बजट की वो बातें जो बजट में नहीं बताते …!

बजट की वो बातें जो बजट में नहीं बताते:कोरोना से लड़ाई अब ग्लोबल फंड के सहारे…जनरल एजुकेशन पर खर्च 15% घटा

केंद्र सरकार का बजट पेश हो चुका है। मध्यम वर्ग के लिए राहत…किसानों को सौगात…रक्षा पर खास फोकस…ऐसी हेडलाइन्स से आपको बजट समझाने की कोशिशें भी हर टीवी चैनल-अखबार में हो चुकी है।

लेकिन बजट से जुड़ी कुछ बातें हैं जो सीधे तौर पर सामने नहीं आतीं।

उदाहरण के लिए…क्या आप जानते हैं कि इस बार सरकार ने बच्चों की जनरल एजुकेशन पर खर्च 15% घटा दिया है?

क्या आप जानते हैं कि डिफेंस पर खर्च असल में सिर्फ 1.49% ही बढ़ाया गया है?

पिछले 3 सालों में कोरोना की भयावहता और इसके लिए तैयार रहने की जरूरत तो सबको समझ में आ गई है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस तैयारी के लिए सरकार ने अलग से सिर्फ 1.78 करोड़ रुपए रखे हैं।

हां, पहली बार ग्लोबल फंड ग्रांट को करीब 500 करोड़ रुपए दिए हैं। अब यही उम्मीद है कि जब जरूरत का वक्त हो तो इसी ग्लोबल फंड से एंबुलेंस से लेकर ऑक्सीजन तक का सारा खर्च मिलेगा।

सरकार के एक्सपेंडिचर बजट के दस्तावेज की पड़ताल में ऐसे ही कई छोटे-छोटे डीटेल मिलते हैं जो दरअसल आपकी जिंदगी पर बड़ा असर रखते हैं।

सबसे पहले बजट के इन दो जरूरी हिस्सों को समझिए

रेवेन्यू एक्सपेंडिचर और कैपिटल एक्सपेंडिचर

वित्त मंत्री के बजट भाषण में किसी भी मंत्रालय या योजना को मिलने वाले कुल बजट का जिक्र होता है। इसमें कितना हिस्सा नए असेट्स के लिए होगा ये बजट के डीटेल में ही छुपा होता है।
वित्त मंत्री के बजट भाषण में किसी भी मंत्रालय या योजना को मिलने वाले कुल बजट का जिक्र होता है। इसमें कितना हिस्सा नए असेट्स के लिए होगा ये बजट के डीटेल में ही छुपा होता है।

सरकार एक्सपेंडिचर बजट के दस्तावेज में इस बात का पूरा ब्योरा देती है कि हर मंत्रालय को कितना बजट दिया जाएगा और इसमें से कितनी राशि किस योजना या संस्थान पर खर्च होगी।

हर मंत्रालय को दिए जाने वाले खर्च के दो हिस्से होते हैं।

पहला हिस्सा- रेवेन्यू एक्सपेंडिचर

इसके तहत किसी मंत्रालय को उसकी चल रही योजनाओं या किसी नई शुरू की गई योजना का रनिंग एक्सपेंस दिया जाता है। इससे योजना या संस्थान से जुड़े रोजमर्रा के खर्च पूरे किए जा सकते हैं। मगर कोई कर्ज नहीं चुकाया जाता या कोई नया निवेश नहीं किया जाता।

दूसरा हिस्सा- कैपिटल एक्सपेंडिचर

ये एक तरह से सरकार के निवेश का लेखा-जोखा होता है। किसी मंत्रालय या उसके विभाग/संस्थान/स्कीम को मिलने वाला कैपिटल बजट बताता है कि उससे जुड़े नए असेट बनाने में सरकार कितना निवेश कर रही है।

इसे ऐसे समझिए…

सरकार ने 2023-24 के बजट में पर्यटन मंत्रालय के लिए 2400 करोड़ का बजट रखा है, लेकिन ये पूरा बजट रेवेन्यू एक्सपेंडिचर के तहत है।

यानी सरकार पर्यटन से जुड़ा कोई भी नया असेट नहीं खरीद रही है। ये राशि पर्यटन मंत्रालय को अपने संस्थान-योजनाओं का खर्च उठाने के लिए दी गई है।

अब बजट में शेयर से समझिए…सरकार का खर्च कहां ज्यादा

45 लाख करोड़ का बजट…102 मंत्रालय…सिर्फ 14 का शेयर 1% से ज्यादा

केंद्र सरकार का 2023-24 का कुल बजट 45 लाख करोड़ से ज्यादा का है। ये बजट सरकार के 102 मंत्रालयों/विभागों में बंटा है।

सबसे बड़ी 37.52% की हिस्सेदारी वित्त मंत्रालय की है, लेकिन इसमें कैपिटल बजट का हिस्सा ज्यादा है। यह वो हिस्सा है जो आने वाले साल में सरकार के निवेश पर खर्च होगा।

इसके बाद सबसे बड़ा हिस्सा यानी बजट का 13.18% डिफेंस पर खर्च होगा। कुल 14 मंत्रालय ही ऐसे हैं जिनकी बजट में हिस्सेदारी 1% से ज्यादा है।

2022-23 के रिवाइज्ड बजट एस्टिमेट्स के मुकाबले सिर्फ 1.49% ही बढ़ा रक्षा बजट

2022-23 के बजट से तुलना की जाए तो इस बार रक्षा मंत्रालय का बजट 13.01% बढ़ा दिया गया है।

असलियत ये है कि 2022-23 के बजट में रक्षा मंत्रालय के लिए बजट तो 5.25 लाख करोड़ का मांगा गया था, लेकिन रिवाइज्ड एस्टिमेट्स बताते हैं कि रक्षा मंत्रालय ने इससे 11.35% ज्यादा यानी 5.84 लाख करोड़ से ज्यादा खर्च किए।

रिवाइज्ड एस्टिमेट की तुलना में देखें तो 2023-24 में रक्षा मंत्रालय बजट सिर्फ 1.49% ही बढ़ा है।

रक्षा मंत्रालय पेंशन्स पर 23.28% बजट खर्च करेगा

2021-22 में रक्षा मंत्रालय ने पेंशन्स पर वास्तविक खर्च 1,16,799.85 करोड़ रुपए किया था।

2022-23 के बजट में पेंशन्स के लिए 1,19,696 करोड़ रुपए मांगे गए थे, मगर रिवाइज्ड एस्टिमेट्स में ये राशि बढ़कर 1,53,414.49 करोड़ रुपए हो गई।

अब 2023-24 के लिए बजट में पेशन्स के लिए 1,38,205 करोड़ रुपए मांगे गए हैं।

ये डिफेंस के कुल बजट का 23.28% फीसदी है।

वेतन-भत्तों पर खर्च होगा 26% बजट…वेतन का 8.72% हिस्सा सिविलयन कर्मचारियों को

2021-22 में रक्षा मंत्रालय ने तीनों विंग्स को मिलाकर वेतन भत्तों पर कुल 1,36,431.66 करोड़ रुपए खर्च किए थे।

2023-24 में यह खर्च 13.21% बढ़कर 1,54,458.99 करोड़ हो गया है।

2021-22 में तीनों विंग्स ने सिविलियन्स को बतौर वेतन-भत्ते 10,548.85 करोड़ रुपए दिए थे। ये वेतन भत्तों पर कुल खर्च का 7.73% था।

2023-24 में सिविलियन्स के वेतन-भत्तों के लिए 13,470.58 करोड़ रुपए मांगे गए हैं। ये वेतन भत्तों पर कुल खर्च का 8.72% है।

रक्षा मंत्रालय के कुल बजट का 26% हिस्सा वेतन-भत्तों पर खर्च होगा।

डिफेंस प्रोजेक्ट्स पर पिछली बार पूरा पैसा खर्च नहीं हुआ…इस बार और ज्यादा मांगा गया

रक्षा मंत्रालय ने डिफेंस प्रोजेक्ट्स पर 2021-22 में वास्तविक खर्च 1,37,986.97 करोड़ रुपए किया था।

2022-23 के बजट में ये राशि बढ़ाकर 1,52,369.61 करोड़ रुपए मांगे गए। मगर रिवाइज्ड एस्टिमेट्स से पता चलता है कि 1,50,000 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए।

2023-24 में फिर प्रोजेक्ट्स के लिए मांगी गई राशि बढ़ाकर 1,62,600 करोड़ रुपए कर दी गई है।

कोरोना के दौर में हेल्थ बजट बढ़ाने का वादा था…मगर पब्लिक हेल्थ में सरकार का निवेश घटा, हेल्थ रिसर्च का बजट भी घटा

कोरोना के दौर में सरकार की ओर से कई बार ये दावा किया गया था कि देश में हेल्थ रिसर्च को बढ़ावा दिया जा रहा है। मगर इस बार हेल्थ रिसर्च का बजट करीब 7% घटा दिया गया है।

बजट में हिस्सेदारी के हिसाब से प्राथमिकता तय की जाए तो स्वास्थ्य मंत्रालय 13वें नंबर पर आता है।

इस बार के बजट का सिर्फ 1.97% हिस्सा ही स्वास्थ्य पर खर्च किया जाएगा। 86,175 करोड़ रुपए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर खर्च किए जाएंगे जबकि हेल्थ रिसर्च पर 2,980 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

हेल्थ रिसर्च के लिए 2022-23 में 3,200.65 करोड़ रुपए दिए गए थे। इस बार सरकार ने हेल्थ रिसर्च का बजट 6.89% घटा दिया है।

मेडिकल एंड पब्लिक हेल्थ के मद में सरकार ने रेवेन्यू बजट 9.20% बढ़ाया है।

लेकिन इस मद में कैपिटल आउटले सरकार ने पिछले साल के मुकाबले 5.98% घटा दिया है। कैपिटल बजट का मतलब होता है कि इस सेक्टर में नए एसेट बनाने में सरकार निवेश कर रही है।

2022-23 में मेडिकल एंड पब्लिक हेल्थ के लिए कैपिटल बजट 5,537.36 करोड़ का था जबकि 2023-24 में ये घटकर 5,205.85 करोड़ रुपए रह गया है।

कोविड-19 से लड़ने की तैयारी के लिए सिर्फ 1.78 करोड़ रुपए

पिछले साल ही देश ने कोरोना की तीसरी लहर झेली थी। उस वक्त भी सरकार ने इस बात पर जोर दिया था कि विशेष एंबुलेंस हों, ऑक्सीजन प्लांट्स या स्टाफ की ट्रेनिंग…इन सब पर सरकार का पूरा फोकस है। मगर पिछले दो साल से सरकार इस मद पर 2 करोड़ भी खर्च नहीं कर रही है।

कोविड-19 से निपटने की तैयारी में सरकार ने 2021-22 में 646.27 करोड़ रुपए खर्च किए थे।

यह राशि अस्पतालों को कोविड-19 के लिए तैयार करने, ऑक्सीजन की उपलब्धता और स्टाफ की ट्रेनिंग समेत दूसरे कामों पर खर्च हुई थी।

2022-23 के बजट में सरकार ने इस मद कोई राशि ही नहीं दी थी, लेकिन रिवाइज्ड एस्टिमेट्स में 1.78 करोड़ रुपए का खर्च दिखाया गया था।

2023-24 के बजट में भी सरकार ने 1.78 करोड़ की राशि इस मद में दी है और ये राशि भी रनिंग एक्सपेंस के लिए है।

इसके बजाय सरकार ने पहली बार 495 करोड़ रुपए ग्लोबल फंड ग्रांट में देने की घोषणा की है। ये एक अंतरराष्ट्रीय फंड है जो मूलत: मलेरिया, टीबी और एड्स से लड़ने में देशों को मदद देता है।

बजट नोट्स में इस बात का जिक्र किया गया है कि मोबाइल पीएसए यूनिट्स, एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस, ऑक्सीजन प्लांट्स और स्टाफ की ट्रेनिंग के लिए ग्लोबल फंड 100% ग्रांट दे रहा है।

आपके ही पैसों से आप आयुष्मान…इनकम टैक्स पर चुका रहे सेस से योजना का लगभग पूरा खर्च

आयुष्मान भारत योजना में भारत के करीब 10 करोड़ परिवार यानी करीब 50 करोड़ लोग कवर्ड हैं। मगर इस मुफ्त बीमा का पैसा उसी सेस से आता है जो ये आबादी इनकम टैक्स पर चुकाती है।

सरकार ने 2023-24 के बजट में आयुष्मान भारत योजना के लिए 7,200 करोड़ रुपए दिए हैं जो पिछले साल के मुकाबले 12.28% ज्यादा है।

लेकिन खास बात ये है कि इस 7,200 करोड़ में से 6,789 करोड़ रुपए PM स्वास्थ्य सुरक्षा निधि से दिए जाएंगे और कैपिटल बजट से सिर्फ 411 करोड़ रुपए दिए जाएंगे।

PM स्वास्थ्य सुरक्षा निधि मार्च, 2021 में बनाई गई थी। ये एक नॉन-लैप्सेबल रिजर्व फंड है, जिसमें हेल्थ एंड एजुकेशन सेस से आने वाली राशि जमा होती है।

ये 4% हेल्थ एंड एजुकेशन सेस इनकम टैक्स भरने वाले हर व्यक्ति को देना होता है, चाहे वह किसी भी टैक्स स्लैब में आता हो। ये सेस 2018 में शुरू किया गया था।

2022-23 में इस सेस के जरिये PM स्वास्थ्य सुरक्षा निधि में 14,589 करोड़ रुपए आएंगे और इसका 46.5% हिस्सा आयुष्मान भारत पर खर्च किया जाएगा।

शिक्षा मंत्रालय…जनरल एजुकेशन का बजट 15% घटा, जम्मू-कश्मीर के छात्रों की स्पेशल स्कॉलरशिप बंद

2010 में गठित एक एक्सपर्ट कमेटी के सुझाव पर जम्मू-कश्मीर के हायर एजुकेशन के छात्रों के लिए स्कॉलरशिप स्कीम शुरू की गई थी। इसके तहत हर साल 5,000 स्कॉलरशिप्स दी जाती थीं। मगर इस बार इस मद में कोई बजट नहीं दिया गया है।

2023-24 के बजट में सरकार ने जनरल एजुकेशन के लिए बजट ही 15% घटा दिया है।

2023-24 में शिक्षा पर सरकार बजट का 2.50% खर्च करेगी। हालांकि 2022-23 के मुकाबले ये बजट सिर्फ 8.26% ही बढ़ाया गया है।

खास बात ये है कि जनरल एजुकेशन के लिए सरकार ने इस बार 15012.58 करोड़ रुपए का बजट रखा है। लेकिन ये 2022-23 के बजट से 15.35% कम है। पिछले साल सरकार ने जनरल एजुकेशन के लिए 17,735.95 करोड़ रुपए का बजट रखा था।

उच्च शिक्षा के छात्रों को सरकार की ओर से मिलने वाली आर्थिक मदद का बजट पिछले साल के मुकाबले 5.9% घट गया है।

सरकार ने 1554 करोड़ के बजट के साथ पीएम उच्चतर शिक्षा प्रोत्साहन योजना शुरू की है और साथ ही PM रिसर्च फेलोशिप का बजट पिछले साल के मुकाबले दोगुना करते हुए 400 करोड़ कर दिया है।

लेकिन पहले से चल रही तीन योजनाओं को बंद कर दिया गया है। इसमें जम्मू-कश्मीर के छात्रों के लिए चल रही स्पेशल स्कॉलरशिप स्कीम भी है।

ई-लर्निंग से लेकर रिसर्च एंड इनोवेशन का बजट घट गया

सरकार कॉलेज लेवल से ही ई-लर्निंग और रिसर्च को बढ़ावा देने की बात तो जरूर करती है। मगर इस बार बजट में इन दोनों ही चीजों के लिए आवंटन घट गया है।

डिजिटल इंडिया ई-लर्निंग का बजट 421.01 करोड़ रुपए से घटाकर 420 करोड़ रुपए कर दिया गया है। वहीं, रिसर्च एंड इनोवेशन का कुल बजट भी 218.66 करोड़ से 3.6% घटाकर 210.61 करोड़ कर दिया गया है।

खास बात ये है कि रिसर्च एंड इनोवेशन की कुल 8 योजनाओं में से 5 का बजट घटा दिया गया जबकि एक स्कीम बंद कर दी गई।

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