मध्य प्रदेश में बेरोजगारी बरकरार …!
पांच साल में सिर्फ 4421 को नौकरी मिली… चार करोड़ रुपए खर्च करने के बाद सरकार ने निजी एजेंसी से करार खत्म किया
प्रदेश में बेरोजगारों की तादाद हर साल बढ़ती जा रही है। स्थिति यह है कि प्रदेश में बेरोजगारी बरकरार है…सरकारी विभागों में नियुक्ति और भर्ती को लेकर खींचतान की स्थिति बनी हुई है। प्रदेश के विभिन्न विभागों में 1 लाख से ज्यादा पद खाली हैं। बावजूद इसके बेरोजगार युवाओं को नई नौकरियां कब मिलेंगी? इसका जवाब न तो सरकार के पास है और न ही रोजगार विभाग के अफसरों के पास।
पांच साल पहले यानी 2018 में प्रदेश सरकार ने युवाओं को नौकरी दिलाने के लिए जिस कंपनी यशस्वी एकेडमी फॉर टैलेंट मैनेजमेंट को जिम्मेदारी सौंपी थी, उसने सरकार की अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं किया। इसलिए रोजगार आयुक्त ने कंपनी से करार समाप्त कर दिया।
अब ऐसा माना जा रहा है कि पांच साल बाद दोबारा सरकार इन 15 जिलों के रोजगार दफ्तरों का संचालन खुद करेगी। कंपनी से दफ्तर हैंडओवर लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार ने पुणे की यशस्वी एकेडमी फॉर टैलेंट मैनेजमेंट कंपनी के साथ जो करार किया था उसमें तय हुआ था कि कंपनी 10 साल में मप्र के 11.80 लाख (5 साल में 2.70 लाख) युवाओं को नौकरी दिलाएगी।
इसके लिए कंपनी को 19.50 करोड़ रु. पेमेंट होगा। खुद कंपनी अब यह मान रही है कि उसने अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 तक सिर्फ 11680 लोगों और दूसरे साल में 75 हजार युवाओं को नौकरी दिलाई। इसमें से 55 हजार की सैलरी स्लिप भी सरकार को सौंपी दी।
पहले के तीन साल उसे दफ्तर संवारने में लग गए। लेकिन सरकार ने थर्ड पार्टी से ऑडिट कराकर ये साबित कर दिया कि पांच साल में सिर्फ 4421 को ही नौकरी दिलाई गई। जबकि ये आंकड़ा सही नहीं है। सरकार से कंपनी को अब तक 4 करोड़ 17 लाख रु. का भुगतान हुआ है।