भोपाल : ऐसे करेंगे नशामुक्ति…:!

ऐसे करेंगे नशामुक्ति…:रीवा में एक साल में सबसे ज्यादा 1700 नारकोटिक्स वॉलंटियर, भोपाल फिसड्‌डी, एक साल में सिर्फ 23
राजधानी के थाना प्रभारी नारकोटिक्स वॉलंटियर बनाने में नहीं दिखा रहे हैं दिलचस्पी ….

यह वॉलंटियर स्कूल-कॉलेज में साथियों को नशा करने से रोकते हैं। मादक पदार्थ की सप्लाई करने वालों की सूचना पुलिस को देते हैं। पुलिस के अफसर भी वॉलंटियर के संपर्क में रहते हैं। पुलिस मुख्यालय की नारकोटिक्स शाखा ने पिछले साल सितंबर से गली, मोहल्लों एवं कॉलोनियों के लोगों को नारकोटिक्स वॉलंटियर बनाना शुरू किया था। इनका काम मादक पदार्थों की सप्लाई करने वालों को रोकना है।

यदि समझाइश के बाद भी वे नहीं मानते तो इनकी जिम्मेदारी अपने क्षेत्र के थाना प्रभारी को सूचना देकर कार्रवाई कराने की है। थाना प्रभारी समेत अन्य अफसरों की जिम्मेदारी तय की गई थी कि वे अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा लोगों को वॉलंटियर बनाएं।

रीवा के वॉलंटियर सोशल मीडिया पर करते हैं प्रचार

रीवा जिले में गांजा और कफ सिरप कोरेक्स के नशे का ज्यादा चलन है। यहां ज्यादातर स्टूडेंट्स वॉलंटियर बने हैं। इन स्टूडेंट्स ने खुद नशा छोड़ा और अपने साथियों को भी नशे से दूर किया। नशामुक्ति के लिए चलने वाले अभियान में यह स्टूडेंट्स बच्चों को इकट्ठा कर रैलियां निकालते हैं।

पुलिस के लिए काम करते हैं। एसपी नवनीत भसीन भी हर दूसरे दिन इन वॉलंटियर्स से मिलते हैं। एक वॉलंटियर की सूचना पर पिछले दिनों पुलिस ने कफ सिरप की 40 पेटियां पकड़ी थीं। वॉलंटियर बनाने में छिंदवाड़ा दूसरे और इंदौर तीसरे स्थान पर है। भोपाल के थाना प्रभारी वॉलंटियर बनाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।

इसलिए पड़ी जरूरत…

स्कूल-कॉलेज के छात्रों में नशे की लत बढ़ रही है। उन्हें यह नशा घर के पास मिलता है। मादक पदार्थों के सप्लायर्स को गली-मोहल्लों की जानकारी होती है। ऐसे में नशे का कारोबार खुलेआम होता है। इसलिए पुलिस मुख्यालय की नारकोटिक्स शाखा ने यह योजना बनाई थी।

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