शिमला : कांग्रेस की 80% वोटर्स साधने की कोशिश ..!

कांग्रेस की 80% वोटर्स साधने की कोशिश:10 गारंटी
 49 फीसदी फीमेल टारगेट; 29% नौजवान कवर; न बागवान छोड़े और न स्कूली बच्चे

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 के रण में कांग्रेस 10 गारंटियों के साथ उतरी है। मकसद किसी भी कीमत पर चुनाव जीतना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल में भाजपा के मिशन रिपीट का जिम्मा खुद संभाल रखा है। इधर, कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी PM की रैलियों का माकूल जवाब देने का प्रयास किया है।

राजनीति के पंडितों की मानें तो कांग्रेस ने 10 गारंटियां देकर हिमाचल के 80 फीसदी से भी अधिक वोटर को साधने का प्रयास किया। कांग्रेस ने समाज के हर वर्ग, युवाओं से लेकर महिलाओं तक, कर्मचारियों से लेकर किसानों-बागवानों, ग्रामीणों-किसानों और स्कूली बच्चों तक को कवर किया है।

हिमाचल चुनाव से आसान होगी 2024 की राह

हिमाचल चुनाव से कांग्रेस के लिए 2024 लोकसभा चुनाव की राह आसान हो सकती है। 2023 में 9 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने के ठीक बाद 2024 के लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश, गुजरात के साथ ही 2023 के चुनावी राज्यों में भी जीत दर्ज करनी होगी, वरना 2024 के चुनाव में विपक्ष तो दूर UPA का नेतृत्व करने में भी उसे चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

कांग्रेस ने गारंटी तो दे दी, अब यह चुनौती

अब इन गारंटियों को जनता के बीच ले जाना कांग्रेस के लिए चुनौती है, क्योंकि भाजपा इन गारंटियों को झूठी बताने में जुट गई है। कांग्रेस की गारंटियों को देखें तो इनमें आम जनता को राहत देने की बात है। समाज का हर वर्ग महंगाई व बेरोजगारी से परेशान है। इसी पर कांग्रेस ने फोकस किया है, लेकिन संगठन में बिखराव और गुटबाजी के चलते मिशन पूरा होता नजर नहीं आता। प्रदेश में पार्टी की लीडरशिप ही 2 गुटों में बंटी है। चुनाव जीत भी गए तो आपसी फूट शुरुआत में अविश्वास की कगार पर खड़ा कर देगी।

सत्तारूढ़ भाजपा इसलिए PM को बना रही चेहरा

कांग्रेस नेता सोच समझकर गारंटी देने की बात कर रहे हैं। इन गारंटियों के ऐलान के बाद भाजपा भी सोचने को मजबूर है। यही वजह है भाजपा अपने 5 साल की उपलब्धियां गिनाने के बजाय PM मोदी पर निर्भर हो गई है और हिमाचल में पीएम को चेहरा बनाने की अब तक कोशिश की गई है, लेकिन जनता इस बात को बखूबी समझती है यह चुनाव लोकसभा नहीं, बल्कि विधानसभा का है। हिमाचल की सरकार मोदी ने नहीं चलानी।

बेरोजगारी और महंगाई पर BJP मौन

राज्य ने बेरोजागरी व महंगाई पर बीजेपी मौन है। इनका कोई भी नेता इस मुद्दे पर जवाब नहीं देने को तैयार नहीं है। बागवानी का भी बहुत बड़ा मुद्दा है। इस पर भी भाजपा की खामोशी नहीं टूटी। पीएम मोदी ने भी अपने तीन दौरों के दौरान महंगाई व बेरोजगारी पर कुछ नहीं बोला। इसी का फायदा उठाते हुए कांग्रेस ने इन सब पर अपनी 10 गारंटियां जनता को दी है।

वीरभद्र सिंह की कमी काफी खल रही
कांग्रेस ने इसी साल अप्रैल 2022 में संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और मंडी से लोकसभा सांसद प्रतिभा सिंह को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया। वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया। छोटे से राज्य हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पंजाब और उत्तराखंड की तरह कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए थे, लेकिन गुटबाजी से निजात नहीं मिली।

पार्टी लीडरशिप ही गुटबाजी से जूझ रही
कांग्रेस लंबे वक्त तक हिमाचल प्रदेश की सत्ता में रही है, लेकिन वह प्रदेश में पार्टी लीडरशिप में ही गुटबाजी से परेशान है। कुलदीप सिंह राठौड़, सांसद प्रतिभा सिंह, वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू, आशा कुमारी, रामलाल ठाकुर और मुकेश अग्निहोत्री के अपने-अपने गुट हैं।

कांग्रेस को लोकप्रिय चेहरे की जरूरत
हिमाचल में पिछले साल हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने 4-0 से सत्तारूढ़ भाजपा को करारी शिकस्त दी। इससे कांग्रेस नेताओं और वर्कर्स के हौसले बुलंद हैं, लेकिन 5 प्रदेशों में मिली करारी हार से कांग्रेसियों का मनोबल गिरा है। ऐसे में कांग्रेस को ऐसा लोकप्रिय चेहरा चाहिए, जो सभी नेताओं को साथ लेकर चले और जन समर्थन भी जुटा सके।

कई दिग्गज नेता छोड़ चुके पार्टी
पवन काजल, आश्रय शर्मा, लखविंदर सिंह राणा, हर्ष महाजन जैसे कई दिग्गज चुनाव से पहले ही कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं। इनके अलावा भी कई नेता, जो जनता के बीच लोकप्रिय हैं, लेकिन चुनावी बेला में खुलकर सामने नहीं आ रहे। न प्रचार में सहयोग है और न ही जनसंवाद कर रहे। इस समय चुनाव प्रचार का जिम्मा पूरी तरह से प्रियंका गांधी ही संभाल रही हैं।

वीरभद्र ने अपने बूते कई बार दिलाई सत्ता
हिमाचल की राजनीति में वीरभद्र सिंह ऐसा चेहरा रहे, जिन्होंने अपने बूते कांग्रेस को कई बार सत्ता दिलाई। चुनाव की घोषणा होते ही वीरभद्र सिंह के सभी विधानसभा हल्कों में दौरे शुरू हो जाते थे। उनका रसूख इतना बड़ा था कि पार्टी की कमियां भी उनके कद के आगे छिप जाती थीं। इसकी बानगी पिछले साल मंडी संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में साफ दिखी।

2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यह सीट 4 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीती थी। पिछले साल उप-चुनाव में यहां से वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह सांसद चुनी गईं। राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिले में सत्तारूढ़ भाजपा को मुंह की खानी पड़ी, लेकिन इस चेहरे की कमी खूब खल रही है।

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