भिंड : अब जांच दल सवालों के घेरे में …? जांच रिपोर्ट में कोई दोष नहीं…

नदी में रेत लेने के लिए कंपनी के कर्मचारियों ने भेजे थे वाहन, जांच रिपोर्ट में कोई दोष नहीं…

भिंड में बारिश के सीजन में नदी से रेत उत्खनन पर रोक के बाद भी धड़ल्ले से सिंध नदी से रेत उठाई जा रही थी। यहां जेसीबी और पनडुब्बी से रेत को खींच कर ट्रकों में लोड किया जा रहा था। ये सब कृत्य रेत टेंडर लेने वाली कंपनी के कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा था। इस बात की पोल सिंध में बढ़े जलस्तर में फंसे 76 वाहनों ने खोल दी। ये मामले सामने आते ही जिला प्रशासन के अफसरों के हाथ पैर फूल गए। दिखावे की कार्रवाई की गई। रेत में फंसे वाहनों को जब्त किए जाने की कार्रवाई करते हुए लहार थाना पुलिस के सुपुर्द कर दिए गए।

रेत माफिया में गहरी पैठ

भिंड जिले में कुछ महीने पहले रेत खदान का टेंडर हुआ। ये टेंडर होने के बाद रेत उत्खनन पर बारिश का सीजन आते ही सितंबर महीने तक एनजीटी के नियमानुसार भिंड कलेक्टर डॉ सतीश कुमार एस ने रोक लगा दी। ऐसे में रेत उत्खनन का टेंडर लेने वाली कंपनी के कर्मचारियों ने भिंड कलेक्टर के आदेश को ताक पर रखा। यहां हर रोज वाहनों को नदी के तीर में भेजा जाता था। जहां से रेत को जेसीबी मशीन व पनडुब्बी से निकाल कर वाहनों में लोड कराया जाता था। जबकि रॉयल्टी, रेत कंपनी के कर्मचारी डंपिंग रेत का काटकर कागजों में खेल कर रहे थे। हालांकि इस बात की जानकारी खनिज विभाग के इंस्पेक्टर समेत दूसरे अफसरों को थी इसके बाद भी बेअनदेखी करते आ रहे थे।

76 वाहन फंसे तो जांच के लिए पहुंचा दल

  • सिंध नदी के पर्राचय घाट पर 20 जुलाई को होने वाली बारिश में 76 ट्रक, डंपर फंस गए। ये वाहन तेज बारिश के कारण नदी के तीर से वाहन नहीं निकल सके। इन वाहनों के चालकों ने पानी से निकलकर स्वयं की जान बचाई। ये मामला सामने आते ही भिंड कलेक्टर डॉ सतीश कुमार एस ने जांच दल गठित किया। जांच दल में लहार एसडीएम आरए प्रजापति, माइनिक विभाग के राकेश देशमुख, लहार थाना प्रभारी शिवप्रताप सिंह व लहार तहसीदार एवं मिहोना तहसीलदार को भेजा। 20 जुलाई को पानी अधिक होने पर 14 वाहनों की गिनती हो सकी जिन्हें कागजों में जब्त होना दर्शाया। दूसरे दिन 21 जुलाई को पुन: जांच दल पहुंचा जहां शेष 62 वाहनों को जब्त किए जाने की कार्रवाई की गई। इन वाहन मालिकों पर जुर्माना समेत दूसरी कार्रवाई की जाएगी। जांच दल ने अंदेशा बताया कि ये वाहन रेत उत्खनन के लिए नदी के तीर में पहुंचे थे। हालांकि जांच रिपोर्ट में ये बात भी कही गई कि ये वाहन नदी के किनारे पर थे।

माइनिंग टीम कहां गई थी?

  • हर रोज नदी से रेत को निकाला जा रहा था। रेत उत्खनन कराने वाली कंपनी के कर्मचारी सीधे नदी तक वाहनों को भेज रहे थे। ये सब का जानकारी माइनिंग विभाग को क्यों नहीं थी? आखिर माइनिंग विभाग का दल कहां निरीक्षण के लिए जाता है? ये सब सवालों के साथ जांच दल की रिपोर्ट में अब तक रेत कंपनी के कर्मचारियों का कही भी उल्लेख नहीं किया गया। सूत्र बताते है कि रेत कंपनी के कर्मचारियों को माइनिंग विभाग के अफसर के कहने पर जांच दल के अफसरों ने कही उल्लेख नहीं किया। इस पूरे मामले में रेत वाहनों के मालिकों पर नदी के किनारे तक वाहन ले जाकर रेत लाने की मंशा दर्शाई गई है। इसलिए वाहन मालिकों को दोषी ठहराते हुए कार्रवाई के लिए लिखा गया है।

कलेक्टर को जांच रिपोर्ट सौंपी

सिंध नदी के पर्राचय घाट पर दो दिन लगातार जांच दल पहुंचा। यहां 76 वाहन फंसे हुए पाए। इन वाहनों को जब्त किए जाने की कार्रवाई की गई है। ये वाहन नदी के किनारे पर फंसे है जोकि नदी से रेत लेने के उद्देश्य से गए थे। ये जांच रिपोर्ट भिंड कलेक्टर को सौंपी गई है।

आरए प्रजापति, एसडीएम, लहार

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