अगर चाहें तो एक पीढ़ी के अंदर किसी भी देश की कायापलट हो सकती है
हिंदी के प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई ने कहा था : ‘इस देश की आधी ताकत लड़कियों की शादी में जा रही है। पाव ताकत छिपाने में जा रही है- शराब पीकर छिपाने में, प्रेम करके छिपाने में, घूस लेकर छिपाने में। बची पाव ताकत में देश का निर्माण हो रहा है, तो जितना हो रहा है, बहुत हो रहा है। आखिर एक चौथाई ताकत में कितना होगा?’
उनकी टिप्पणी आज भी सोलह आने सच है। इतिहास गवाह है कि एक पीढ़ी के अंदर किसी भी देश की कायापलट हो सकती है। जापान को देख लें, दूसरे विश्वयुद्ध में तबाह होने के बाद 20 साल में वो फिर अपने पैरों पर खड़ा हो गया। क्योंकि देश के पुनर्निर्माण में उन्होंने अपना 100% लगा दिया।
सोचिए, अगर सरकारी स्कूल का टीचर गर्व से कहे, मैंने इस साल कोई छुट्टी नहीं ली, क्योंकि मेरे बच्चों को मेरी जरूरत है।
अगर कॉर्पोरेटर कहे कि सड़क के कॉन्ट्रैक्ट में मैंने कोई कमीशन नहीं लिया क्योंकि शहर की सड़क अच्छे से अच्छी बननी चाहिए।
कॉन्स्टेबल कहे कि मैं पर्ची काटूंगा, घूस नहीं लूंगा, नियम का पालन देश के लिए जरूरी है।
अगर जज अगली तारीख ना देकर कहे कि बहुत समय बीत चुका, आज केस खत्म करते हैं, ताकि न्यायालय पर लोगों का विश्वास बना रहे।
अगर सांसद कहे कि चुनाव के पहले शराब बांटने से बेहतर मैं अपने क्षेत्र का विकास करूं। क्योंकि झूठे वादे अब नहीं चलेंगे।
अगर अफसर सिर्फ पोस्टिंग के लिए जितनी सिफारिश करते हैं, उतनी ऊर्जा अपनी करेंट पोस्टिंग में लगाएं। क्योंकि काम, काम होता है।
अगर मिनिस्टर कहे कि मैं संपूर्ण भारत को अपने परिवार का हिस्सा समझता हूं। क्योंकि उनका दायित्व मेरे कंधों पर है।
अगर उद्योगपति बैंक से उधार पैसों को वापस करने का प्रण ले, क्योंकि दूसरे की तिजोरी को अपनी तिजोरी सिर्फ चोर समझते हैं।
अगर राशन की दुकान चलाने वाले आटे-दाल में कंकड़ न मिलाएं, क्योंकि दूसरों को दुखी करके अपने को सुख कभी नहीं मिलता।
अगर डॉक्टर सेवाभाव से पेशेंट की जांच करें क्योंकि वो सचमुच भगवान का रूप हैं।
अगर सीए क्लाइंट्स के सच्चे रिटर्न फाइल करे। क्योंकि काला धन मन को भी काला करता है।
अगर विद्यार्थी परीक्षा में लगन और मेहनत से पास हो, क्योंकि नकल करने वाले की शक्ल पर अक्ल की कमी साफ दिखती है।
अगर निर्माता-निर्देशक फिल्म में संस्कृति का सम्मान करें, क्योंकि हमें भारतीय होने का गर्व है।
अगर पर्यटक इधर-उधर प्लास्टिक आदि न फेकें, क्योंकि विकसित देश वही है जो स्वच्छ है।
अगर आपके ऊपर इनमें से कोई भी टिप्पणी लागू नहीं होती, तो अपनी आय-व्यवसाय के अनुरूप खुद एक मिशन स्टेटमेंट बना लें। जिसमें सिर्फ आपका नहीं, देश का भी फायदा हो। ये मिशन स्टेटमेंट आप मुझे ईमेल करें,
इस प्रतिज्ञा के साथ कि आप उसे जरूर निभाएंगे। देश को हर नागरिक की 100% ताकत की जरूरत है, ताकि 2047 में हम गर्व से कह सकें कि भारत पूर्ण शिक्षित, पूर्ण-विकसित, शक्तिशाली देश है। हम नहीं किसी से कम, आओ, लगाएं पूरा दम। देश के निर्माण में, हम भी योगदान दें। जय हिंद।