एएफआरसी ने 1.67 लाख तक बढ़ाई निजी कॉलेजों की MBBS की फीस, न्यूनतम 9 लाख सालाना
कॉलेजों की फीस तय …
एडमिशन एंड फी रेगुलेटरी कमेटी (एएफआरसी) ने 5 में से 3 प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फीस तय कर दी है। एमबीबीएस की फीस 67 हजार से 1.67 लाख तक की बढ़ोतरी की गई है। खास बात यह है कि एमबीबीएस की फीस न्यूनतम फीस जो पिछले साल तक 8.33 लाख थी। यह बढ़कर 9 लाख हो गई है।
यानी आगामी वर्षाें में जो भी नया प्राइवेट मेडिकल कॉलेज आएगा, उसमें एमबीबीएस की न्यूनतम फीस 9 लाख रुपए सालाना होगी। वहीं चिरायु मेडिकल कॉलेज और अमलताश मेडिकल कॉलेज की फीस तय होना शेष है। ऐसे में अधिकतम फीस में बदलाव हो सकता है। अभी अधिकतम फीस 11.41 लाख सालाना है।
एएफआरसी सचिवालय के सचिव डाॅ. डीए हिण्डोलिया ने बताया कि पिछले तीन सालों से न्यूनतम फीस में किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं हुई थी। वहीं दो प्राइवेट कॉलेजों ने अपना पक्ष रखने समय मांगा है। अगली मीटिंग में इनकी फीस तय हो सकेगी। डॉ. हिण्डोलिया ने बताया कि मेडिकल के पीजी कोर्स के लिए एनआरआई की सामान्य फीस से 3.5 गुना से घटाकर 3 गुना लेने का फैसला लिया गया है।
एमपीपीयूआरसी की अधिकतम फीस 15.14 लाख रुपए सालाना
मध्यप्रदेश प्राइवेट यूनिवर्सिटी रेगुलेटरी कमीशन (एमपीपीयूआरसी) द्वारा एमबीबीएस के लिए तय फीस एएफआरसी द्वारा तय फीस से ज्यादा है। एएफआरसी की तुलना में एमपीपीयूआरसी द्वारा तय एमबीबीएस की फीस में 3.73 लाख रुपए तक का अंतर है। एएफआरसी द्वारा पिछले सत्र की निर्धारित अधिकतम फीस 11.41 लाख है। जबकि एमपीपीयूआरसी ने अधिकतम फीस 15.14 लाख रुपए सालाना तय की है।
फीस बराबर करने की डिमांड...एएफआरसी की 23 सितंबर को हुई बैठक में एमीपीयूआरसी द्वारा प्राइवेट यूनिवर्सटी के मेडिकल कॉलेजों के बराबर फीस तय करने की डिमांड की थी, लेकिन एएफआरसी ने इसे मानने से इनकार कर दिया।
फीस सार्वजनिक नहीं करता एमपीपीयूआरसी
मध्यप्रदेश में प्राइवेट शैक्षणिक संस्थानों में संचालित प्रोफेशनल कोर्सेस की फीस दो अलग-अलग एजेंसी तय कर रही हैं। एक है एएफआरसी जो शासकीय विश्वविद्यालय से संबद्ध प्राइवेट कॉलेजों की फीस तय करती है। दूसरी मध्यप्रदेश प्राइवेट यूनिवर्सिटी रेगुलेटरी कमीशन (एमपीपीयूआरसी) जो प्राइवेट यूनिवर्सिटी की फीस तय करती है। एएफआरसी फीस करने के बाद तत्काल अपने पोर्टल afrcmp.org/ पर फीस सार्वजनिक कर देती है।, लेकिन एमपीपीयूआरसी द्वारा फीस पोर्टल पर जारी नहीं की जाती। ऐसे में विद्यार्थी इस बात को क्रॉस वेरिफाई नहीं कर पाएंगे कि प्राइवेट यूनिवर्सिटी विद्यार्थियों से जो फीस ले रही हैं वो सही है या नहीं।