मप्र के 13 विश्वविद्यालयों में 1942 में से 1428 पद खाली …!

उच्च शिक्षा विभाग:मप्र के 13 विश्वविद्यालयों में 1942 में से 1428 पद खाली कुलपति एमपीपीएससी से कराना चाहते हैं प्रोफेसर्स की भर्ती

उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, मप्र भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के 13 विश्वविद्यालयों के यूनिवर्सिटी टीचिंग डिपार्टमेंट (यूटीडी) में 1942 स्वीकृत पाेस्ट हैं, जिनमें से 1428 पद खाली हैं। विवि अपने स्तर से भर्ती नहीं कर पा रहे हैं ऐसे में इन पदों भर्ती के लिए बाहरी एजेंसी से भर्ती कराने की बात कर रहे हैं। कुछ विवि के कुलपति चाहते हैं कि मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) से प्रोफेसर्स की भर्ती हो, ताकि शिक्षकों की कमी दूर हो सके।

खास बात यह है कि जुलाई 2014 में राज्य शासन स्तर पर यह कोशिश की गई थी कि एमपीपीएससी के माध्यम से भर्ती हो, पर तब इसमें सफलता नहीं मिल सकी। स्थाई समिति के चेयरमैन व कुलपति प्रो. टीआर थापक का कहना है कि इस संबंध में आगामी बैठक में चर्चा कर राज्य शासन स्तर पर चर्चा की जाएगी।

तबदला करने की शक्ति भी चाहती थी सरकार

एमपीपीएससी से विश्वविद्यालयों में फैकल्टी की भर्ती कराने के साथ राज्य सरकार प्राेफेसर्स का तबादला करने की शक्ति भी चाहती थी, इसलिए एक ऐसा प्रावधान किया- जिसके अनुसार यदि राज्य सरकार को लगता है तक खाली पदों के कारण या अन्य कारण से विवि के रोजमर्रा का कार्य संपन्न नहीं हो पा रहे हैं तो राज्य सरकार को शिक्षकों को एक विवि से दूसरे विवि ट्रांसफर कर सकेगी या प्रतिनियुक्ति पर भेजने की शक्ति होगी। इस लागू करना विवि के लिए बाध्यकारी होगी। इसका विश्वविद्यालयों में विराेध हुआ अौर मंजूरी नहीं मिली। अब कुलपति बिना किसी शर्त के पीएससी से भर्ती कराने का रास्ता चाहते हैं।

इसलिए नहीं हो रही थी भर्ती
उच्च शिक्षा विभाग में ओएसडी रहे व बीयू के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. एचएस त्रिपाठी बताते हैं कि आरक्षण, कुलपतियों में त्रुटि होने पर शासन स्तर से कार्रवाई का डर, इन कारणों से भर्ती नहीं हो पा रही है। राज्य सरकार अन्य किसी अतिरिक्त प्रावधान के विवि अधिनियम-1973 में संशोधन कर पीएससी से भर्ती कराने का प्रावधान करती है तो सही से भर्ती हो सकेंगी।

राजभवन से मंजूरी नहीं मिली
राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग मप्र विवि अधिनियम-1973 में संशोधन करने जुलाई-2014 में विधेयक तैयार किया। लेकिन, तत्कालीन कुलपतियों के विरोध के बाद इस संशोधन प्रस्ताव को राजभवन से मंजूरी नहीं मिली। इसलिए कुलपति इस बार सभी विवि की समन्वय समिति की स्थाई समिति में इस विषय का मुद्दा उठाने की तैयारी कर रहे हैं।

तकनीकी शिक्षा विभाग- एमपीपीएससी प्रक्रिया बताई तो आरजीपीवी का बदल गया मन
तकनीकी शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले आरजीपीवी ने भी एंट्री लेवल (असिस्टेंट प्रोफेसर के पद) पर एमपीपीएससी से भर्ती करानी चाही। इसके लिए जीएडी ने एमपीपीएससी को पत्र भेजा। इसे लेकर एमपीपीएससी ने 8 प्वाइंट जीएडी के सामने रखे। इनमें कहा कि एमपीपीएससी केवल उन्हीं पदों की भर्ती करता है, जिनके विभागीय भर्ती नियम राज्यपाल के माध्यम से जारी किए जाते हैं, इसलिए भर्ती नियमों में भर्ती के तरीके में स्पष्ट उल्लेख होना आवश्यक है कि एमीपीएससी द्वारा सीधी भर्ती के माध्यम से पदों की जाना है। लेकिन इसके बाद आरजीपीवी ने इस मामले को ठंडे बस्ते डाल दिया है। वहीं विवि का मन बदल गया और वो अब विभाग स्तर से भर्ती कराना चाहता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *