भिंड : काेराेना की चाैथी लहर से ऐसे लड़ेंगे …?

काेराेना की चाैथी लहर से ऐसे लड़ेंगे:. 4 महीने से बंद पड़ी है आरटीपीसीआर जांच मशीन, छह महीने से सैंपलिंग भी बंद

चीन में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण ने एक बार चिंता बढ़ा दी है। वहीं भिंड जिले में कोरोना की जांच ही बंद है। सिर्फ स्वेच्छा से आने वाले लोगों के सैंपल लेकर जांच के लिए ग्वालियर भेजे जा रहे हैं। आलम यह है कि सरकार ने कोरोना मरीज की पहचान के लिए आरटीपीसीआर जांच वाली मशीन तो जिले को उपलब्ध करा दी। लेकिन इसका उपयोग अब तक शुरू नहीं हो पाया है। पिछले चार महीने से यह मशीन बंद पड़ी हुई है। वहीं जब एक बार फिर कोरोना संक्रमण फैलने की सुगबुगाहट हुई तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मशीन चालू कराने के लिए इंजीनियर बुलाने की बात कह रहे हैं।

बता दें कि कोरोना की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हुई थी। वहीं तीसरी लहर में पहली और दूसरी की तुलना संक्रमण तो तेजी से फैला। लेकिन उसके मुकाबले मरीज भी जल्द स्वस्थ हुए। वहीं अब एक बार फिर कोरोना की चौथी लहर का अंदेशा सताने लगा है। ऐसे में जब भास्कर ने कोरोना मरीजों की पहचान के संबंध में पड़ताल की तो बहुत ही चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। बताया जा रहा है कि पिछले छह महीने से जिले में कोरोना संदिग्धों की पहचान के लिए सैंपलिंग ही बंद है। सिर्फ स्वेच्छा से जांच कराने के लिए आने वाले लोगों के ही सैंपल लेकर जांच के लिए ग्वालियर भेजे जा रहे हैं।

वार्ड खत्म, स्टाफ भी हटाया
कोविड काल में जिला स्वास्थ्य प्रशासन ने 13 डाॅक्टर और 52 नर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति की थी। कोरोना का प्रकोप खत्म हुआ तो स्वास्थ्य विभाग ने अस्थायी तौर पर रखे गए डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ को बाहर का रास्ता दिखा दिया। जिला अस्पताल में बनाए गए कोविड वार्ड और आईसीयू को भी पूरी तरह से खत्म कर दिया गया। अब इन वार्डो में सामान्य मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। हालांकि सिविल सर्जन डॉ. अनिल गोयल का कहना है कि एक बार फिर से पूरे अस्पताल का ऑडिट कर लिया गया है। जरूरत पड़ने पर फिर से कोविड वार्ड बनाए जाएंगे।

वैक्सीनेशन की रफ्तार धीमी
पिछले छह महीने से जिले में कोरोना का कोई नया केस नहीं आया है। अब लोग वैक्सीनेशन को भी नजरअंदाज कर रहे है। स्थिति यह है कि वैक्सीनेशन के लिए सिर्फ वे ही लोग स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंच रहे हैं, जिन्हें किसी यात्रा के लिए वैक्सीनेशन के सर्टीफिकेट की जरूरत है। जिले में वर्तमान में वैक्सीन के सिर्फ दो हजार डोज उपलब्ध है, जो कि को-वेक्सीन के हैं। कोविशील्ड जिले में उपलब्ध नहीं है।जिले में कोरोना के संदिग्ध मरीजों की पहचान के लिए कोई काउंटर नहीं है। वहीं कोविड काल में बनाए गए फीवर क्लीनिक भी पूरी तरह से बंद हो चुके हैं। हालांकि बताया जा रहा है कि अब सर्दी, खांसी और जुकाम के मरीजों को ओपीडी में चिंहित करने के लिए डॉक्टर्स से कहा गया है।

गाइड लाइन आने का इंतजार
कोरोना संक्रमण फैलने की चिंता को लेकर भले ही प्रदेश के अन्य जिलों में एडवाइजरी जारी हो गई है लेकिन भिंड जिला प्रशासन अभी स्टेट से गाइड लाइन आने का इंतजार कर रहा है। जिला प्रशासन की ओर से भी कोई गाइड लाइन जारी नहीं हुई है। हालांकि बताया जा रहा है कि शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संदिग्धों की पहचान के लिए सैंपलिंग बढ़ाने के जरुर निर्देश दिए हैं। हर रोज से 300 से 400 सैंपल जांच के लिए भेजने के लिए कहा गया है।

जिला अस्पताल में बमुश्किल 3 से 4 सैंपल ही रोज लिए जा रहे
जिले में कोरोना संदिग्ध मरीजों के सैंपल लिए जाने की सुविधा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर पूरी तरह से बंद पड़ी हुई है। सिर्फ जिला अस्पताल के साथ सिविल अस्पताल लहार और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सैंपल लिए जा रहे हैं। लेकिन यहां भी कोरोना संदिग्धों को चिह्नित नहीं किया जा रहा है। बल्कि जो व्यक्ति स्वेच्छा से जांच कराने आ रहा है, सिर्फ उसका सैंपल लिया जा रहा है। स्थिति यह है कि जिले से प्रतिदिन तीन से चार लोगों के सैंपल कोरोना जांच के लिए भेजे जा रहे हैं।

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