भोपाल से होगी सेंट्रल इंडिया में बीमारियों की खुफिया निगरानी …?

NCDC सौ करोड़ की लागत से देश का पहला रीजनल सेंटर भोपाल में बनाएगी, जानिए क्या होगा फायदा…

स्वाइन फ्लू, जीका, निपाह, कोरोना जैसी बीमारियाें के मरीज बढ़ने से सरकार और मेडिकल एक्सपर्ट्स के सामने चुनौती पैदा हो जाती है। संक्रामक वायरस की जांच के लिए अभी सैंपल दिल्ली, पुणे भेजने पड़ते हैं। मप्र सहित सेंट्रल इंडिया में कोई लैब न होने से बीमारियों की समय से पहचान और रोकथाम नहीं हो पाती। सीबीआई की तर्ज पर बीमारियों की पहचान कर हालात को कंट्रोल करने के लिए भोपाल में NCDC (नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल) देश का पहला रीजनल सेंटर भोपाल में बनाएगी। 10 एकड़ जमीन पर सौ करोड़ की लागत से यह सेंटर बनाया जाएगा।

मंत्री सारंग के प्रयासों से भोपाल में बनेगा सेंटर

दरअसल कोरोना संकट के पहले भोपाल में एनसीडीसी की एक बायोसेफ्टी लेवल- 2 (BSL-2) लैब बनाने का प्रस्ताव बनाया गया था। इसके लिए पहले ईदगाह हिल्स पर जमीन देने की सहमति बनी लेकिन वहां अतिक्रमण न हटवा पाने के बाद इसे सीहोर जिले में बनाने का प्लान बना। फिर दूरी ज्यादा होने के चलते इसे एयरपोर्ट के पास जमीन देने की बात हुई लेकिन मप्र के स्वास्थ्य महकमे और जिला प्रशासन अफसरों ने इसमें ज्यादा रूचि नहीं दिखाई। इस मामले की जानकारी जब चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को हुई तो उन्होंने जिला प्रशासन और एनसीडीसी के अफसरों के साथ मीटिंग कर इसके लिए जमीन आवंटन कराने और रीजनल सेंटर बनाने के लिए खुद पहल शुरु की है।

NCDC के रीजनल सेंटर का प्रशासनिक सिस्टम ऐसा होगा
NCDC के रीजनल सेंटर का प्रशासनिक सिस्टम ऐसा होगा

CBI की तरह बीमारियों और आपदाओं पर रखेगा नजर

एनसीडीसी के अधिकारियों ने बताया कि भोपाल में एनसीडीसी का रीजनल सेंटर सीबीआई की तरह बीमारियों के प्रसार पर नजर रखेगा। इस सेंटर में आरटीपीसीआर जांच से लेकर जीनोम सिक्वेंसिंग, लेकर तमाम जांच की व्यवस्थाएं होंगी। बल्कि रिसर्च के लिए विशेषज्ञों की टीम काम करेगी।

भोपाल में एनसीडीसी का रीजनल सेंटर ऐसे करेगा काम

  • व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व के रोगों की उभरती प्रवृत्ति के माध्यम से कड़ी निगरानी रखेगी।
  • नवीनतम, अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए गंभीर रोगों की निगरानी। आईएचआईपी के विस्तार के साथ क्षेत्रीय आईडीएसपी को मजबूत होगी।
  • एपिडेमिक इंटेलिजेंस सर्विसेज (ईआईएस)। बीमारियों की रफ्तार को मॉनीटर करेगा।
  • निपाह वायरस जैसे विदेशी / जूनोटिक रोगजनकों का पता लगाना शामिल है। जीका वायरस, जेई, सीसीएचएफ स्क्रब टाइफस, सार्स, एच1एन1, इबोला, कोरोना जैसे वायरस की जांच के लिए होल जीनोम सिक्वेंसिंग की व्यवस्था रहेगी।
  • बायो सेफ्टी, बायो सिक्योरिटी के साथ ही जैविक खतरों में कमी आएगी। राष्ट्रीय माइक्रोबियल प्रतिरोध रोकथाम कार्यक्रम।
  • वायरल हेपेटाइटिस कार्यक्रम के लिए सहायता।
  • फंगल संक्रमण और वेक्टर जनित रोग।
  • जूनोटिक संक्रामक रोगों की निगरानी
  • अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों (IHR) के तहत रोग उन्मूलन, नियंत्रण से संबंधित विभिन्न राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों का क्रियान्वयन होगा।

भोपाल दौरे के वक्त केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दी थी हरी झंडी

बीते दिनों भोपाल के दौरे पर आए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने भोपाल में एनसीडीसी के रीजनल सेंटर बनाने की सहमति दी थी। PM – ABHIM के अंतर्गत देश के पांच राज्यों में एनसीडीसी के क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना की जाएगी। केन्द्र सरकार द्वारा चिन्हित शहरों में भोपाल, गुवाहाटी, देहरादून, अहमदाबाद एवं बेंगलुरु में होना है इस क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना होगी। मंत्री विश्वास कैलाश सारंग की पहल से मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य जो इस क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना के लिए कार्यवाही कर रहा है। मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने क्षेत्रीय एनसीडीसी केंद्र के लिए भूमि आवंटन के सम्बंध में आज बैठक की जिसमें दिल्ली से केन्द्र सरकार के एनसीडीसी के डायरेक्टर डॉ. सुजीत सिंह, संभागायुक्त भोपाल माल सिंह भयडिया , भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया एवं एनसीडीसी की टीम के सदस्य उपस्थित रहे। एनसीडीसी के क्षेत्रीय केंद्र हेतु भोपाल में भूमि आवंटन हेतु विस्तृत चर्चा हुई ।एनसीडीसी के क्षेत्रीय कार्यालय की आवश्यकता के अनुसार 10 एकड़ भूमि को भोपाल में चिन्हित किया जा रहा है जिसमे निर्माण कार्य, उच्च कोटि के उपकरण, फर्नीचर एवं मानव संसाधन आदि हेतु राशि रु 100 करोड़ की अनुमानित व्यय किया जाएगा।

ये हैं रीजनल सेंटर की मुख्य सुविधाएं

एपिडेमिक इंटेलिजेंस सर्विसेज

डिसीज ट्रांसमिशन डायनमिक्स

अत्याधुनिक जांच की सुविधा

जीनोम सिक्वेंसिंग

आईटी इनेबल्ड होगा

स्मार्ट इंस्टीट्यूट

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