RTI एक्टिविस्ट अपहरण केस ..!

 मोबाइल की लाइव लोकेशन लेकर की जा रही थी निगरानी, आरोपी के फोन से खुला राज
गौरतलब है कि 4 अक्टूबर की दोपहर को दिल्ली के रहने वाले 23 वर्षीय अक्षय मनचंदा का अपहरण हो गया था। उत्तर-पश्चिम जिला पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी होटल कारोबारी देव को गिरफ्तार कर लिया था।
 आरटीआई एक्टिविस्ट अक्षय मनचंदा की निगरानी के लिए होटल मालिक ने उसके मोबाइल की लाइव लोकेशन भी रखी हुई थी। इस बात का खुलासा आरोपी होटल मालिक देव के फोन की जांच से हुआ था। वहीं देव पर वर्ष 2019 में भी एक युवक के अपहरण की एफआईआर दर्ज हुई थी। अभी तक उस अपहृत युवक का पता नहीं चल पाया है, इसलिए पुलिस ने नए सिरे से इस मुकदमे की जांच शुरू कर दी है।

गौरतलब है कि 4 अक्टूबर की दोपहर को 23 वर्षीय अक्षय मनचंदा का अपहरण हो गया था। उत्तर-पश्चिम जिला पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी होटल कारोबारी देव को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में मालूम हुआ कि देव ने अपने साले अमित, भाई सुमित एवं दोस्त सागर के साथ मिलकर अपहरण की साजिश रची थी।

अवैध तरीके से उपलब्ध कराई गई थी लोकेशन, पुलिस कर रही जांच

जांच में सामने आया था कि ये लोग कई दिनों से अक्षय पर नजर रखे हुए थे। यहां तक कि सागर ने देव को अक्षय के मोबाइल की लाइव लोकेशन भी भेजी थी। देव के मोबाइल से इस बात का खुलासा हुआ है। अब पुलिस की जांच में अवैध तौर पर मोबाइल लोकेशन उपलब्ध कराने का मामला भी जुड़ गया है। फिलहाल सागर की गिरफ्तारी के बाद ही इस बात का खुलासा होगा कि उसने किससे लोकेशन ली थी।

देव पर 2019 में भी अपहरण का केस दर्ज, अभी तक युवक का पता नहीं चला

वहीं देव पर वर्ष 2019 में कोर्ट के आदेश पर एक युवक के अपहरण का मुकदमा दर्ज हुआ था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि रुद्रमणि नाम का युवक 31 दिसंबर 2016 को देव से मिलने के लिए आया था। उसने इसकी जानकारी परिजनों को दी थी, लेकिन तब से वह लापता हो गया। स्थानीय पुलिस द्वारा एफआईआर नहीं करने पर उसके पिता रमेश ने कोर्ट का सहारा लिया। अभी तक युवक का पता नहीं चल पाया है। फिलहाल पुलिस इस मामले की दोबारा से जांच शुरू कर रही है।

फर्जी नम्बर प्लेट का इस्तेमाल, फिर मुकदमा दर्ज नहीं

अक्षय के अपहरण में जिस कार का इस्तेमाल हुआ था उस पर एसयूवी की नम्बर प्लेट लगी हुई थी। देव के फोन से नंबर प्लेट की फोटो भी मिली है। जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने सोनीपत स्थित कारोबारी की एसयूवी के वीआईपी नंबर का इस्तेमाल किया था। हालांकि, अभी तक एफआईआर में इस फर्जीवाड़े की धारा नहीं जोड़ी गई है। वहीं, वारदात में शामिल अऩ्य आरोपी अभी भी फरार चल रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *