हर साल 100 करोड़ सिर्फ ब्याज के भर रही सरकार…?
रिट पिटीशन में समय से सूचना नहीं दी तो करेंगे बर्खास्त, रुकेगी पेंशन …
मुआवजे के मामलों में समय से राशि का भुगतान न किए जाने पर सरकार को हर साल 100 करोड़ रुपए से ज्यादा ब्याज का भुगतान करना पड़ रहा है। ये मामले कोर्ट के आदेश के बाद भुगतान न किए जाने के हैं, जिसके बाद अदालतों ने सरकार को ब्याज सहित राशि भुगतान के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने लंबित रिट याचिकाओं पर सरकार की ओर से जवाब न दिए जाने पर भी कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने इस बारे में राज्य सरकार को पत्र लिखा है।
इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के सचिव श्रीनिवास शर्मा ने समस्त विभागों को पत्र लिखा है कि उनसे संबंधित रिट याचिकाओं में सरकार की ओर से तत्काल समय सीमा में जवाब प्रस्तुत करें अन्यथा उनके खिलाफ निलंबन, बर्खास्तगी और पेंशन रोके जाने तक की कार्रवाई की जाएगी। इतना ही नहीं, यदि मामला गंभीर है तो सरकार संबंधित अधिकारी पर पुलिस में प्रकरण भी दर्ज करा सकती है। यह पहली बार है, जब सरकार रिट पिटीशन के मामले में इतना सख्त कदम उठाने जा रही है।
दरअसल, राजस्व और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण से संबंधित विस्थापितों के मामले में नियमानुसार मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया। मामला कोर्ट में पहुंचा तो याचिका का समय से जवाब भी नहीं दिया। इससे सरकार को 12 साल की ब्याज राशि का भुगतान करना पड़ा।
आंतरिक परिवाद समितियां न बनाने से बढ़े केस
4,17,288 मामले लंबित हैं हाईकोर्ट में
01 लाख से ज्यादा मुआवजे और कर्मचारियों के मामले
छोटे-छोटे मामले पहुंच रहे हैं कोर्ट में
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को मुकदमा नीति बनाने के निर्देश दिए थे। इसके तहत विभागों में विभागाध्यक्ष, जिला और ब्लाॅक स्तर तक आंतरिक परिवाद समितियां बनानी थी, ताकि कर्मचारियों की सेवा शर्तों से संबंधित मामले यहीं सुलझ सकें और वे हाईकोर्ट न पहंुचें। लेकिन, सामान्य प्रशासन विभाग के अलावा किसी भी विभाग ने इन समितियों का गठन नहीं किया। इसके चलते कर्मचारियों से संबंधित मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही है।
इस तरह बढ़ रहे हैं मुकदमे
- सीएम राइज स्कूल में शिक्षकों की पदस्थापना के खिलाफ 500 से ज्यादा शिक्षक कोर्ट में पहुंच गए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के 19500 से ज्यादा मामले कोर्ट में हैं, जिनमें 1200 से ज्यादा में अवमानना के केस हैं। कृषि विभाग के 7 हजार, राजस्व विभाग के 4 हजार से ज्यादा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के 5500, स्वास्थ्य के 4000 समेत अन्य विभागों के मामले कोर्ट में लंबित हैं। इनमें अधिकतर मामले वरिष्ठता, प्रमोशन, महंगाई भत्ता या एरियर का भुगतान न होने के हैं।
- पदोन्नति में आरक्षण का मामला पिछले 11 सालों में विभिन्न न्यायालयों में है, जिस पर अंतिम फैसला आना बाकी है।