ग्वालियर-चंबल की जनता का निर्णय …? नतीजों ने नेतृत्वविहीन कांग्रेस में जान फूंकी, भाजपा के दिग्गज नहीं दिखा पाए असर
– गांव से लेकर कस्बों और शहरों तक आकार ले रही हैं जनता की उम्मीदें
– जानें इस चुनाव में आपके शहर की जनता ने राजनीतिक पार्टियों को क्या दिया सबक?
ग्वालियर … चुनावों के दौरान किए जाने वाले तमाम वादों व दावों के बीच जनता को बहलाने से लेकर किसी भी तरह से उन्हें अपनी ओर खीचने की राजनैतिक पार्टियों की ओर से तमाम प्रयास किए जाते हैं। इस तरह के तमाम वादों व प्रयासों के बाद आखिरकार अब मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों के परिणाम सबके सामने आ चुके हैं। ऐसे में जहां जनता ने इस बार कुछ पार्टियों की बातों को लेकर हामी भरी तो वहीं कई वादों व दावों को सिरे से नकारते हुए राजनीतिक दलों को सियासी सबक देने का भी काम किया है। ऐसे में आज हम विश्लेषण कर बता रहे हैं कि इन चुनावों से किसे क्या सबक मिला… कौन कहां मजबूत रहा और कहां कमजोर…
ग्वालियर-चंबल के राजनीतिक बदलाव ने प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराई थी। भाजपा का गढ़ माने जाने वाले अंचल में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के प्रभाव और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन से जहां भाजपा की ताकत दोगुनी मानी जा रही थी, वहीं कांग्रेस को नेतृत्वविहीन मानते हुए उसे कमजोर आंका जा रहा था।
इस नियुक्ति से कांग्रेस ने मुकाबलेे में उतरने के अपने मंसूबे साफ कर दिए, लेकिन भाजपा भाजपा अपने गढ़ में खुद को सशक्त मानते हुए चुनौती नजरअंदाज करती रही। कार्यकर्ताओं की नाराजगी से लेकर बड़े नेताओं के बीच गुटबाजी में फंसी भाजपा को कांग्रेस झटका देने में कामयाब हो गई। सरकार बनाकर अपनी ताकत दिखाने वाले सिंधिया और उनके समर्थक चुनाव में भाजपा की नैया पार नहीं लगा सके। तोमर जैसे खिवैया भी भाजपा की नाव में हो रहे सुराख को नहीं पहचान पाए।
मुरैना तोमर का प्रभाव क्षेत्र है जहां सिंधिया ने अपने समर्थकों के साथ पैर पसारे हैं। सिंधिया-तोमर भले ही ऊपर से एकजुट दिखें, लेकिन उनके बीच की राजनीतिक दूरी छोटे कार्यकर्ताओं को भी नजर आ रही है।
वहीं भाजपा से बगावत कर आप से चुनाव लड़े वार्ड 13 के प्रत्याशी जीत गए हैं। जबकि नगर के वार्ड क्रमांक 13 से सिंधिया समर्थक केडी डंडोतिया को टिकट मिला था। इसी वार्ड में भाजपा के जिलाध्यक्ष डॉ. योगेशपाल गुप्ता, पूर्व मंत्री मुंशीलाल, निगम अध्यक्ष रघुराज कंंषाना, पूर्व जिलाध्यक्ष केदार सिंह यादव, पूर्व विधायक गजराज सिंह सिकरवार भी इसी वार्ड में रहते हैं। वहीं वार्ड 39 में समाजवादी पार्टी ने सभी प्रमुख दलों को हराकर जीत हासिल की।