Noida: राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर जानलेवा ब्लैक स्पॉट, पिछले पांच साल में 250 से ज्यादा लोगों की गई जान
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग- 58 पर 2,633 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें जनवरी 2018 से 2,499 लोग घायल हुए हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ और मुजफ्फरनगर के बीच 78 किलोमीटर लंबे टोल रोड पर पिछले पांच साल में 250 से ज्यादा लोगों की जान गई है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग- 58 पर 2,633 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें जनवरी 2018 से 2,499 लोग घायल हुए हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी के मुताबिक दुर्घटना वाला खंड सिवाया टोल प्लाजा की सीमा के अंतर्गत आता है और इसमें 13 ब्लैक स्पॉट थे, जिनमें से सिर्फ चार को 2018 से ठीक किया गया है।
ये जानकारी नोएडा स्थित सड़क सुरक्षा कार्यकर्ता अमित गुप्ता द्वारा एनएचएआई में पूछे गए सवालों के दिए जवाब में सामने आई है। गुप्ता के अनुसार वेस्टर्न यूपी टोलवे लिमिटेड द्वारा दिए संचालित सिवाया टोल प्लाजा ने अप्रैल 2011 में वाणिज्यिक परिचालन शुरू किया था और इस पर रोज औसतन 40,000 से अधिक वाहनों की आवाजाही होती है। यह पहले ही निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली राशि से दोगुनी से अधिक की वसूली कर चुका है, लेकिन इसके बावजूद ब्लैक स्पॉट सही नहीं किए गए हैं। एनएचएआई के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 31 अक्टूबर तक 78 किलोमीटर लंबी सड़क पर 512 दुर्घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिसमें 53 लोगों की जान चली गई है, जबकि 453 अन्य घायल हो गए हैं।
सैकड़ों मरे और घायल हुए, समस्या बरकरार
साल 2021 में इस टोल खंड में 546 दुर्घटनाएं, 59 मौतें और 436 घायल हुए, जबकि 2020 में ये आंकड़ा 429 दुर्घटनाओं, 36 मौतों और 330 घायलों का था। आधिकारिक जवाब के अनुसार, 2019 में सड़क खंड में 687 दुर्घटनाएं, 38 मौतें और 653 लोग घायल हुए, जबकि 2018 में यह आंकड़ा 459 दुर्घटनाओं, 70 मौतों और 645 लोगों के घायल होने का था।
एनएचएआई ने कहा कि टोल रोड पर 13 ब्लैक स्पॉट की पहचान की गई है, जिनमें से चार को पिछले चार वर्षों में ठीक किया गया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार ‘ब्लैक स्पॉट’ की भी परिभाषा है। जिस राष्ट्रीय राजमार्ग के लगभग 500 मीटर के एक खंड में या तो पांच सड़क दुर्घटनाएं (सभी तीन वर्षों में घातक/गंभीर चोटें शामिल हैं) या 10 मौतें (तीनों वर्षों को मिलाकर) पिछले तीन कैलेंडर वर्षों के दौरान हुई हों उसे ब्लैक स्पॉट कहा जाता है।