धार में बांध के लीकेज ने लोगों को किया बेघर …?

जान बचाने 500 फीट ऊंची पहाड़ी पर चढ़े ग्रामीण, बोले- हम गरीबों की जिंदगी दांव पर लगी…

मैं विंध्याचल रेंज की पहाड़ी पर बना कारम डैम हूं। चार साल पहले सन् 2018 में मेरा शिलान्यास और भूमिपूजन धार जिले के तत्कालीन प्रभारी मंत्री अंतर सिंह आर्य ने किया था। मेरी सरहद में आने वाले 8 गांव मुझमें पहले ही समा चुके हैं। हां, सोचा था, जब मैं बनकर तैयार हाे जाऊंगा ताे 42 गांवों के 10 हजार 500 हेक्टेयर में बने खेत लहलहाएंगे और गांवों में खुशहाली छाएगी… अब क्या कहूं… पहली ही बारिश में मुझमें दरार आ चुकी है, जिस पानी का मुझमें से रिसाव हो रहा है, नहीं पता था कि इससे दो जिलों के 18 गांव के लोगों की रातों की नींद उड़ जाएगी। लोगों का घर छिन जाएगा और वे पहाड़ी पर रहने को मजबूर हो जाएंगे।

मेरी सरहद के निचले हिस्से में बसे धार जिले के 12 गांव और खरगोन जिले के 6 गांव खाली हो चुके हैं। जहांगीरपुरा गांव हो या फिर फरसपुरा गांव, हर घर पर ताला लटक रहा है। मैं देख रहा हूं कि जहांगीरपुरा के बड़े-बुजुर्ग, महिलाएं, बच्चे सब घर छोड़कर 500 फीट से ज्यादा ऊंचाई वाली पहाड़ी पर रात बिता रहे हैं। चारों ओर सन्नाटा है… आप खुद ही जानिए मुझमें हुए लीकेज की वजह से परेशान हो रहे लोगों की व्यथा…

घर छोड़कर दो दिन से पहाड़ पर बैठीं तारू बाई, सीकोर बाई और सूरज बाई इस लापरवाही पर आगबबूला हैं। कहती हैं- मिट्टी से कहीं बांध बनते देखा है क्या? हम गरीबों की जिंदगी आज दांव पर लगी है। डैम से पानी की निकासी नहीं की और बारिश का पानी रोक दिया। बाल-बच्चे सब को लेकर रात में जान बचाने भागकर पहाड़ी पर चढ़े। डैम बनाने से पहले एक बार हमसे पूछ तो लेते, नदी में कितनी तेजी से पानी आता है। अब घर से कहीं और जाने का कह रहे हैं। हम कहीं नहीं जाएंगे, जो होगा… सो होगा।

तारू बाई, सीकोर बाई और सूरज बाई पहाड़ी पर हालात सामान्य होने का इंतजार कर रही हैं।
तारू बाई, सीकोर बाई और सूरज बाई पहाड़ी पर हालात सामान्य होने का इंतजार कर रही हैं।

आगे इन महिलाओं ने कहा- हमारा सब कुछ इसी गांव में है, हम तो कहीं जाने वाले नहीं हैं, चाहे फिर इसी पहाड़ी पर क्यों न रहना पड़े। बांध बनाया मिट्टी डालकर… सीमेंट की कमी पड़ गई थी क्या? गिट्‌टी-सीमेंट से बढ़िया डैम बनाना था। सीमेंट तो छोड़ो काली मिट्टी डालकर दीवार खड़ी कर दी। उनकी लापरवाही से हमारे बच्चे भूखे-प्यासे यहां पड़े हुए हैं। रातभर जागकर गुजार रहे हैं, कोई हमारे बच्चे, मवेशी-धन लेकर चला जाएगा तो क्या करेंगे। कहां भागकर जाएंगे, किसको-किसको लेकर भागेंगे। हमें जो होगा, यहीं हो जाए।

कुसुम बाई और अनार सिंह भी परिवार को लेकर पहाड़ी पर रहने चले गए हैं। वे बीच-बीच में घर आकर देखरेख कर रहे हैं।
कुसुम बाई और अनार सिंह भी परिवार को लेकर पहाड़ी पर रहने चले गए हैं। वे बीच-बीच में घर आकर देखरेख कर रहे हैं।

पानी पीने के बहाने घर आई महिला

कुसुम बाई का दर्द भी यही है। कहती हैं– मेरी इस गांव में रहते हुए उम्र होने को आई। कोई पानी हमें डुबो नहीं सकता। मुझे छोड़कर घर का हर सदस्य पहाड़ पर चढ़कर बैठा है। मैं भी पहाड़ पर ही बैठी थी। प्यास लगी और घर को भी देखना था तो पानी पीने के बहाने आ गई। रक्षाबंधन पर बेटियां आई थीं, राखी बांधने, यहां के हाल देखकर सब लौट गईं।

अनार सिंह कहते हैं- जन्म यहीं पर हुआ है। शाम को अनाउंसमेंट हुआ तो घर छोड़कर पहाड़ पर चले गए थे। भैंस-करियों को भी साथ ले गए थे। हम घर में 5 लोग हैं, हम तो चले गए, लेकिन बाकी सामान तो यहीं पर है, कहां लेकर जाएंगे। पानी आया तो सबकुछ बर्बाद हो जाएगा।

जहांगीरपुरा के लोग, बच्चे और महिलाओं को लेकर पहाड़ पर ठिकाना बनाए हुए हैं।
जहांगीरपुरा के लोग, बच्चे और महिलाओं को लेकर पहाड़ पर ठिकाना बनाए हुए हैं।

अलर्ट के बाद कई परिवार धर्मशाला में ठहरे

पुलिस-प्रशासन द्वारा अलर्ट जारी करने के बाद कई परिवार धामनोद की धर्मशाला में रुके हैं, तो कुछ स्कूल में आसरा लिए हुए हैं। कई लोग मवेशियों के साथ पहाड़ी पर रहने चले गए। गांव खाली हाेने के बाद गलियों को कटीली झाड़ियों और लकड़ी की बल्लियों की मदद से बंद किया गया है। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि परिवार के सभी सदस्यों को रिश्तेदारी में भेज दिया है। घर और मवेशियों की रखवाली के लिए अकेले ही यहां रुका हुआ हूं। दिनभर घर पर ही रहता हूं, रात में राहत शिविर में चला जाता हूं।

जहांगीरपुरा प्रशासन ने स्कूल को राहत शिविर के रूप में डेवलप किया है, यहां पर गांव के लोग रुके हुए हैं।
जहांगीरपुरा प्रशासन ने स्कूल को राहत शिविर के रूप में डेवलप किया है, यहां पर गांव के लोग रुके हुए हैं।

जहांगीरपुरा में लोग स्कूल में शिफ्ट

जहांगीरपुरा की बात करें, तो यहां भी अलर्ट जारी किया गया है। 50-60 घरों वाले इस गांव के कई लोग ऊंचाई पर बने स्कूल में शिफ्ट हो गए हैं, तो कुछ घरों पर ताला लगाकर रिश्तेदारों के घर चले गए हैं। उनका कहना है कि हम दहशत में हैं, लेकिन हम गांव छोड़ना नहीं चाहते थे। सुरक्षा के लिए मजबूरी में कदम उठाना पड़ रहा है। भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि यह आपदा टल जाए और हमारा गांव उसी प्रकार से खिलखिलाता रहे।

बांध के किनारे से पहाड़ को काटकर पानी निकालने के लिए नहर बनाई गई है।
बांध के किनारे से पहाड़ को काटकर पानी निकालने के लिए नहर बनाई गई है।

यह है पूरा मामला
धार जिले के भारुड़पुरा और कोठीदा गांव के बीच कारम नदी पर 305 करोड़ की लागत से बना डेम पहली ही बारिश में रिसने लगा है। गुरुवार शाम को लीकेज की जानकारी मिलने के बाद सुरक्षा की दृष्टि से धार के 12 और खरगोन के 6 गांवों को खाली करवाया गया है। बांध से पानी का प्रेशर कम करने के लिए शनिवार रात को कट लगाकर पानी छोड़ने का फैसला लिया गया। ये पानी कारम नदी से बहकर प्रभावित गांवों से होता हुआ महेश्वर में जाकर नर्मदा नदी में मिलेगा।

इससे पहले डैम से पानी खाली करने के लिए नहर खोदी जा रही थी, लेकिन चट्टान आने से खुदाई के काम में काफी दिक्कतें आ रही थी। वहीं मौसम विभाग ने भी भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। जिसके बाद सरकार ने डैम से पानी निकालने के लिए प्लान बदला। डैम की जिस वॉल में पानी का रिसाव हो रहा है, उसी में कट लगाकर पानी निकालने का निर्णय लिया। अब कट से डैम का पानी छोड़ा जा रहा है।

प्रशासन के साथ ही सामाजिक संस्थाएं भी लोगों की मदद को आगे आई हैं। वे भोजन समेत जरूरी सामान बांट रही हैं।
प्रशासन के साथ ही सामाजिक संस्थाएं भी लोगों की मदद को आगे आई हैं। वे भोजन समेत जरूरी सामान बांट रही हैं।
संभागायुक्त डॉक्टर पवन शर्मा अधिकारियों के साथ डैम की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
संभागायुक्त डॉक्टर पवन शर्मा अधिकारियों के साथ डैम की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।

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