कॉलेज को गुरुकुल यूनिवर्सिटी बताकर वेरिफिकेशन कराया:टीम ने 10 एकड़ जमीन को मान लिया 80 एकड़, अब युद्धस्तर पर शुरू किया कंस्ट्रक्शन

देश के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ होगा। रातोंरात 80 एकड़ में बनी यूनिवर्सिटी गायब हो गई, जिसमें 38 लैब और 62 हॉल थे। आपको ये बात भले ही अटपटी लगे, लेकिन गुरुकुल यूनिवर्सिटी का फिजिकल वेरिफिकेशन करने गई 4 सदस्यों की टीम का यही तर्क है। टीम का कहना है कि हमारे पास वेरिफिकेशन का वीडियो भी है।

भास्कर टीम ने मौके पर जाकर पड़ताल की तो जो सच सामने आया वो वेरिफिकेशन करने गई टीम के तर्कों से कोसों दूर है। हकीकत ये है कि यूनिवर्सिटी के लिए आवेदन करने वाली संस्था ने 10 एकड़ में बने कॉलेज कैंपस को ही यूनिवर्सिटी बता दिया, जिसमें पहले से 5 इंस्टीट्यूट चल रहे हैं। वेरिफिकेशन टीम ने आंख बंद करके विश्वास भी कर लिया और कॉलेज कैंपस को ही यूनिवर्सिटी मान लिया।

मामले का सबसे दिलचस्प पहलू ये है कि विधानसभा में कई बार विवादों के कारण चर्चा में रहने वाले सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के कुलपति की कमेटी ने ही कागजों में बनी यूनिवर्सिटी का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की थी। उसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार निजी यूनिवर्सिटी खोलने के लिए विधानसभा में बिल तक ले आई। मामले का खुलासा होने के बाद बिल वापस ले लिया गया। इधर, पोल खुलने के बाद यूनिवर्सिटी के लिए आवेदन करने वाली संस्था ने लीपापोती के लिए रातों रात युद्ध स्तर पर निर्माण शुरू करा दिया। एक दर्जन से ज्यादा ट्रैक्टर-ट्रक और 60 से ज्यादा मजदूर रात-दिन कंस्ट्रक्शन में जुटे हुए हैं। इस पूरे यूनिवर्सिटी स्कैम को जानने के लिए इसे शुरू से समझना जरूरी है। पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट…

धांधली 1 : आवेदन करने वाली संस्था ने जो कहा, उसे ही सच मान लिया
यूनिवर्सिटी के लिए आवेदन करने वाली संस्था गुरुकुल शिक्षण संस्थान का सीकर में एक इंस्ट्यूशन चल रहा है। जहां 10 एकड़ में बनी बिल्डिंग में 5 इंस्टीट्यूट चल रहे हैं। यूनिवर्सिटी की जांच करने आई कमेटी को यही बिल्डिंग दिखाई गई। 10 एकड़ में फैले इस इंस्टीट्यूट को 80 एकड़ में बनी यूनिवर्सिटी का हेडक्वार्टर बताया गया। इसके लिए कमेटी ने इसी बिल्डिंग के फोटो और वीडियो बनाकर उसे रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी बताया। जबकि चार सदस्य कमेटी को यूनिवर्सिटी का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करनी थी। इसके लिए फिजिकल और ह्यूमन रिसॉर्स का वैरिफिकेशन करना था।

इससे पहले जहां यूनिवर्सिटी बताई गई थी, वहां केवल खाली जमीन ही थी।
इससे पहले जहां यूनिवर्सिटी बताई गई थी, वहां केवल खाली जमीन ही थी।

धांधली 2 : यूनिवर्सिटी की जमीन देखी ही नहीं
यूनिवर्सिटी की जमीन सीकर से करीब 30 किलोमीटर दूर कोछोर गांव के पास है। जमीन खसरा नंबर 47,181,182, 2607/182, 189, 2609/189, 282/2755, 287, 307, 308, 309, 310/2757, 555, 819/559, 799/560, 801/ 798 पर स्थित है। टीम ने मौके पर जाकर खसरा संख्या के अनुसार जमीन का फिजिकल वेरिफिकेशन किया ही नहीं। वे संस्था के बताए अनुसार सीकर शहर में स्थित कॉलेज में गए और उसे ही यूनिवर्सिटी मानकर रिपोर्ट पेश कर दी।

मामला सामने आने के बाद रातों-रात खाली पड़ी जमीन पर निर्माण कार्य शुरू करवा दिया गया।
मामला सामने आने के बाद रातों-रात खाली पड़ी जमीन पर निर्माण कार्य शुरू करवा दिया गया।

धांधली 3 : यूनिवर्सिटी की जमीन का माप नहीं किया
निजी यूनिवर्सिटी एक्ट 2005 के अनुसार यूनिवर्सिटी के लिए कम से कम 30 एकड़ जमीन होना अनिवार्य है। संस्था ने बताया कि वे 80 एकड़ में यूनिवर्सिटी बना रहे हैं, जबकि कमेटी संस्था की ओर से बताए गए जिस इंस्टीट्यूट में गई, वो भी 10 एकड़ में ही बना है। कमेटी के किसी सदस्य को 10 एकड़ और 80 एकड़ का फर्क समझ में नहीं आया और न ही उन्होंने जमीन का नाप लिया।

कमेटी के मुखिया का कंट्रोवर्सी से पुराना नाता
विधानसभा में 11 विधायक सुखाड़िया यूनिवर्सिटी से जुड़े लगभग दो दर्जन सवाल विधानसभा में उठा चुके हैं।डेढ़ साल में कुलपति की योग्यता से लेकर उनके निर्णय पर कई बार सवाल उठ चुके हैं।

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. अमेरिका सिंह के नियुक्ति पर सवाल उठाए थे कि उनके अनुभव प्रमाण पत्र सहित अन्य दस्तावेजों सही हैं या फर्जी इसकी जांच होनी चाहिए। तर्क था कुलपति ने जो अनुभव प्रमाण पत्र पेश किया है, उस पर कॉलेज या यूनिवर्सिटी का लोगो नहीं है और न ही कुलसचिव की मोहर है।

प्रमाण पत्र फरवरी 2015 को दिया गया है, इसमें किस पद पर रहे, कितने समय रहे इसकी जानकारी नहीं है। कुलपति की नियुक्ति जुलाई 2020 में हुई। प्रमाण पत्र में कुलपति की 2015 से 2020 की सेवा अवधि की कोई जानकारी नहीं है। यूपी टेक्नीकल यूनिवर्सिटी की 2008 और 2009 की एनुअल रिपोर्ट में डॉ. अमेरिका सिंह को असिस्टेंट प्रोफेसर बताया गया है, जबकि प्रमाण पत्र में 2007 से खुद को प्रोफेसर बता रहे हैं। जो प्रमाण पत्र दिया है, उसमें कुलसचिव डाॅ. प्रदीप के हस्ताक्षर को मिलाया जाए। एफएसएल जांच के लिए भेजा जाए, ताकि दोनों हस्ताक्षरों की सच्चाई पता चल सके।

चार सदस्यों की कमेटी ने बनाई थी रिपोर्ट
गुरुकुल शिक्षण संस्थान ने गुरुकुल विश्वविद्यालय सीकर के नाम से यूनिवर्सिटी के लिए आवेदन किया था। राज्य सरकार ने निजी विश्वविद्यालय एक्ट 2005 के तहत चार सदस्यों की कमेटी का गठन कर यूनिवर्सिटी के इंस्पेक्शन के लिए भेजा था। कमेटी में मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय उदयपुर के कुलपति प्रोफेसर अमेरिका सिंह, सुखाडिया विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय अध्यक्ष एवं सांख्यिकी विषय के प्रोफेसर घनश्यम सिंह राठौड़, राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर में सांख्यिकी विषय के सह आचार्य डॉ जयंत सिंह एवं विधि महाविद्यालय अलवर में सह आचार्य डॉ विजय बेनीवाल को शामिल किया गया। कमेटी ने गुरुकुल यूनिवर्सिटी का इंस्पेक्शन कर अपनी रिपोर्ट सरकार को भेजी थी।

अब मुझे एक भी फैक्ट याद नहीं : प्रो. घनश्याम
रिपोर्ट सरकार को भिजवा दी। अब मुझे फेक्ट याद भी नहीं है, इसलिए अभी इस बारे में कुछ भी नहीं बता सकता हूं।

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