जन्म से पहले भी बौनेपन का चल सकता है पता

 यह वो शब्द है जो लोगों के लिए हंसी का कारण है। जिन्हें लोग अपने बच्चों को दिखाने सर्कस में ले जाते हैं। इन्हें हाड़-मांस तक का नहीं समझा जाता। उनके साथ इंसानियत नहीं दिखाई जाती। इनकी कद का मजाक बनाने के लिए हम अपनी सोच तक बौना कर देते हैं।

घर में बच्चे की हाइट अगर दूसरे सदस्यों से थोड़ी सी भी कम रह गई, तो दूसरे सदस्य उसे बौना बोलकर चिढ़ाते हैं। जब आप सर्कस के बौनों की कहानियां सुनेंगे, तो ज्यादातर लोगों को उनकी कम हाइट की वजह से पेरेंट्स ही घर से निकाल देते हैं।

आज सिचुएशन थोड़ी बदली है। सोशल मीडिया पर कई ऐसे लोग है, जो अपने टैलेंट को प्रूव कर रहे हैं। अब बिग बॉस का 16वां सीजन ही देख लीजिए। कंटेस्टेंट अब्दु रोजिक 19 साल के हैं। उनका कद है 3 फिट 3 इंच। पॉपुलैरिटी के मामले में अब्दु के सामने सब छोटे हैं।

क्या आपने कभी सोचा है कि किन वजहों से किसी की हाइट नॉर्मल से भी कम रह जाती है। बौनापन को बचपन में ही ठीक क्यों नहीं किया जा सकता? क्या ये बीमारी किसी को भी हो सकती है ? इन सवालों का जवाब देंगे – डॉ अशोक गावड़ी, कंसलटेंट, पीडियाट्रिक्स, अपोलो हॉस्पिटल, नवी मुंबई

 

सवाल 1– क्या बौनापन कोई बीमारी है ?

जवाब- नहीं, बौनापन कोई बीमारी नहीं है बल्कि ये बीमारी का एक लक्षण है। बिग बॉस के कंटेस्टेंट अब्दु रोजिक के उदाहरण से इसे समझते हैं– वे ग्रोथ हार्मोन की कमी से जूझ रहे हैं। उन्हें रिकेट्स है। इसे सूखा रोग भी कहते हैं, यह विटामिन डी की कमी की वजह से होता है। इसके साथ उन्हें हार्मोन डेफिशिएंसी भी है। इस वजह से उनकी फिजिकल ग्रोथ आम इंसान की तरह नहीं हो सकती है।

सवाल- ऊपर ग्राफिक में लिखा है बच्चे के जन्म से पहले, डिलीवरी के वक्त या बाद में ग्रोथ हार्मोन में कमी हो सकती है, ऐसा क्यों ?

जवाब- ऐसा पिट्यूटरी ग्लैंड या हाइपोथेलेमस डैमेज होने की वजह से हो सकता है

सवाल- पिट्यूटरी ग्लैंड या हाइपोथेलेमस डैमेज होने के बाद ग्रोथ हार्मोन में कमी के लक्षण जन्म के बाद कितने समय के अंदर नजर आने लग जाते हैं ?

जवाब- जन्म होने के 2 साल के अंदर इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

सवाल- जिस ग्रोथ हार्मोन की कमी के कारण लोग बौने हो जाते हैं, उसके लक्षण क्या है ?

जवाब- ग्रोथ हार्मोन की कमी के लक्षण ये हैं

  • नॉर्मल बच्चों से छोटा चेहरा
  • गोलमटोल बॉडी
  • हेयर ग्रोथ न होना
  • प्यूबर्टी देर से आना

सवाल- अच्छा क्या बौनेपन का पता लगाने के लिए कोई टेस्ट भी होता है या नहीं ?

जवाब- बिल्कुल, इसके लिए टेस्ट होता है-

  • हार्मोन टेस्ट
  • एक्स-रे से व्यक्ति की उम्र और हड्डी की उम्र का एनालिसिस
  • थायराइड टेस्ट
  • ब्रेन का MRI टेस्ट

अब तक हमने बात की बौनेपन की समस्या पर, अब बात करते हैं, इसके इलाज पर-

सवाल- जिस ग्रोथ हार्मोन की वजह से बौनेपन की समस्या आती है, क्या उसका इलाज संभव है ?

जवाब- आर्टिफिशियल ग्रोथ हार्मोन के इंजेक्शन या रिकॉम्बिनेंट DNA टेक्नोलॉजी से कुछ हद तक इसका ट्रीटमेंट संभव है।

अगले सवाल में जाने से पहले एक बार ज्योति किशन आम्गे के बारे में जान लेते हैं।

ज्योति किशन आम्गे ने अमेरिका की ब्रिगेट जॉर्डन को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे छोटी कद की महिला का रिकॉर्ड अपने नाम किया है।

अब्दु की तरह क्या आप ज्योति किशन आम्गे को भी जानते हैं? ये दुनिया की सबसे छोटी महिला हैं। इनकी हाइट 62.8 सेंमी है और इनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। आपको लग रहा होगा हम ग्रोथ हार्मोन बताते-बताते अचानक ज्योति पर क्यों आ गए।

दरअसल, बौनेपन की वजह से सिर्फ ग्रोथ हार्मोन नहीं है, इसका दूसरा कारण भी है। जिसकी शिकार ज्योति हैं। ज्योति को ऐकोन्ड्रोप्लेजिया नाम की बीमारी है। ऐकोन्ड्रोप्लेजिया एक जेनेटिक बीमारी है, जो बौनेपन की सबसे कॉमन वजह है।

सवाल- ऐकोन्ड्रोप्लेजिया, जो जेनेटिक बीमारी है, इसमें क्या होता है ?

जवाब- इस बीमारी में शरीर में फाइब्रोब्लास्ट ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर नाम का प्रोटीन ठीक से काम करना बंद कर देता है। इस वजह से हड्डी की ग्रोथ नहीं होती और हाइट कम रह जाती है। इसमें इंसान के शरीर के हाथ-पैर छोटे और चेहरा बड़ा होता है। कुछ लोगों की पीठ (स्पाइन) भी झुकी होती है। इसे सर्जरी से ठीक किया जा सकता है।

सवाल- बौनेपन की 2 वजह तो पता चल गई और किन-किन बीमारियों की वजह से लोग बौने रह जाते हैं ?

जवाब- कई जेनेटिक कारणों से शरीर में बौनापन दिख सकता है। कभी-कभी ये पोषण की कमी से भी हो सकता है। वेब एमडी की एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 400 बीमारियों की वजह से बौनापन हो सकता है।

सवाल- जेनेटिक बौनेपन की समस्या का इलाज संभव है ?

जवाब- बीमारी जेनेटिक है या हार्मोनल इस हिसाब से कुछ हद तक इसका ट्रीटमेंट संभव है-

  • बैक ब्रेस लगाकर स्पाइन की बनावट को ठीक किया जा सकता है।
  • फिजियोथेरेपी से हड्डियां और मसल्स मजबूत होती हैं।
  • ऊबड़-खाबड़ दांत को ठीक किया जा सकता है।
  • रिकॉमबिनेंट DNA टेक्नोलॉजी से कुछ हद तक इसका इलाज संभव है।

बहुत से नॉर्मल लोग इस स्टोरी को पढ़ रहे होंगे, उन्होंने कभी न कभी बौने लोगों का मजाक उड़ाया होगा। लेकिन क्या कभी अपने सोचा हैं कि बौने लोगों को भी कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। जैसे-

फिजिकल-

  • आर्थराइटिस
  • स्पाइन का सकरा होना
  • बैक पेन
  • सांस लेने में दिक्कत
  • हाइड्रोसीफेलस ( सिर में पानी भर जाना)
  • बार-बार कानों में इन्फेक्शन या बहरापन

मेंटल –

  • लो सेल्फ एस्टीम (खुद को कमजोर समझना)
  • लो कॉन्फिडेंस
  • खुद की दूसरों से तुलना करना
  • चिड़चिड़ापन

अगली बार जब भी कम कद का कोई दिखें तो उस पर हंसने की जगह अपनी बौनी सोच की हाइट बढ़ाने की कोशिश जरूर करना

चलते-चलते

सबसे ज्यादा उत्तरप्रदेश के बच्चे बौनेपन का शिकार

  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2015-16 में देश में पांच साल से कम उम्र के 43.8 फीसदी बच्चे बौनेपन का शिकार थे। 5 साल बाद यानी 2019-21 में जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक यह प्रतिशत 40.9 के करीब थी। इसका मतलब बच्चों में बौनेपन की समस्या कम हुई है।
  • हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के ही अनुसार, नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों से लेकर हरियाणा तक के बच्चों में बौनापन बढ़ रहा है। यहां पांच साल से कम उम्र के पैदा होने वाले तकरीबन 39.5 फीसदी बच्चों की हाइट अपनी उम्र के हिसाब से नहीं है।
  • त्रिपुरा में पिछले 5 साल के अंदर 10 फीसदी से ज्यादा बच्चों में बौनेपन की समस्या देखी गई है।
  • ये आंकडे बताते हैं कि पूरे देश में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के बच्चे बौनेपन का शिकार हो रहे हैं।
  • तमिलनाडु में इसी उम्र के बच्चों में छह फीसदी के करीब बौनेपन की समस्या बढ़ी हुई पाई गई।
  • नागालैंड जहां 5 साल से कम उम्र के तकरीबन 50 फीसदी से ज्यादा बच्चों में बौनापन पाया गया।
  • मेघालय में यह प्रतिशत तकरीबन डेढ़ फीसदी रहा।

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