ग्वालियर : ये कैसी सुरक्षा, 9 दिन से बंद 125 पाइंट पर लगे 569 सीसीटीवी कैमरे

ये कैसी सुरक्षा, 9 दिन से बंद 125 पाइंट पर लगे 569 सीसीटीवी कैमरे

कैमरे का एनुअल मेंटेनेंस का काम ओरिएन प्रो कंपनी को मिला है, जिसके पास ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, जबलपुर सहित प्रदेश के 11 जिलों का काम है। इस कंपनी ने ग्वालियर में जिन इंजीनियरों को मेंटेनेंस के लिए लगाया था, वह काम नहीं कर रहे।

ग्वालियर। पुलिस की तीसरी आंख, यानी सीसीटीवी कैमरे- यह तीसरी आंख नौ दिन से बंद पड़ी है। इसलिए शहर की सुरक्षा सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस अफसर कड़ी सुरक्षा के तमाम दावे करें, लेकिन इन दावों की कलई सीसीटीवी कैमरों ने खोल दी है। शहर के आउटर पाइंट से लेकर शहर के अंदर हर बाजार जहां हर रोज करोड़ों का कारोबार होता है वहां तक 125 पाइंट पर 569 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। इनमें से एक कैमरा भी चालू नहीं है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि ग्वालियर पिछले तीन दिन से हाईअलर्ट मोड पर था, क्योंकि प्रधानमंत्री की ट्रांजिट विजिट थी, दो दिन पहले से प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से लेकर देश के दिग्गज नेता और तमाम वीवीआइपी शहर में थे। दावा था कि चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है, हर जगह कैमरे से निगाह रखी जा रही है, लेकिन हकीकत यह है कि वीवीआइपी से घिरे शहर में ही कैमरे बंद पड़े थे। वीवीआइपी के आने से पहले यह हालात थे, वीवीआइपी शहर में रहे फिर यह लौट भी गए, लेकिन हालात नहीं सुधरे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस अधिकारी इसे लेकर कितने गंभीर हैं? नईदुनिया टीम ने इसे लेकर पड़ताल की, तब चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…आखिर क्यों बंद पड़ी है पुलिस की तीसरी आंख, कौन है इसके लिए जिम्मेदार, इतने गंभीर मामले में क्या कहते हैं जिम्मेदार।

यह है वजहः जब … टीम ने इस मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि नौ दिन पहले 11 सितंबर को अचानक यूपीएस में इलेक्ट्रिकल फाल्ट हुआ था, इसके बाद तेज धमाका हुआ जिससे पूरा सिस्टल कालेप्स हो गया। इसके बाद कैमरे बंद हुए और फिर यह कैमरे अब तक चालू नहीं हो सके। कैमरे का एनुअल मेंटेनेंस का काम ओरिएन प्रो कंपनी को मिला है, जिसके पास ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, जबलपुर सहित प्रदेश के 11 जिलों का काम है। इस कंपनी ने ग्वालियर में जिन इंजीनियरों को मेंटेनेंस के लिए लगाया था, वह काम नहीं कर रहे। पड़ताल में सामने आया, इन इंजीनियरों को करीब तीन माह से वेतन ही नहीं दिया गया। इसलिए काम नहीं कर रहे और शहर में लगे कैमरे इतनी लंबी अवधि तक बंद पड़े हैं। कंपनी इसके लिए जिम्मेदार हैं। यूपीएस में कुछ पार्ट्स हैं, जो बाहर से मंगवाए जाने का बहाना कंपनी द्वारा बनाया जा रहा है। यह जानकारी सीसीटीवी प्रभारी डीएसपी पाराशर ने दी।

आरोपितों के भागने का रूट नहीं मिला, कारण- कैमरे ही बंद थे: न्यू खेड़ापति कालोनी में वृद्धा की चेन लूटकर लुटेरा भागा। एक घर के बाहर लगे कैमरे में वह नजर आया, लेकिन पूरा रूट पुलिस को नहीं मिला। क्योंकि पुलिस के कैमरे ही बंद थे। इसी तरह हजीरा में हत्या करने के बाद बदमाश भागे। आउटर पाइंट पर लगे कैमरे बंद थे, इसलिए इनका भी पता नहीं लगा।

अब स्मार्ट सिटी और निजी कैमरों के भरोसे पुलिस: अब पुलिस स्मार्ट सिटी और निजी कैमरों के भरोसे है। शहर में स्मार्ट सिटी के कैमरे लगे हैं, लेकिन यह कैमरे चालान के लिए लगाए गए हैं। इनका एक्सेस पुलिस के पास नहीं है।

सीसीटीवी सर्विलांस सिस्टम पर एक नजर:

– 2016 में सीसीटीवी सर्विलांस सिस्टम लगा था। जिसमें 125 जंक्शन पर 569 कैमरे लगाए गए। पुलिस कंट्रोल रूम में बड़ी स्क्रीन लगी है।

– हनीवैल कंपनी का पांच साल तक इसके मेंटेनेंस का ठेका था। यह ठेका खत्म होने के बाद ओरियेन प्रो कंपनी को मेंटेनेंस का ठेका मिला है। 11 जिलों में मेंटेनेंस का काम पुलिस के पास है।

– पुलिस के कैमरे 2 मेगा पिक्सल के हैँ, रात में इनमें चेहरे स्पष्ट नहीं आते। पिक्सल फट जाते हैं।

 

 

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