खनन माफिया का आतंक, जब-जब बड़े अधिकारियों को मौत के घाट उतारा…सरकार बेबस नजर आई!

 Haryana Illegal Mining: डीएसपी तावडू की पहाड़ी में अवैध खनन की सूचना पर छापा मारने गए थे. डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई (Surendra Singh Bishnoi) ने पत्थर से भरे ट्रक को रोकने की कोशिश की थी.

Illegal Mining in India: देश में अवैध खनन का काफी लंबा इतिहास रहा है. कोयला खनन से लेकर पत्थर, मिट्टी और रेत खनन तक, हर जगह खनन माफियाओं का आतंक रहा है. कहीं पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत से अवैध खनन (Illegal Mining) का काम धड़ल्ले से जारी है तो कहीं नेताओं की शह पर खनन माफिया खुद को ताकतवर समझते हैं. वहीं, जब कुछ देश के ईमानदार अफसर जब इन माफियाओं पर शिकंजा कसने की कोशिश करते हैं तो उन्हें ही निशाना बना दिया जाता है. हरियाणा (Haryana) में डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई (DSP Surendra Singh Bishnoi) की हत्या इसका ताजा उदाहरण है.

हरियाणा में DSP की हत्या

हरियाणा के नूंह जिले में अवैध पत्थर खनन की जांच कर रहे एक डीएसपी (DSP) को मंगलवार को उस वक्त डंपर से कुचल दिया, जब उन्होंने ड्राइवर को रुकने का इशारा किया. डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई की हत्या के कुछ घंटे बाद एक व्यक्ति को मुठभेड़ के बाद घायलावस्था में गिरफ्तार कर लिया गया. हरियाणा के नूंह में डिप्टी एसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई की हत्या करने वाले आरोपी को जब पुलिस ने घेरा तो आरोपी ने पुलिस की टीम पर भी फायरिंग की. जवाबी कार्रवाई में डंपर के क्लीनर को पुलिस की गोली लगी. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.

हरियाणा सरकार ने क्या कहा?

हरियाणा में डीएसपी की हत्या के बाद प्रदेश के सीएम मनोहर लाल खट्टर और गृह मंत्री अनिल विज ने DSP सुरेंद्र सिंह के हत्यारों समेत हर अवैध खनन माफिया के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की बात कह रहे हैं. उन्होंने कहा कि अवैध खनन में लगे किसी भी माफिया को बख्शा नहीं जाएगा. आसपास के जिलों की फोर्स भी लगानी पड़े तो लगाएंगे. सख्त से सख्त कार्रवाई करने की बात कही जा रही है. हालांकि सख्त कार्रवाई के दावे कई बार किए जाते रहे हैं और खनन माफिया अपना काम जारी रखे हुए है.

सोनीपत में भी हुआ था हमला

हरियाणा में खनन माफियाओं के आतंक का ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी इस तरह की घटना यहां सामने आई है, जब सोनीपत में अवैध खनन करने वाले गिरोह ने स्पेशल इनफोर्समेंट टीम पर जानलेवा हमला बोल दिया था. इसमें पुलिस के जवान को पीट-पीटकर जख्मी कर दिया गया था और एक ASI की वर्दी तक फाड़ दी गई थी.

अवैध खनन रोकने पर MP में कई अधिकारी हुए शिकार?

देश में कई जगहों पर अवैध खनन रोकने पर अधिकारियों पर हमले होते रहे हैं. देश के कई बड़े अधिकारियों की जान जा चुकी है. साल 2012 में एमपी के मुरैला जिले में आईपीएस नरेंद्र कुमार की हत्या कर दी गई थी. उन्होंने अवैध खनन के पत्थरों से भरे ट्रैक्टर को रोकने की कोशिश की थी, लेकिन ड्राइवर ने उन्हें कुचल दिया था. साल 2015 में चंबल के नूराबाद में सिपाही को रेत माफिया ने कुचल दिया था. चंबल के मुरैना में साल 2018 में रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने गए डिप्टी रेंजर को ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या कर दी गई थी. मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह भी दावा करते रहे हैं कि प्रदेश में खनन माफिया के लिए कोई जगह नहीं है.

यूपी में भी हमले की कई वारदात

साल 2022 की शुरुआत में ही यूपी के आगरा में खनन माफियाओं ने पुलिस की टीम पर हमला कर दिया था. जिले के पिनाहट क्षेत्र के चंबल सेंक्चुअरी इलाके में क्योरी बीच का पुरा के पास अवैध खनन की सूचना पुलिस की टीम पहुंची थी. 14 जुलाई 2020 को किरावली में खनन माफियाओं ने सिपाही पर ट्रैक्टर चढ़ा दिया था. नवंबर 2019 में इरादतनगर में सब इंस्पेक्टर पर फायरिंग की गई थी, जिसमें वो गंभीर रूप से जख्मी हुए थे. फरवरी 2019 में फतेहाबाद के भीलपुरा इलाके में खनन माफियाओं ने वनकर्मियों पर हमला बोल दिया था.

गुजरात में RTI एक्टिवस्ट की हुई थी हत्या

गुजरात के गिर जंगल में अवैध खनन पर सवाल उठाने पर RTI एक्टिविस्ट को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था. उनकी खनन माफियाओं ने हत्या करवा दी थी. दरअसल अमित जेठवा नाम के एक आरटीआई एक्टविस्ट ने अवैध खनन का विरोध करते हुए मामले को कोर्ट तक ले गए थे. एक दिन गुजरात हाईकोर्ट के बाहर कुछ अज्ञात हमलावरों ने उनकी जान ले ली.

अफसर से लेकर पत्रकार और एक्टविस्ट की भी गई जान

साउथ एशिया नेटवर्क के आंकड़ों के मुताबिक अवैध खनन (Illegal Mining) रोकने के चक्कर में कई अफसरों, पत्रकारों और आरटीआई एक्टविस्ट (RTI Activist) की जान जा चुकी है. साल 2020 में साउथ एशिया नेटवर्क के एक डेटा के मुताबिक सिर्फ जनवरी 2019 से नवंबर 2020 के बीच 190 से अधिक लोगों की जान गई है, इनमें अधिकारी (Officer), किसान, पत्रकार, पुलिस के जवान समेत आरटीआई एक्टिवस्ट भी शामिल रहे. रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर भारत में 95 ऐसे लोगों की जान गई. अवैध खनन की घटनाओं में सरकार कई बार बेबस नजर आई है. कई नेताओं पर भी खनन माफियाओं का साथ देने के आरोप लगते रहे हैं.

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