सफलता के लिए गति से ज्यादा काम की क्वालिटी तय करें

सफलता के लिए गति से ज्यादा काम की क्वालिटी तय करें

“क्या हुआ अगर तुम्हें सिर्फ आईटीआई में प्रवेश मिला? क्या हुआ, तुम किसी फैक्ट्री में सिर्फ मैकेनिक या मशीन ऑपरेटर बन सकते हो और देश- दुनिया के टॉप कॉलेज से निकलने वालों की तरह कहीं के हेड नहीं बन सकते?’ आधुनिक समाज में ,जहां हर चीज इस आधार पर मापी जाती है कि सैलरी कितनी मोटी है, वहां आईटीआई पासआउट भी सालाना 29 लाख रु. तक कमा सकते हैं, जिसका ख्वाब अच्छे कॉलेज के पासआउट देखते हैं।

मेरा यकीन नहीं तो 23 साल के अवधूत पवार से पूछें, जिसने हाल में आईटीआई की है। अगले कुछ हफ्तों में वह भारत में नहीं दिखेगा क्योंकि वो जर्मनी, बर्लिन से 38 किमी उत्तर-पश्चिम दिशा स्थित, महज 10 हजार की आबादी और ढेर सारे बंगलों वाले एक छोटे-से कस्बे क्रेमेन में शिफ्ट हो रहा है। वहां, वह एक विनिर्माण फर्म में 29 लाख रु. सालाना के पैकेज पर नौकरी जॉइन कर रहा है।

आईटीआई विद्यार्थियों की अंतरराष्ट्रीय आवाजाही को बढ़ावा देने के लिए महाराष्ट्र सरकार की पहल वाले दूसरे बैच में अवधूत शामिल है। ये मत सोचें कि लाखों विद्यार्थियों में वही भाग्यशाली है, जिसे इतना पैकेज मिला।

चूंकि सैलरी 1 से 29 लाख रु. की रेंज में है, यहां तक कि किसान के बेटे उमेश गवांड के पास इलेक्ट्रिशियन का सर्टिफिकेट है, वह भी जापान के फुकुओका में एक विनिर्माण इकाई में नौकरी जॉइन कर रहे हैं। इसके अलावा सोलर टेक्नीशियन के रूप में प्रशिक्षित 45 छात्रों का एक बैच पहले ही सहयोगी परियोजना से सऊदी अरब जा चुका है।

इज़राइल में निर्माण क्षेत्र में प्रशिक्षित लोगों के जुटाने के प्रयास जारी हैं। कई विकसित देशों में गिरती युवा आबादी के कारण, वहां युवा श्रमिकों की भर्ती का दबाव है और जो देश ऐसे योग्य, मेहनती युवाओं की तलाश कर रहे हैं उनमें जर्मनी, जापान, इज़राइल, मध्य पूर्व, पश्चिमी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया आदि हैं।

वे न सिर्फ हुनरमंद कारीगरों की कमी से जूझ रहे हैं, बल्कि उस गैप को भरने के लिए क्वालिटी से भरे लोग देख रहे हैं। वहां, उत्पादकों व ग्राहकों के बीच परफेक्शन का अलिखित अनुबंध है। इसलिए वे ऐसे लोग चाहते हैं, जिनका एटीट्यूड ‘चलता है’ वाला न हो।

राज्य सरकारें कुशल कामगारों की अंतरराष्ट्रीय आवाजाही को बढ़ावा देने के लिए नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन इंटनेशनल, विदेश मंत्रालय से स्वीकृत भर्ती एजेंसियां और विदेशों के चैंबर ऑफ कॉमर्स से साझेदारी के भरपूर प्रयास कर रही हैं। युवाओं को भी कामकाज में गुणवत्ता बढ़ाते हुए ऐसे प्रयासों का फायदा उठाना चाहिए।

इलेक्ट्रीशियन, मैकेनिक या फिर मशीन ऑपरेटर होने में कुछ भी गलत नहीं है, बस जो भी करें, उसमें परफेक्ट हों। अंग्रेजी, जर्मनी, जापानी के अलावा अन्य भाषाओं का प्रशिक्षण देने वाले सेंटर जॉइन करें, क्योंकि स्थानीय भाषा आने से चयन प्रक्रिया में आसानी होती है।

जहां विद्यार्थियों को भाषा सीखने और प्रक्रिया शुल्क का भुगतान करना पड़ रहा है, वहीं राज्य सरकार अधिकृत प्लेसमेंट एजेंसियों के साथ साझेदारी करके चयन प्रक्रिया में मदद कर रही हैं और इसलिए एजेंसियों द्वारा धोखाधड़ी की आशंका लगभग शून्य है।

आप जो कुछ भी सीख रहे हैं, जहां भी सीख रहे हैं, सीखने की उस प्रक्रिया में सर्वश्रेष्ठ रहें, अनुशासित रहें, कुछ अतिरिक्त सीखें, जैसे विदेशी भाषा और फिर देखें कि ऑफर आपके पीछे-पीछे आएंगे। अगर आप कौशल से भरे ज्ञान के अलावा और कुछ चुन रहे हैं, तो फिर ऐसा क्षेत्र चुनें, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत ज्यादा अहमियत हो।

 सबसे पहले अपने मानक तय करें, जो कि आपके काम की गुणवत्ता में बेंचमार्क सेट करेंगे, इससे आप अपनी सपनों की तनख्वाह के लिए योग्य बन जाएंगे।

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