अफसरों ने की मंत्री की शिकायत …?

अफसरों ने की मंत्री की शिकायत:दो बड़े नेताओं ने हाथ तक नहीं मिलाया, चुनावी साल में मुखिया खुद ले रहे क्रॉस-फीडबैक

हर शनिवार पढ़िए और सुनिए- ब्यूरोक्रेसी, राजनीति से जुड़े अनसुने किस्से

सरकार के एक मंत्री और ब्यूरोक्रेसी की फिर पटरी नहीं बैठ रही है। जब किसी मंत्री की अपने विभाग के अफसरों से ही पटरी नहीं बैठे तो काम करना मुश्किल हो जाता है और महकमे का माहौल खराब होता है वो अलग।

ब्यूरोक्रेसी से टकराते रहने वाले मंत्री की पिछले दिनों उनके ही विभाग के टॉप मोस्ट अफसरों ने शिकायत की। शिकायत भी सत्ता के सबसे बड़े केंद्र तक की है। अफसरों ने मंत्री के बर्ताव की शिकायत करते हुए तबादला करने तक की बात कह दी, इससे समझा जा सकता है कि कॉर्डिनेशन किस लेवल का है?

पंजाब के बाद अब राजस्थान की बारी?

सत्ताधारी पार्टी में 25 सितंबर के सियासी बवाल पर फिर से कई तरह की अटकलें शुरू हो गई है। पार्टी में अनुशासन बनाए रखने वाली कमेटी ने पंजाब के पूर्व मुखिया की पत्नी और सांसद को सस्पेंड कर दिया। इस एक्शन के बाद अब राजस्थान को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई है।

बताया जाता है कि कमेटी जल्द राजस्थान को लेकर भी कुछ न कुछ फैसला जरूर करेगी। केवल ऊपर से हरी झंडी का इंतजार है। नोटिस देने वाले नेताजी ने भी राजस्थान के सियासी बवाल पर भी जल्द कुछ न कुछ करने के संकेत दिए हैं।

मुखिया खुद क्रॉस-फीडबैक लेने जुटे

चुनावी साल में प्रदेश के मुखिया से लेकर पार्टी हाईकमान तक अपने अपने आकलन में जुटे हैं। पहले आलाकमान ने एक एजेंसी से सर्वे करवाया। अब प्रदेश के मुखिया भी आकलन में लगे हैं। सत्ता के गलियारों के नजदीकी नेताओं ने भी अपना अपना फीडबैक पहुंचाया है। खुफिया आकलन भी करवाया है।

बताया जाता है कि प्रदेश के मुखिया इस बार परंपरागत फीडबैक के तरीकों पर आंख मूंद कर भरोसा करने के मूड में नहीं है। पिछले कुछ दिनों से मुखिया प्रदेश भर में अपने संपर्क के लोगों से सरकार और पार्टी को लेकर खुद फीडबैक ले रहे हैं। कई स्थानीय नेताओं के पास फोन पहुंच रहे हैं और ग्राउंड रियलिटी के बारे में पूछा जा रहा है। इसे मेगा तैयारी के तोर पर देखा जा रहा है।

कलेक्टर की धमकी से जंगल से जुड़े अफसर की नींद उड़ी

प्रदेश के एक जिले की चर्चित कलेक्टर की पिछले दिनों एक अफसर को दी गई धमकी सियासी और प्रशासनिक गलियारों में टॉकिंग पॉइंट बनी हुई है। इस पूरी घटना का बैकग्राउंड बड़ा रोचक है। हुआ यूं कि जिले में एक बड़ा फेस्टिवल होना था, जिसे लेकर कलेक्टर और उनकी टीम जोरशोर से तैयारियां कर रही थीं।

इसी दौरान दौरान अफसर का तबादला हुआ, लेकिन कोर्ट के दखल से रुक गया। उस अफसर ने फेस्टिवल की जगह की कानूनी मान्यता से जुड़ा एक लेटर लीक कर दिया। लेटर लीक होते ही पर्यावरण मामलों के सुप्रीम कोर्ट माने जाने वाले ट्रिब्यूनल ने फेस्टिवल ही रोक दिया।

कलेक्टर को इस पर भारी गुस्सा आया और गुस्से का इजहार करने के लिए उस अफसर को सीधा मैसेज किया— आपने लेटर लीक करके ठीक नहीं किया। अब जंगल से जुड़े अफसर परेशान हैं, क्योंकि कलेक्टर नाराज हैं और नौकरी भी उसी जिले में करनी पड़ेगी। जंगल से जुड़े अफसर ने पर्यावरण बचाने की अपनी ड्यूटी तो बखूबी निभाई है।

हैदराबाद वाले नेताजी की रिपोर्ट मचाएगी हलचल

चुनावी साल को देखते हुए राजस्थान इस बार सियासी पर्यटन का बड़ा केंद्र बनने की तैयारी में है। इस बार कुछ नई पार्टियां भी सियासी संभावनाएं तलाश रही है। हैदराबाद वाले नेताजी भी प्रदेश में अपनी पार्टी को लॉन्च कर चुके हैं।

प्रदेश में माइनोरिटी के हालात को लेकर एक डिटेल्ड रिपोर्ट तैयार करवाई गई है। एक रिटायर्ड आईएएस और कुछ इंटेलेक्चुअल्स की टीम ने सच्चर कमेटी की तर्ज पर यह रिपोर्ट तैयार की है। हैदराबाद वाले नेताजी इस महीने ही प्रदेश का दौरा करके यह रिपोर्ट जारी करेंगे। इस रिपोर्ट में बहुत कुछ ऐसा बताया जा रहा है जो चौंकाने वाला है। इस रिपोर्ट से सत्ताधारी पार्टी के लिए नरेटिव के लेवल पर मुश्किलें जरूर होंगी।

दिल छोड़िए हाथ तक नहीं मिले, युवा नेता मुखिया के जवाब के बाद सीधे सदन से निकले

विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रदेश के मुखिया के जवाब के बाद रोचक घटना हुई जो मौजूदा सियासी हालात को बयां करने के लिए काफी है। मुखिया ने घंटे भर तक जवाब देकर विपक्ष पवर अटैक करके अपने सबऑर्डिनेट्स से जमकर तालियां बटोरी।

जवाब खत्म होने के बाद बधाइयां देने वाले विधायकों की भीड़ लग गई। कुछ विपक्षी विधायक भी आकर मिले। मुखिया के जवाब के दौरान युवा नेता भी सदन में थे। जैसे ही मुखिया का भाषण पूरा हुआ युवा नेता सीधे सदन से निकल गए।

यह सीन देख विपक्षी पार्टी के एक नेताजी ने कमेंट किया कि सत्ताधारी पार्टी भले ही हाथ से हाथ जोड़ो अभियान चलाए लेकिन टॉप लेवल पर तो हाथ ही नहीं मिल रहे। युवा नेता और मुखिया के बीच इस तनातनी को सदन में साफ देखा गया।

मुखिया के ओएसडी को क्यों भाया पीएम का बयान ?

सियासत में कई बयान यूनिवर्सल हो जाते हैं, जो पार्टी लाइन से बाहर जाकर भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। पिछले दिनों पीएम ने परीक्षा पर चर्चा के दौरान आलोचना और आरोप में फर्क समझाते हुए आलोचना को बहुत मुश्किल टास्क बताया था।

पीएम का यह वीडियो प्रदेश के मुखिया की सोशल मीडिया में छवि चमकाने वाले ओएसडी को भा गया। ओएसडी ने प्रदेश के मुखिया के काम की आलोचना करने वालों को कोसते हुए सोशल मीडिया पर पीएम से सीख लेने की नसीहत दे दी, पीएम का वीडियो भी शेयर किया। विपक्षी के हथियार को उसी पर आजमाने की इस कला में सत्ताधारी पार्टी कभी एक्सपर्ट नहीं रही, लेकिन अब लगता है कि इसकी शुरुआत की गई है।

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