ऑनलाइन दवाई बेचने पर हाईकोर्ट का नोटिस …? बिना डॉक्टर के बन रहा प्रिस्क्रिप्शन, डिस्काउंट के लालच में जिंदगी न खत्म हो जाए
खाने और कपड़े की तरह क्या आप डिस्काउंट के चक्कर में दवाइयां भी ऑनलाइन खरीदते हैं? अगर हां, तो ये खबर आपके काम की है। दरअसल, गुजरात हाईकोर्ट ने दवाओं और शेड्यूलड दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के खिलाफ एक रिट याचिका पर नोटिस जारी किया है।
(डॉक्टर की सलाह और प्रिस्क्रिप्शन के बिना जिन दवाओं को नहीं खरीद सकते हैं, उन्हें शेड्यूल दवाएं कहा जाता है।)
जस्टिस ए.एस. सुपेहिया ने अपने निर्देश में कहा-
इस मामले में केंद्र और राज्य के संबंधित अधिकारी, याचिकाकर्ता (जिसने ऑनलाइन दवाओं की बिक्री के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है) की सभी दलीलों से निपटने के लिए सही हलफनामा (Affidavit) दाखिल करें।
ऑनलाइन दवाइयां खरीदने वाले ग्राहक हो जाएं सावधान क्योंकि…
- ई-फार्मेसी कंपनियां, ग्राहक और कर्मचारी के बीच कॉल पर बातचीत करवाकर प्रिस्क्रिप्शन तैयार कर देती हैं।
- डॉक्टर की सलाह और मेडिकल रिपोर्ट देखे बिना भी ग्राहकों के लिए दवाइयों का प्रिस्क्रिप्शन तैयार हो जाता है।
- ई-फार्मेसी के पास ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट, 1940 की धारा-18 के तहत मिलने वाला जरूरी लाइसेंस भी नहीं हैं।
- कुछ ऐसी दवाएं हैं, जिन्हें ई-फार्मेसी बिना किसी प्रिस्क्रिप्शन के ही बेच देती हैं। ऐसी दवाओं को 18 साल से कम उम्र के बच्चे भी आसानी से खरीद सकते हैं।
- ई-फार्मेसी शेड्यूलड दवाओं को भी बिना किसी अनुमति के खुलेआम बेच रही हैं।
ऊपर लिखे सारे दावे याचिकाकर्ता ने गुजरात हाइकोर्ट में किए हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने अपील की है कि इस तरह की बिक्री पर रोक लगाई जाए। नहीं तो लोगों की जिंदगी पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।
अगर आप भी ऑनलाइन दवाएं मंगवाते हैं तो जान लीजिए कि ड्रग्स कंट्रोल मीडिया सर्विसेज के सी.बी.गुप्ता किन बातों को ध्यान रखने के लिए कह रहे हैं।
नीचे लिखे ग्राफिक्स में पढ़ें-
सिर्फ एक याचिकाकर्ता ने ही नहीं, बल्कि कुछ समय पहले कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने भी ई-फार्मेसी पर लगाम लगाने की मांग की थी।
ऑनलाइन दवाएं बेचने वाली वेबसाइट्स पर CAIT ने आरोप लगाया था कि ये गलत तरीके से नकली और मिलावटी दवाएं बेच रहे हैं। इन पर शिकंजा कसा जाना चाहिए। CAIT के अनुसार,
- ई-फार्मेसी के नाम पर ये ऑनलाइन कंपनियां उन दवाओं को भी बेच रही हैं, जिनकी अनुमति नहीं है।
- भारत में बहुत-सी विदेशी और देशी कॉर्पोरेट कंपनियां ऑनलाइन फार्मेसी से दवाएं बेचने के दौरान नियम-कानून तोड़ रही हैं।
जिन लोगों ने ऑनलाइन दवाइयां घर पर मंगवा ली हैं, वो कुछ जरूरी चीजें चेक करके आसानी से पता लगा सकते हैं कि दवाइयां सही हैं या फिर नहीं।
नीचे लिखे ग्राफिक्स में पढ़ें जरूरी बातें-
![](http://agritpatrika.com/wp-content/uploads/2022/07/Inkedzkkordering-medicine-online-03-1_1657123190-250x300.jpg)
ऊपर लिखी सभी बातों को पढ़कर आपके मन में सवाल आया होगा कि क्या ऑनलाइन दवाएं नहीं खरीदनी चाहिए?
मैक्स वैशाली के मेडिसिन डिपार्टमेंट के डॉ. पंकजानंद चौधरी के अनुसार, ऑनलाइन दवाएं मंगवाने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन उनका सही (ऑथेंटिक) होना जरूरी है। जिस वेबसाइट से आप दवाएं मंगवा रहे हैं, वो रजिस्टर्ड हैं तो ऑनलाइन दवाएं मंगवाने में कोई दिक्कत नहीं है।
जो लोग डिस्काउंट के लालच में ऑनलाइन दवाइयां मंगवाते हैं, वो सस्ती दवाइयां कहां से ले सकते हैं?
- आजकल ज्यादा बिक्री के लिए मेडिकल स्टोर वाले 15% से 20% तक छूट देते हैं, तो ऐसी दुकान को चुनें जो आपको ज्यादा छूट दें।
- सरकारी अस्पताल से सस्ती दवाई ले सकते हैं।
- मेडिकल स्टोर पर भी दो तरह की दवाइयां होती हैं, एक ब्रांडेड दवाई और एक सामान्य (Generic) दवाई, आप जेनेरिक दवाई ले सकते हैं।
- सरकार ने सस्ती दवा के लिए हर जिले में जन औषधि केंद्र खोले हैं, जहां से आप सस्ती दवाई ले सकते हैं।
- केंद्र सरकार की अमृत फार्मेसी से भी सस्ती और अच्छी क्वालिटी की दवाएं ली जा सकती है।
अब सवाल उठता है कि जन औषधि केंद्र का पता कैसे करें?
डॉ. बालकृष्ण श्रीवास्तव– देश में अभी तक लगभग 600 से अधिक जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं। ऐसे में आप गूगल में सर्च करके पता कर सकते हैं कि आपके घर के पास कौन सा जन औषधि केंद्र है।
जेनेरिक दवाएं ठीक होती हैं या नहीं?
डॉ. बालकृष्ण श्रीवास्तव– जन औषधि अभियान, सरकार ने पब्लिक को अवेयर करने के लिए शुरू किया है। इसका मकसद लोगों को समझाना है कि जेनरिक दवाएं सस्ती मिलती हैं, लेकिन इसमें क्वालिटी से कोई समझौता नहीं किया जाता है।
नोट- आप किसी भी सुझाव को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर बात करें और उनकी सलाह के बाद ही ऑनलाइन दवाएं मंगवाएं फिर इलाज शुरू करें।