ग्वालियर : कालोनाइजर कृषि की बजाय आवासीय में बदलवा लेते हैं अपनी-अपनी जमीनें
शहर में ज्यादातर अवैध कालोनियां अब खेती की जमीन पर तैयार की जा रही हैं। खेती की जमीन पर प्लाटिंग करने से पहले कालोनाइजर क्षेत्र के एसडीएम से जमीन का डायवर्सन कराते हैं और इसे कृषि की बजाय आवासीय में बदलवा लेते हैं।
– चिंता की बात नप्रशासन डायवर्सन की जमीन पर रखे नजर, खसरे में दर्ज हो अवैध कालोनी
ग्वालियर शहर में ज्यादातर अवैध कालोनियां अब खेती की जमीन पर तैयार की जा रही हैं। खेती की जमीन पर प्लाटिंग करने से पहले कालोनाइजर क्षेत्र के एसडीएम से जमीन का डायवर्सन कराते हैं और इसे कृषि की बजाय आवासीय में बदलवा लेते हैं।
इसके अलावा नजूल एनओसी भी हासिल कर ली जाती है। यदि डायवर्सन के आदेश के साथ ही इन जमीनों पर नजर रखी जाए, तो अवैध कालोनी पर प्लाटिंग को पहले ही रोका जा सकता है। इसके अलावा जिस स्थान पर अवैध प्लाटिंग की जानकारी मिले, तो उसके खसरे में अवैध कालोनी दर्ज किए जाने से भी लोग जागरुक हो सकते हैं और वे इन कालोनियों में प्लाट खरीदकर फंसने से बच सकते हैं।
दरअसल, शहर के बाहरी इलाकों में अधिकतर कृषि भूमि मौजूद है। यहां कालोनियां तैयार करने के लिए कालोनाइजर किसान से जमीन खरीदने की बजाय अनुबंध कर लेते हैं। इसके बाद कृषि भूमि का उपयोग बदलवाकर आवासीय कराया जाता है। वह जमीन सरकारी नहीं है, इसके लिए नजूल एनओसी ले ली जाती है।
यह सारी प्रक्रिया जिला प्रशासन के अधिकारियों की नजर में रहती हैं। डायवर्सन कराकर अवैध कालोनियां बनाने का ट्रेंड शहर में एक दशक से भी अधिक पुराना हो चुका है। ऐसे में अधिकारियों को भी इस बात की भली-भांति जानकारी है। इस मामले में यदि डायवर्जन के बाद अमला जमीनों पर नजर रखे, तो अवैध कालोनियां बनने से पहले ही रोका जा सकता है। इसके अलावा प्लाट खरीदने वाले लोग भी खसरों की जानकारी इकट्ठी करते हैं। अवैध कालोनी चिन्हित होने के बाद खसरे में इसे दर्ज करने से भी लोगों को जागरूक किया जा सकता है।
वो फायदे जो अवैध कालोनी में नहीं मिलते
वैध कालोनी में डामर या सीमेंट कांक्रीट की सड़क, भूखंडों का सीमांकन, पुलियों का निर्माण, वर्षा जल निकासी के लिए नाली या नाला, जलप्रदाय व्यवस्था, सीवर लाइन व सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़ाव, विद्युतीकरण कार्य व स्ट्रीट लाइट, पार्कों का निर्माण, ओवरहेड टैंक, पंप हाउस, सड़क किनारे पौधारोपण, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था, कालोनी की सीमा से शुरू होकर नगर तक पहुंचने के लिए उचित रास्ते मिल जाते हैं। इन कालोनियों में भवन निर्माण के लिए लोन भी आसानी से मिल जाता है, लेकिन अवैध कालोनियों में ये पर्याप्त सुविधाएं लोगों को नहीं मिल पाती हैं।
बिना कालोनाइजर लाइसेंस के तैयार कर रहे अवैध कालोनी
किसी भी कालोनी को तैयार करने से पहले क्षेत्रीय एसडीएम से कालोनाइजर का लाइसेंस लेने का प्रविधान है। यह लाइसेंस पांच साल के लिए मान्य किया जाता है। कालोनाइजिंग का लाइसेंस लिए बिना भूखंड नहीं बेचे जा सकते हैं, लेकिन इस नियम को ताक पर रखकर अवैध कालोनी तैयार की जाती हैं। इसमें सरकारी अमले की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। एक बार कालोनी बनने के बाद मानवीय आधार पर तोड़फोड़ की कार्रवाई से भी बचा जाता है।
काटी जाने वाली कालोनियों पर प्रशासन और नगर निगम की टीमें पूरी नजरें गढ़ाए हुए हैं। अगर कहीं कोई अवैध कालोनी काटी जाएगी और गाइड लाइन का पालन नहीं किया जाएगा तो उसके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर