ऐसा है इंदौर का प्रशासनिक अमला …? 70 अधिकारियों में से 10 के खिलाफ चल रही जांच, 19 सस्पेंड, आठ के लोकायुक्त में केस
हर काम की समय-सीमा तय करने और ऑनलाइन सिस्टम बनाने के बाद भी प्रशासनिक सिस्टम सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। सीएम हेल्पलाइन पर 15 से 17 हजार शिकायतें हर महीने आ रही हैं। कलेक्टर मनीष सिंह की सख्ती के बावजूद निचले कर्मचारी दांव दिखा ही देते हैं। यही कारण है कि जिला प्रशासन के 70 अधिकारी-कर्मचारियों के अमले में से 10 अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है तो 19 अब तक अलग-अलग मामलों में सस्पेंड हो चुके हैं। इन्हीं में से 8 के केस लोकायुक्त में तो 4 के केस जेएमएफसी, जिला कोर्ट या अन्य किसी कोर्ट में चल रहे हैं। कुछ में लोकायुक्त की जांच जारी है तो कुछ में आरोप पत्र पेश नहीं हुए हैं।
इनके खिलाफ कोर्ट में मामले
कर्मचारी महेश राठौर, बाबूलाल जाधव, राधा चारी, कमल बीसी, लक्ष्मीनारायण यादव, कृपाराम बीसी, अनिल बांगर, राहुल बीसी, रामजी तिवारी, धर्मेंद्र गुप्ता, सुबोध सुमेले, अभय भटोरे, नर्मदाप्रसाद निमारे, जाकिर हुसैन, ओम परमार, सुरेश घोड़ेला, मोनिका मोहर और दीपक यादव के खिलाफ जिला कोर्ट या जेएमएफसी में मामले चल रहे हैं। इन पर रिश्वत लेने या गड़बड़ियों की शिकायत है।
इनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही
स्थापना शाखा में ग्रेड-2 की ज्योति नायडू, राजेंद्र व्यास, नरेंद्र नरवरिया, मीना यादव, शोएब शेख की विभागीय जांच चल रही है। किसी पर राजस्व वसूली न करने, फाइलों में अवैध डिमांड, मोबाइल पर रिश्वत संबंधी बातचीत, बिना सूचना के गायब होने की शिकायतें थीं। एक जांच आरआई श्रीकांत तिवारी की है, जिन्होंने नायब तहसीलदार की हैसियत से अवैधानिक आदेश जारी कर दिया। आरआई संजय भदौरिया लंबे समय से गायब थे, वहीं मनोज शुक्ल, रामलाल खेड़ेकर और मनीषा साहू की भी सीएम हेल्पलाइन, सीमांकन में लापरवाही के मामले में जांच जारी है।
लापरवाही बर्दाश्त नहीं
जनता से जुड़े कामों में किसी भी तरह का भ्रष्टाचार या काम में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। जो अच्छा काम करेगा, उसे अपग्रेड करेंगे, जो बदमाशी या लापरवाही करेगा, उस पर कार्रवाई भी होगी। यही कारण है कि जिले में कई काम प्राथमिकता के आधार पर हो रहे हैं। – मनीष सिंह, कलेक्टर