जेलों में 23 साल में कैदियों की संख्या में दोगुना से ज्यादा बढ़ोतरी हो गई है …!

जेलों में 23 साल में कैदी दोगुने
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही जताई थी चिंतादिल्ली

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट के जजों की मौजूदगी में जेलों की बढ़ती जरूरत के मुद्दे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने चिंता जताते हुए कहा था कि यह देखना चाहिए कि आखिर जेलों में कौन लोग बंद हैं।

इसी वर्ष जारी एनसीआरबी के रिपोर्ट में 2021 की स्थिति को देखें तो देश की जेलों में 23 साल में कैदियों की संख्या में दोगुना से ज्यादा बढ़ोतरी हो गई है, जबकि जेलों की संख्या में 16% की बढ़ोतरी हुई। हालांकि इस दौरान जेलों की क्षमता को बढ़ाया गया। लेकिन, अभी भी देश की जेलों में क्षमता के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक बंदी हैं। रिपोर्ट के अनुसार देश की जेलों में एक चौथाई बंदी निरक्षर हैं जबकि महज 1.8 प्रतिशत कैदी पोस्ट ग्रेजुएट और 1.3 प्रतिशत तकनीकी डिग्री प्राप्त हैं। दसवीं तक शिक्षा हासिल करने वाले कैदियों का प्रतिशत 24 है। अंडरट्रायल कैदियों के दिए गए आंकड़ों के अनुसार 35 प्रतिशत ओबीसी, 21 प्रतिशत एससी वर्ग के तो 9.8 प्रतिशत एसटी वर्ग के हैं।

आंकड़े फीसदी में

182.5%

हो रहा नाम मात्र का पुनर्वास

जेल से रिहा होने वाले बंदियों के लिए पुनर्वास के प्रयास कुल बंदियों की संख्या को देख ऊंट के मुंह में जीरा हैं। वर्ष 2021 में महज 1918 सजायाफ्ता कैदियों का पुनर्वास हुआ। 1359 कैदियों को रिहाई पर वित्तीय सहायता दी। पूरे साल में 162654 कैदियों को विधिक सहायता प्रदान की।

जेल में दिसम्बर 2021 में 38748 बंदियों ने प्राथमिक, 32544 ने प्रौढ़ और 14083 बंदियों ने उच्च शिक्षा हासिल की तो 4350 बंदियों ने कम्प्यूटर कोर्स। वहीं 39313 ने व्यावसायिक शिक्षा हासिल की।

कानून में परिवर्तन भी बड़ा कारण

राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट की एक जैसी मंशा है। छोटे अपराधों के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इनके अपराधियों को जेल से राहत मिले। अंडरट्रायल कैदी ज्यादा बढ़ रहे हैं। ऐसे में अंडरट्रायल के अऩुपात को कम किए जाने की जरूरत है। सात साल से कम की सजा वाले अपराधों में जमानत आसान की जानी चाहिए।-सुनील कुमार गुप्ता, पूर्व लीगल एडवाइजर, तिहाड़ जेल, ब्लैक वारंट पुस्तक के लेखक

ठसाठस भरी हैं ज्यादातर जेलें

बंदियों में युवाओं की संख्या अधिक

सबसे ज्यादा और खुली जेल राजस्थान में

एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में 144, तमिलनाडु में 142, मध्यप्रदेश में 131, आंध्र प्रदेश में 106, ओडिशा में 92 और उत्तर प्रदेश में 75 जेल हैं। इन राज्यों में देश की आधी से ज्यादा जेल हैं। महिला जेल में भी राजस्थान आगे है। यहां सबसे ज्यादा 7 महिला जेल हैं। देश में सर्वाधिक 39 खुली जेल राजस्थान में हैं। इनमें 1040 कैदी हैं। राजस्थान के बाद महाराष्ट्र में 19 खुली जेल हैं। देश की खुली जेलों में 2178 कैदी हैं।

वर्ष 1998 में देश में 1133 जेल थी। इनमें 275605 बंदी थे। यह जेलों की क्षमता के मुकाबले 127 प्रतिशत था। अंडरट्रायल बंदी 202564 थे जो कुल बंदियों का 73.5 प्रतिशत था। वर्ष 2021 में जेलों की संख्या 1319 व 5,54,034 बंदी थे। क्षमता का 130.2 प्रतिशत है।

जेल में 18 से 30 साल तक के 43.6 प्रतिशत, 30 से 50 साल के 43.3 प्रतिशत कैदी हैं। अंडरट्रायल कैदियों में 70.9 प्रतिशत कैदी एक साल से कम अवधि के लिए जेल में रहे। अंडरट्रायल बंदियों में 151287 ओबीसी, 90037 एससी, 42211 एसटी व 111878 अन्य जाति वर्ग से सबंधित है। इनमें महाराष्ट्र के आंकड़े नहीं है।

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