आजीवन कारावास के लिए प्रस्तावित नीति-2022 .. !
बच्चियों से दुष्कर्म के दोषी, आतंकवादी और जहरीली शराब बनाने वालों पर दया नहीं; अंतिम सांस तक जेल में ही रहेंगे …
प्रदेश में आजीवन कारावास 14 साल की सजा नहीं, बल्कि अंतिम सांस तक जेल में ही रहना होगा। जघन्य अपराध करने वालों यह नीति लागू होगी। इस तरह के अपराध में आतंकी, बच्चियों के साथ ज्यादती करने वाले, सामुहिक दुष्कर्म, जहरीली शराब बनाने वाले, विदेशी मुद्रा से जुड़े अपराधी और दो या दो से अधिक प्रकरण में हत्या के दोषी शामिल हैं।
इन अपराधियों को अब अंतिम सांस तक जेल में रहना होगा। इनमें शासकीय सेवकों की सेवा के दौरान हत्या का अपराध करने वाले दोषी भी शामिल होंगे। इसी तरह राज्य के विरुद्ध अपराध और सेना के किसी भी अंग से संबंधित अपराध करने वाले भी किसी रियायत का लाभ नहीं ले सकेंगे।
गुरुवार को मंत्रालय में विभिन्न अधिनियमों में आजीवन कारावास काट रहे बंदियों की रिहाई अवधि की प्रस्तावित नीति-2022 पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों से चर्चा की। वर्तमान में प्रदेश में वर्ष 2012 की नीति लागू है जिसके अनुसार आजीवन कारावास की अवधि 14 साल है।
वर्तमान में प्रदेश में 131 जेलों में अभी 12 हजार से अधिक बंदी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। गृह विभाग ने 10 राज्यों की नीतियों के अध्ययन के बाद प्रस्तावित नीति तैयार की है। इस समिति में एसीएस गृह, प्रमुख सचिव विधि और महानिदेशक जेल शामिल थे।
नई नीति- साल में चार बार हो सकेगी कैदियों की रिहाई
- आजीवन कारावास काट रहे धारा 376 के आरोपियों के दोषी भी 20 साल का वास्तविक कारावास और अन्य कारणों से 25 साल पूरा करने से पहले जेल से रिहा नहीं हो सकेंगे। जिन आजीवन कारावास के बंदियों को 14 साल या 20 साल की वास्तविक सजा के बाद रिहाई की पात्रता होगी।
- ये कैदी तभी रिहा होंगे जब कलेक्टर, एसपी और जिला अभियोजन अधिकारी की समिति अनुशंसा करेगी। यह प्रस्ताव जेल मुख्यालय जाएगा, जहां उसका परीक्षण किया जाएगा और अनुशंसा राज्य सरकार को भेजी जाएगी। जहां से स्वीकृति होना आवश्यक होगा।
- नई नीति के अनुसार अब साल में चार बार 15 अगस्त, 26 जनवरी, 14 अप्रैल और 2 अक्टूबर को कैदियों की रिहाई की जा सकेगी। इस नीति में जिला स्तरीय एवं जेल मुख्यालय की अनुशंसा पर राज्य सरकार की अनुमति आवश्यक होगी।
आतंकवादियों, दुष्कर्मियों के साथ कोई रियायत नहीं : शिवराज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आजीवन कारावास के ऐसे बंदी जो अच्छे व्यवहार, आचरण आदि के कारण समय पूर्व रिहाई का लाभ लेते हैं, वे अलग श्रेणी के हैं और आतंकी, बलात्कारी बिल्कुल अलग श्रेणी के अपराधी हैं। बलात्कार के मामलों में किसी तरह की स्थिति में कैदियों को समय से पूर्व रिहाई का लाभ नहीं मिलना चाहिए। ऐसे अपराधी समाज विरोधी हैं।