स्कूली बच्चों में डिप्रेशन के 5 सिंप्टम्स …!
भूख और नींद के पैटर्न में बदलाव, चिड़चिड़ापन या गुस्सा …
हमारे आधुनिक समाज में, आज बच्चों और युवाओं में डिप्रेशन अब एक बड़ा रूप ले चुका है। कोई असंवेदनशील व्यक्ति ही इसे मजाक में लेगा, या इसकी गंभीरता को इग्नोर करेगा। ऐसा करने के परिणाम घातक हो सकते हैं।
आज मैं आपको इस गंभीर प्रॉब्लम के बारे मैं बताऊंगा: इसके सिम्प्टम्स क्या होते हैं, इसके कारण क्या हो सकते हैं, और पेरेंट्स इसमें क्या कर सकते हैं।
‘डिप्रेशन’ (अवसाद) होता क्या है
अवसाद एक आम और गंभीर मेडिकल बीमारी है जो नकारात्मक रूप से शरीर को प्रभावित करती है, और आप कैसा महसूस करते हैं, सोचते हैं और कैसे कार्य करते हैं, सब पर असर डालती है।
ये एक मेडिकल कंडीशन है, और इसका प्रॉपर मेडिकल ट्रीटमेंट होता है।
लेकिन ध्यान रहे, अनेकों मेडिकल कंडीशंस (जैसे थायराइड की समस्या, ब्रेन ट्यूमर या विटामिन की कमी) डिप्रेशन के सिम्पटम्स जैसे ही लक्षण पैदा कर सकती हैं, इसलिए एक मेडिकल प्रोफेशनल से मदद लेना आवश्यक है।
सबसे बुरा क्या कर सकते हैं
मां-बाप या टीचर्स ऐसे में सबसे बुरा ये कर सकते हैं कि वास्तव में डिप्रेशन से जूझ रहे बच्चे को नजरअंदाज कर, उसका ध्यान न रखें। या उसका मजाक उड़ाएं कि ‘तुम तो पढाई से बचने के बहाने बना रहे हो’, आदि। इसके परिणाम घातक होंगे। मैंने कुछ प्रसिद्ध लोगों तो को ‘डिप्रेशन’ का मजाक उड़ाते भी देखा है, और ऐसे लोग समाज के दुश्मन होते हैं क्योंकि वे एक घातक बीमारी को इग्नोर कर देने के लिए प्रेरित कर रहे होते हैं।
अपने टीचिंग करिअर में मैंने अनेकों डिप्रेशन के केस देखें है, और सही हैंडलिंग से सारे ठीक भी हुए, कम से कम बिगड़े नहीं।
क्यों होता है डिप्रेशन
स्कूली उम्र के बच्चों में अवसाद के कई संभावित कारण हैं। कुछ संभावित कारणों में शामिल हैं
1) जेनेटिक्स: यदि बच्चों में विकार का पारिवारिक इतिहास है तो बच्चों में अवसाद विकसित होने की संभावना अधिक हो सकती है।
2) जीवन की घटनाएं: किसी दर्दनाक घटना का अनुभव करने के बाद बच्चे अवसाद का अनुभव कर सकते हैं, जैसे किसी प्रियजन की हानि, दुर्व्यवहार या धमकाना।
3) पुरानी बीमारी: पुरानी चिकित्सा स्थितियों वाले बच्चों में अवसाद विकसित होने का खतरा अधिक हो सकता है।
4) पर्यावरणीय कारक: यदि बच्चे तनावपूर्ण घरेलू वातावरण में रह रहे हैं या यदि वे हिंसा या गरीबी के संपर्क में हैं, तो उनमें अवसाद विकसित होने की संभावना अधिक हो सकती है।
5) माता पिता का बहुत दबाव: कुछ केसेस में देखा गया है कि यदि माता पिता बच्चे पर परफॉरमेंस का दबाव लगातार बना कर रखते हैं, तो वो प्रेशर धीरे-धीरे बढ़ता जाता है, और डिप्रेशन में बदल जाता है। अक्सर ये कोचिंग क्लासेज से संबंधित होता है, और एग्जाम क्लियर करने का प्रेशर बात बिगाड़ देता है।
क्या होते हैं डिप्रेशन के सिंप्टम्स
1) लगातार उदासी या निराशा: यदि कोई बच्ची/बच्चा अनेकों दिनों तक उदास ही रहता है, और हर बात से निराशा झलकती है, तो ये डिप्रेशन हो सकता है। ऐसे में बच्चे से लगातार बात करते रहें, और उसे आराम दिलाने का प्रयास करें।
2) पहले वाले इंटरेस्ट खत्म होते जाना: जिन एक्टिविटीज में बच्ची/बच्चा का पहले इंटरेस्ट था, अब नहीं है, तो ये एक बड़ा लक्षण है कि कुछ बदल चुका है। ध्यान से स्टडी करें कि किस वजह से बदला।
3) भूख और नींद के पैटर्न में बदलाव: जो फूड्स पहले अच्छे लगते थे, अब नहीं लगते। सोने के जितने घंटे पहले होते थे, अब नहीं हैं। नींद होने के बाद भी परेशानी और थकान बनी रहती है। ये एक्चुअल फिजिकल बदलाव हैं।
4) चिड़चिड़ापन या गुस्सा: हर छोटी-छोटी बात पर अब बच्चा पहले जैसे शांत नहीं रहता, बल्कि लड़ने पर उतारू हो जाता है। सही एडवाइस भी अब उसे आलोचना लगने लगती है।
5) शरीर में तकलीफ (पेट दर्द, सर दर्द आदि): यदि ये फिजिकल प्रॉब्लम्स लगातार बनी रहती हैं, तो ये डिप्रेशन के चिन्ह हो सकते हैं।
ध्यान रखें कि बच्चे हमेशा अपनी भावनाओं को खुले तौर पर व्यक्त नहीं कर सकते हैं, और इसके बजाय वे अपने व्यवहार या स्कूल के प्रदर्शन के माध्यम से अपना संकट दिखा सकते हैं।
तुरंत क्या करें
1) बच्चे से खुलकर बात करें
2) बच्चे को बिलकुल डांटे नहीं
3) उसे कॉन्फिडेंस में लें, उसे संभालें
4) उसे कहीं घुमाने ले जाएं, पिक्चर दिखाएं, एन्जॉय करें
5) उसे समझाएं क्यों मेडिकल हेल्प जरूरी है
ये बात बच्चे को लगातार बोलेन कि जिन्दगी बहुत बड़ी है, और मौकों से भरी है। एक जीत या हार से कुछ नहीं होता।
मैजिक स्टेटमेंट
डिप्रेशन में फंसे बच्चे का मेडिकल ट्रीटमेंट करवाते समय ये मैजिक स्टेटमेंट बार बार दोहराएं
1) हंसते रहो
2) प्रयास करो, परेशान न हो
3) हमारे पहले भी दुनिया थी, हमारे बाद भी रहेगी
4) हमसे जितना बने, हम उतना करेंगे, बाकि भगवान पर छोड़ देंगे
5) अगर हम एक भी जीवन सुधार देंगे, तो हमारा जीवन सफल माना जाएगा