाग्रा में कीटनाशक, प्लास्टर और प्रिंटर की स्याही जैसे जहरीले उत्पाद होने का खतरा रहता है।
वियाग्रा की लोकप्रियता का आलम ये था कि जल्द ही वियाग्रा के नाम पर मार्केट में कई नकली दवाइयां आ गईं। असली वियाग्रा की लॉन्चिंग के कुछ ही हफ्तों बाद भारत और थाईलैंड में ऑनलाइन नकली वियाग्रा बिकने लगी थीं। 2011 में आए फाइजर के एक पोल के मुताबिक, आमतौर पर ऑनलाइन खरीदी जाने वाली 80% वियाग्रा नकली होती हैं। नकली वियाग्रा में कीटनाशक, प्लास्टर और प्रिंटर की स्याही जैसे जहरीले उत्पाद होने का खतरा रहता है।

वियाग्रा को अक्सर लोग सेक्स टॉनिक जैसा समझते हैं, इसे लेकर लोगों के मन में हैं कई भ्रांतियां

  • वियाग्रा को लेकर लोगों के मन में कई गलत जानकारियां हैं। मसलन ज्यादातर लोग वियाग्रा को सेक्स पावर बढ़ाने वाली सेक्स टॉनिक समझते हैं, लेकिन मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऐसा नहीं है। वियाग्रा न तो किसी व्यक्ति में सेक्स की इच्छा बढ़ाती है और न ही इस दवा को खाने से सेक्स की इच्छा पैदा होती है। ये नपुंसकता का इलाज भी नहीं करती है।
  • एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये सोचना गलत है कि वियाग्रा शिथिल पेनिस में खुद से उत्तेजना पैदा कर सकती है।
  • वियाग्रा केवल उन लोगों की मदद करती है, जिन्हें खुद से यौन उत्तेजना होती है लेकिन लंबे समय तक बरकरार नहीं रहती है, जो कि संतोषजनक सेक्शुअल इंटरकोर्स के लिए जरूरी होता है।
  • वियाग्रा प्रेग्नेंसी नहीं रोकती और न ही HIV जैसे सेक्शुअली ट्रांसमिटेड बीमारियों को फैलने से रोकती है।
  • जानकारों का मानना है कि लोग वियाग्रा को पार्टी वाली दवा जैसा समझते हैं, लेकिन ये सोच पूरी तरह गलत है।
  • आमतौर पर डॉक्टर वियाग्रा की 25-30 mg डोज लेने की सलाह देते हैं। एक दिन में वियाग्रा की एक से ज्यादा टैबलेट नहीं लेनी चाहिए।
  • उदाहरण के लिए प्रयागराज के युवक ने वियाग्रा की एक दिन में 250 mg यानी ओवरडोज ली थी जोकि इसकी नियमित डोज करीब 8 गुना ज्यादा है।
  • वियाग्रा के ओवरडोज से प्रयागराज के युवक को priapism नामक समस्या हो गई थी, इस कंडीशन में कई घंटों तक पेनिस में इरेक्शन रहता है और काफी दर्द होता है। इसका इलाज न कराने पर व्यक्ति स्थाई तौर पर नपुंसक हो सकता है।
  • एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार को वियाग्रा की सेल को लेकर ज्यादा कड़े नियम बनाने की जरूरत है। साथ ही केमिस्ट को भी इसकी बिक्री को लेकर ज्यादा जिम्मेदार होने की जरूरत है।
  • अब कई दवा कंपनियां वियाग्रा से मिलते-जुलते टैबलेट बना रही हैं-जिनके नाम Caverta, Megalis, Suhagra, Vigora,आदि हैं। भारत में वियाग्रा जैसा ही काम करने वाली कई जेनरिक दवाएं उपलब्ध हैं।

लॉन्च होते ही वियाग्रा ने तोड़ दिए थे सारे रिकॉर्ड, दो साल में कमाई 1 अरब डॉलर पार कर गई

यौन उत्तेजना को बढ़ाने वाली दवा वियाग्रा को आते ही जबर्दस्त कामयाबी मिली। लॉन्च होने के पहले तीन महीनों में ही अमेरिका में 30 लाख लोगों को डॉक्टरों ने वियाग्रा लेने की सलाह दी थी।

वियाग्रा की लोकप्रियता का आलम ये था कि वर्ल्डवाइड सेल शुरू होने से ही पहले ही ये ब्लैक मार्केट के जरिए इजराइल, पोलैंड, सऊदी अरब में दवा की असली कीमत से पांच गुना ऊंचे दामों पर बिकने लगी थी। उस समय वियाग्रा की कीमत करीब 10 डॉलर थी।

अमेरिका के बाहर कदम रखते ही इस दवा ने कामयाबी की नई इबारत लिख दी। यूरोप में ये दवा आधिकारिक तौर पर सितंबर 1998 में लॉन्च हुई थी। लॉन्च होने के दो सालों के अंदर ही वियाग्रा की सालाना कमाई एक अरब डॉलर को पार कर गई थी।

एक अनुमान के मुताबिक, लॉन्च होने के 10 वर्षों के अंदर ही 2008 तक दुनिया भर के करीब 3.5 करोड़ से ज्यादा पुरुष इसका इस्तेमाल कर चुके थे।

फाइजर के ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर डन और अल्बर्ट वुड को वियाग्रा के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है। साथ ही अमेरिकी बायोकेमिस्ट रॉबर्ट फर्चगोट के शरीर पर नाइट्रिक ऑक्साइड के बायोकेमिकल प्रभाव की महत्वपूर्ण खोज की भी वियाग्रा के बनने में अहम भूमिका मानी जाती है। इस खोज के लिए रॉबर्ट फर्चगोट को 1998 में मेडिसिन का नोबेल प्राइज दिया गया था। यह तस्वीर रॉबर्ट फर्चगोट की है।
फाइजर के ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर डन और अल्बर्ट वुड को वियाग्रा के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है। साथ ही अमेरिकी बायोकेमिस्ट रॉबर्ट फर्चगोट के शरीर पर नाइट्रिक ऑक्साइड के बायोकेमिकल प्रभाव की महत्वपूर्ण खोज की भी वियाग्रा के बनने में अहम भूमिका मानी जाती है। इस खोज के लिए रॉबर्ट फर्चगोट को 1998 में मेडिसिन का नोबेल प्राइज दिया गया था। यह तस्वीर रॉबर्ट फर्चगोट की है।

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