हमीदिया हादसे में कलेक्टर सही या चश्मदीद नर्स? …..कलेक्टर की रिपोर्ट- प्लग में स्पार्क से लगी आग; घटना के वक्त मौजूद नर्स का दावा- वेंटिलेटर फटा था

हमीदिया कैम्पस के कमला नेहरू हॉस्पिटल में लगी आग की जांच रिपोर्ट और चश्मदीदों के बयान मेल नहीं खा रहे। कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट अविनाश लवानिया ने सरकार को प्रारंभिक जांच रिपोर्ट भेज दी है। इसमें वेटिलेंटर ब्लास्ट का जिक्र नहीं है। आग लगने की वजह प्लग में हुए स्पार्क को बताया है। जबकि, हादसे के वक्त SNCU वार्ड में ड्यूटी पर तैनात नर्स राजेश राजा बुंदेला का कहना है कि वेंटिलेटर फटने के बाद धुआं फैला था। कुछ और चश्मदीदों ने भी वेंटिलेंटर फटने की बात कही है। इससे सवाल उठ रहा है कि कलेक्टर की रिपोर्ट सही है या नर्स की आंखों देखी?

कलेक्टर ने रिपोर्ट में सरकार को बताया, संबंधित विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योत्सना श्रीवास्तव के मुताबिक 8 नवंबर की रात लगभग 8.30 बजे अस्पताल की तीसरी मंजिल पर आग लगी। नवजात शिशु क्रिटिकल वार्ड (SNCU) के आउट बर्न वार्ड में भर्ती एक बच्चे के वेंटिलेटर को ड्यूटी डॉक्टर और उनके सहयोगी ने चालू करने के लिए प्लग लगाया। थोड़ी देर बाद इसमें स्पार्क से आग लग गई। डॉक्टर ने फायर एक्सटिंग्विशर की मदद से आग बुझाने की कोशिश की।

वहीं, घटना के दौरान वार्ड में मौजूद स्टाफ नर्स राजेश राजा बुंदेला ने दावा किया है कि वेंटिलेटर में ब्लास्ट हुआ था। उन्होंने कहा था- मैं सामने बच्चे को क्लीयर कर रही थी। आउट बर्न वार्ड में ब्लास्ट हुआ था।

आग पर काबू पा लिया, लेकिन धुआं फैल गया
कलेक्टर की रिपोर्ट में बताया गया कि आग पर काबू पा लिया गया, लेकिन पूरे वार्ड में धुआं फैल गया और इसके बाद भी वेंटिलेटर के अंदर से धुआं निकलता रहा। इससे कमरे और आसपास काफी धुआं फैल गया। मेडिकल स्टाफ और बच्चों के परिजनों ने आसपास की खिड़कियों के कांच तोड़ दिए, जिससे धुआं बाहर निकल सके। साथ ही हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने भी तत्काल फायर ब्रिगेड को सूचित कर बुलाया।

4 नवजात को नहीं बचा सके
जिला प्रशासन, नगर निगम और पुलिस टीम सूचना मिलते ही घटनास्थल पर पहुंच गए और बचाव कार्य तेजी से किया गया। मेडिकल स्टाफ, प्रशासन और परिजन ने वार्ड में भर्ती सभी बच्चों को वार्ड से बाहर निकाला, लेकिन इस बीच 4 नवजातों को नहीं बचाया जा सका। विभागाध्यक्ष ने बताया कि 40 बच्चे वार्ड में भर्ती थे। इनमें से 36 बच्चों को सकुशल शिफ्ट किया गया। 4 बच्चों, जिनकी दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, उन्हें मॉर्च्यूरी भेजा गया। स्थिति सामान्य होने पर सकुशल शिफ्ट किए गए नवजात को उनके परिजनों को दिखाया गया।

सभी परिजनों ने बच्चों की पहचान की
रिपोर्ट में बताया गया कि सभी परिजनों ने अपने-अपने बच्चों की पहचान कर ली है। घटना में जिन 4 बच्चों की मृत्यु हो गई, उनमें से 3 बच्चों को उनके परिजन को पोस्टमॉर्टम के बाद सौंपा गया। एक बच्चे के परिजन ने संशय व्यक्त किया। इस वजह से उनकी सहमति से DNA सैंपल लेकर जांच के लिए लैब में भेजे गए।

डॉक्टर की रिपोर्ट : बाकी की मौत की वजह आग नहीं
GMC (गांधी मेडिकल कॉलेज) की शिशु रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. ज्योत्सना श्रीवास्तव ने बाकी बच्चों की मौत की वजह आग से होना नहीं बताया है। सिर्फ 4 बच्चों की ही आग की वजह से मौत होने की जानकारी दी है। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया, SNCU सिक न्यू बर्न केयर यूनिट में ऐसे बच्चे दाखिल होते हैं, जो प्री-मैच्योर हों या जन्मजात कोई गंभीर बीमारी हो। अस्पताल इन बच्चों का पूरी गंभीरता से उपचार करता है।

3 बच्चों की मौत हादसे से पहले
डेथ रजिस्टर के रिकॉर्ड के अनुसार, 3 बच्चों की मौत आगजनी से पहले ही हो चुकी थी। 4 बच्चों की मौत आग की घटना से हुई है। इनकी उम्र 1 से 9 दिन के बीच थी। इसके बाद हुई बच्चों की मौत अन्य कारणों से हुई है। आग लगने की घटना से इनका कोई संबंध नहीं है। उनके अनुसार, प्री-मैच्योर, जन्मजात कोई गंभीर बीमारी होने पर ही बच्चों की मौत हुई है।

:::कलेक्टर ने शासन को यह रिपोर्ट भेजी है।

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