न्यूयॉर्क : अमेरिकी स्कूल ने सोशल मीडिया कंपनियों पर किया केस …!

अमेरिकी स्कूल ने सोशल मीडिया कंपनियों पर किया केस:कहा- बच्चों के मानसिक विकास में बाधा पहुंचा रहे, जिम्मेदारी लेनी होगी

अमेरिका के सिएटल पब्लिक स्कूल ने टिकटॉक, इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब और स्नैपचैट जैसी सोशल मीडिया कंपनियों पर केस किया है। स्कूल का कहना है कि सोशल मीडिया से बच्चों और किशोरों का मानसिक विकास नहीं हो पा रहा है। इन कंपनियों को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी।

स्कूल ने जिला कोर्ट में 91 पेज की याचिका दाखिल की है। इसमें कंपनियों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अपना वॉच टाइम बढ़ाने के लिए बच्चों को शिकार बनाया है। इससे बच्चों को एंग्जायटी, डिप्रेशन, ईटिंग डिसऑर्डर हो रहा है। साथ ही वे साइबर बुलीइंग का भी शिकार हो रहे हैं। ऐसे में बच्चों को पढ़ाना स्कूलों के लिए मुश्किल हो गया है।

स्कूल में मनोचिकित्सक नियुक्त करने पड़े ​
स्कूल ने बताया, हालात ऐसे हैं कि स्कूल में मनोचिकित्सकों की नियुक्ति करनी पड़ी है, पाठ्यक्रम बदलने पड़े हैं। स्कूल ने सोशल मीडिया के नुकसान को पाठ्यक्रम में शामिल किया है। सोशल मीडिया के प्रभाव को समझाने के लिए स्कूल ने शिक्षकों को अतिरिक्त ट्रेनिंग दी है।

साल 2009 से 2019 तक के एक दशक में स्कूल में 30% ज्यादा बच्चे दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक दुखी या नाउम्मीद महसूस करते रहे। स्कूल ने याचिका में मांग की है कि ये कंपनियां समाज में उत्पात मचाना बंद करें। अब तक जो नुकसान किया है उसका हर्जाना दें। इनके नुकसान के बारे में जागरूक करने और जो इनकी वजह से बीमार हो गए हैं, उनके इलाज के लिए भुगतान करें।

बचपन में सोशल मीडिया की लत से छोटा रह जाता है दिमाग
नए अध्ययनों से पता चला है कि जो बच्चे और किशोर अपना सोशल मीडिया अकाउंट बार-बार देखते रहते हैं, उनका दिमाग छोटा रह जाता है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के न्यूरो वैज्ञानिकों ने मिडिल स्कूलों में पढ़ रहे 12 से 15 साल के किशोरों के दिमाग की स्कैनिंग की। यह वही उम्र है जब दिमाग का सबसे ज्यादा विकास होता है।

रिसर्चर्स ने पाया कि जिन बच्चों की 12 साल की उम्र तक सोशल मीडिया की लत लग जाती है, वे उस पर आए लाइक और कमेंट के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं। वे निगेटिव कमेंट बर्दाश्त नहीं कर पाते। यह प्रवृत्ति समय के साथ बढ़ती जाती है। जबकि जिन्हें सोशल मीडिया की लत नहीं होती, उन्हें कमेंट या लाइक से कोई फर्क नहीं पड़ता।

97% किशोर रोजाना सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते
अमेरिका के 97% किशोर सोशल मीडिया अकाउंट पर रोज एक्टिव रहते हैं, जबकि 46% ज्यादातर समय सोशल मीडिया पर ही बिताते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलीना में मनोविज्ञान व न्यूरोसाइंस की एसोसिएट प्रोफेसर ईवा एच तेल्जर कहती हैं- जो किशोर सोशल मीडिया के लती हो गए हैं, उन्हें युवावस्था में परिणाम और भयावह रूप से भुगतने पड़ेंगे।

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