महिलाओं का कर्ज ब्यौरा …!
कुल कर्ज में महिलाओं की हिस्सेदारी भी अब मप्र में डबल डिजिट में पहुंच चुकी है। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के ताजा आंकड़े बताते हैं कि मप्र में बैंकों का कुल कर्ज का पोर्टफोलियो 2.42 लाख करोड़ का था। इसमें 17% से अधिक कर्ज (41,794 करोड़ रुपए) महिलाओं को दिया गया। वर्तमान समय में 16.38 लाख महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने कम से कम 1 लाख रुपए का कर्ज बैंक से लिया है। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) के समन्वयक तरसेम सिंह जीरा कहते हैं, महिलाएं अब हर तरह के कर्ज लेने आगे आ रहीं हैं। पढ़ाई अपवाद नहीं है। महिलाएं एकल आवेदक के रूप में होम लोन लेती हैं। खुद के छोटे और मझौले उद्योगों के लिए कर्ज लेने भी अपनी साख पर आगे आ रहीं हैं। अगले एक दशक में आधी आबादी की कर्ज में भी आधी हिस्सेदारी हो जाएगी।
61 लाख महिलाओं के पास सामान्य बैंक खाते, 1.89 करोड़ के पास जन धन खाते
मप्र में कुल महिलाओं के पास 61.14 लाख बैंक खाते हैं। अगर जीरो बैलेंस वाले जन धन खातों की बात करें तो इनकी संख्या 1.89 करोड़ है। कुल बचत खाते में जमा धन 39,194 करोड़ रुपए है। यह बैंकों में कुल जमा धन 3.03 लाख करोड़ रुपए के 12% से ज्यादा है।
कुल कर्ज
2016 में कुल 14.38 लाख महिलाओं ने 23,816 करोड़ रुपए के कर्ज लिए। इसकी तुलना में कुल कर्ज 207,899 करोड़ के कर्ज बांटे गए। कुल कर्ज में हिस्सेदारी 11.45% थी। 2022 में यह हिस्सेदारी बढ़कर 37.49 लाख महिलाओं ने कुल 41,794 करोड़ रुपए के कर्ज लिए। इनमें से 1 लाख रुपए से अधिक का कर्ज लेने वाली महिलाओं की संख्या 16.38 लाख थी। इनमें से 5.37 लाख महिलाओं ने कुल 5780 करोड़ रुपए का कर्ज लिया।
एजुकेशन लोन
महिलाओं की हिस्सेदारी 5 वर्ष में 29% से बढ़कर 33% हो गई। जून-22 तक कुल 72,692 एजुकेशन लोन बंटे। इसमें 24,415 यानी 33% से ज्यादा महिलाओं को दिए गए। कुल वितरित राशि 2799 करोड़ के एजुकेशन लोन बंटे। 925 करोड़ महिलाओं को दिए गए।
एमएसएमई
2016 में महिलाओं के कुल 25 हजार महिलाओं ने 1383 करोड़ रुपए का कर्ज लिया। कुल कर्ज का 7.02% । 2022 में यह बढ़कर 7000 करोड़ रुपए हो चुका है। लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या भी बढ़कर 2.9 लाख हो चुकी है।