भोपाल,  नगर निगम राजस्‍व वसूली के लिए आज से बड़े बकायादारों के खिलाफ कुर्की करने जा रहा है। इसके लिए पूर्व में धारा 175 और 176 के तहत नोटिस बांटे गए थे, जिसकी समयसीमा पूरी हो गई है। लिहाजा आज से बड़े बकायादारों पर निगम शिकंजा कसेगा। इसके लिए आयुक्त केवीएस चौधरी ने सुबह वीसी कर स्पष्ट कर दिया है कि बड़े बकायादारों में यदि झुग्गियों में रहने वाले का नाम है तो उस पर भी कार्रवाई की जाए। दरअसल जोनल अधिकारी 12 के द्वारा आयुक्त को अवगत कराया गया था कि उनके 100 बकायादारों में झुग्‍गीवासियों का नाम भी है। इसके बाद आयुक्त ने स्पपष्ट कर दिया कि उन पर भी कार्रवाई की जाए। आयुक्त ने कहा कि बकायादार को समझाया जाए कि उसे शासन की योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाएगा। फिलहाल आयुक्त द्वारा निगम के ऐसे बकायादार जो शासन से संबंधित है, यानी शासकीय विभागों पर बकाया होने के बाद भी कार्रवाई न करने को कहा गया है।
उपायुक्त और सहायक आयुक्त गायब छोटे कर्मचारियों पर वसूली का दबाव
सूत्र बतातें है कि इस पूरी कार्रवाई में कई रसूखदार लोगों के नाम शामिल है। ऐसे में जब मुख्यालय स्तर पर बकायादारों से वसूली की जा रही है तो सहायक आयुक्त या उपायुक्त लेवल के अधिकारियों की मौजूदगी में यह कार्रवाई होना चाहिए थी लेकिन इन्हें बचाने के चक्कर में वार्ड और जोनल अधिकारियों को यह काम सौंप दिया गया है। अधिकांश कर्मचारियों का कहना है जब फाइनेंशियल पॉवर नहीं दिए गए है तो फिर कुर्की के पावर इसलिए दिए गए है कि यदि कुछ हो तो छोटे कर्मचारी पर कार्रवाई हो। उधर वसूली के दबाव में हालात यह है कि कुर्की न करे तो कर्मचारी को निगम आयुक्त से दंड मिलेगा और करे तो उन्हें नेताओं के कोपभजन का शिकार होना पड़ेगा। इस संशय में कई वार्ड प्रभारियों और जोनल अधिकारियों की दिक्कतें बढ़ गई है। बता दें इससे पहले इस तरह की कार्रवाई में तत्कालीन आयुक्त मनीष सिंह के कार्यकाल के दौरान अपर आयुक्त लेवल के अधिकारी की मौजूदगी में होती थी लेकिन अब ऐसा न करके वार्ड प्रभारियों और जोनल अधिकारियों पर प्रेशर बनाया जा रहा है।
हमीदिया पर पानी का 75 लाख बकाया
वीसी के दौरान हमीदिया स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का मामला भी उठा। वार्ड प्रभारी और जोनल अधिकारी द्वारा कहा गया कि उन पर काफी पैसा बकाया है। ऐसे में पानी की सप्लाई रोक दी जाए। इस पर आयुक्त केवीएस चौधरी ने कहा कि अभी वे इस मामले में चर्चा करेंगे इसके बाद निर्णय लिया जाएगा। इसके साथ ही तय किया कि शासन केे किसी भी ऑफिस या संस्थान पर अभी कार्रवाई नहीं की जाए।
राजनीतिक पार्टियों से हो पाएगी वसूली
फिलहाल कांग्रेस,भाजपा के प्रदेश मुख्यालयों के अलावा जिला कार्यालयों के ऊपर भी लाखों रूपए बकाया है जिन्हें वसूल पाना आसान नहीं है। एबीवीपी का मुख्यालय हो या फिर जिला भाजपा कार्यालय के नीचे बनी दुकानें या फिर रोशनपुरा पर स्थित कांग्रेस का जिला कार्यालय सभी निगम के बड़े बकायादार है जिन पर लाखों रूपए का टैक्स बचा है। वहीं भाजपा केे कई नेेताओं के मकान,दुकान और फार्म हाउस पर भी लाखों रूपए बकाया है। वहीं कुछ कांगे्रस व अन्य पार्टियों के नेताओं की प्रापर्टी पर भी टैक्स का काफी पैसा बकाया है।
80 फीसदी प्रापर्टी रहवासियों की
निगम ने जो नोटिस बांटे है उसमें से 80 फीसदी प्रापर्टी रहवासियों की है जिसे कुर्क करना आसान नहीं है। वार्ड और जोन स्तर पर बैठे अधिकारी इसी बात से संशय में है।
क्या कहती है धारा 175
नियम के तहत जिस घर में बर्तन और बिस्तर रखे हों, उस हिस्से को कुर्क नहीं किया सकता। जिस हिस्से में खेती किसानी होती है या फिर किसानी के औजार रखे हों, उस हिस्से को भी कुर्क नहीं किया जा सकता। इसी तरह जिस मकान में किराएदार रहते हो उस मकान को कुर्क नहीं किया जा सकता। हां इस मकान पर किराएदारी से अटैच कर टैक्स की गणना की जा सकती है, लेकिन कुर्की नहीं की जा सकती।
पूर्व के कई बकायादार हैं, जिनसे यह वसूली होना है। हमने इसी साल चार बार नोटिस दिए है, लेकिन लोगों ने समय पर पैसा जमा नहीं किया। फिलहाल सात दिवस का समय है, कुर्की के बाद भी संपत्तिकर जमा किया जा सकता है।
– केवीएस चौधरी, आयुक्त, नगर निगम, भोपाल