इंदौर : निरीक्षकों से ये कैसी सहकारिता! …? फिर भी जमे हैं पदों पर..

11 माह पहले मंत्री ने 11 तबादले किए, हाई कोर्ट से भी राहत नहीं, फिर भी जमे हैं पदों पर…

सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया ने इंदौर के उपायुक्त कार्यालय में 10-15 साल से डटे 11 सहकारिता निरीक्षकों का ट्रांसफर तकरीबन 11 महीने पहले किया था। इन्हें इंदौर से चार-पांच सौ किमी दूर भिंड, मुरैना, टीकमगढ़, सीधी, उमरिया, डिंडौरी, शहडोल भेजा गया था। आदेश हाथ में आते ही निरीक्षक इसे रुकवाने के लिए हाई कोर्ट पहुंचे।

हाई कोर्ट ने किसी को भी स्थगन न देते हुए अपने विभाग में ही बात रखने के निर्देश दिए तो निरीक्षकों की तबीयत खराब हो गई। दिल की बीमारी, विकलांगता, हाई ब्लड प्रेशर के बहाने पदों पर जमे हुए हैं। इस बारे में सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया से बात करने की काफी कोशिश की गई, लेकिन वे उपलब्ध नहीं हो पाए।

इतने कर्मठ कि रिटायरमेंट के बाद भी आ रहे दफ्तर

विभाग में तबादले के बाद तो ठीक रिटायरमेंट के बाद भी कई अफसर जमे हुए हैं। एचएस तिवारी, सतीश खंडेलवाल, पीसी सोलंकी सहित दो और कर्मचारी अब भी नियमित कर्मचारियों की तरह आ रहे हैं।

ये हैं हाल; ट्रांसफर 450 किमी दूर हुआ तो निकला दिल का दर्द

निरीक्षक एमएम श्रीवास्तव तकरीबन 10 साल से यहां डटे हैं। उन्हें भिंड भेजा गया है, लेकिन ट्रांसफर आदेश मिलते ही दिल की बीमारी निकल आई। विभाग में प्रेजेंटेशन दिया कि पांच हजार रुपए महीने की दवाई चल रही है। इंदौर नहीं छोड़ सकता। इलाज कराने बार-बार जाना पड़ता है। भास्कर ने उनसे सवाल किए तो फिर वही दलील दोहरा दी, यहां इलाज चल रहा है।

23 सितंबर 2021 को 10 हजार की रिश्वत लेने वरिष्ठ निरीक्षक संतोष जोशी तेज चलकर दफ्तर के सामने की चाय दुकान पर गए थे। लोकायुक्त ने रंगेहाथ पकड़ा था। मंत्री ने ट्रांसफर आदेश दिया तो बायपास सर्जरी के पेपर लगा दिए। हालांकि पकड़े जाने के समय मंत्री ने अटैच करने के आदेश दिए थे, उपायुक्त कार्यालय की मदद से वह रिलीव ही नहीं हुए।

29 जुलाई 2021 को अपनी कुर्सी पर 10 हजार की रिश्वत लेते पकड़े गए निरीक्षक प्रमोद तोमर का भी भिंड ट्रांसफर किया गया था। पैर की विकलांगता के साथ ही कोलेस्ट्रॉल हाई होने का हवाला देकर ट्रांसफर नहीं किए जाने की बात कही। इसी आधार पर वे भी 11 महीने से इंदौर में डटे हुए हैं। विभाग में कोई इस पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है।

देवी अहिल्या हाउसिंग सोसायटी का कामकाज देखने वाले संजय कौशल की कार्यप्रणाली पर कलेक्टर भी टिप्पणी कर चुके हैं। कौशल को भी मुरैना भेजा गया था। उन्हें भी स्टे नहीं मिला। कौशल ने ब्लड प्रेशर, शुगर होने का हवाला देकर रिलीव नहीं करने का आवेदन दिया। माफिया के खिलाफ मुहिम की आड़ में इन्हें यहां से रिलीव नहीं किया गया।

इनका तबादला हुआ निरस्त

निरीक्षक सुनील रघुवंशी, सुरेश भंडारी ने अपने परिजन के बीमार होने का अभ्यावेदन विभाग में दिया। उनकी देखभाल करने की जिम्मेदारी, अस्पताल ले जाने की जवाबदारी, इंदौर में ही इलाज अनिवार्य होने का हवाला देकर प्रेजेंटेशन दिया था। इन दोनों का अभ्यावेदन मंजूर भी हुआ और तबादला भी निरस्त हो गया।

इन्हें नहीं छोड़ रहा विभाग
देवास से इंदौर आकर नौकरी करने वाले जगदीश जलोदिया ने भी ब्लडप्रेशर और शुगर के नाम पर ट्रांसफर नहीं किए जाने की गुहार लगाई थी। उनके इस आवेदन पर ही अब तक कोई विचार नहीं हुआ और रिलीव भी नहीं किया गया। कई प्रमुख संस्थाओं की जिम्मेदारी, माफिया मुहिम की जवाबदारी के चलते भी उन्हें नहीं छोड़ा जा रहा है।

सभी को रिलीव किया जाना है
सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव केसी गुप्ता का कहना है कि सभी ट्रांसफर आदेश लागू कर रहे हैं। तीन से चार निरीक्षकों के रिलीविंग आदेश फिर जारी कर रहे हैं। इलाज की सुविधा अन्य शहरों में भी है। इस आधार पर ट्रांसफर रोके नहीं जा सकते। उपायुक्त एम एल गजभिये के मुताबिक, तोमर और जोशी को रिलीव करने की प्रकिया पूरी हो गई है। इनका वेतन यहां से जारी नहीं होगा।

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