डिस्काउंट के लिए मशहूर डी-मार्ट …?
कई बिजनेस फेल होने के बाद राधाकृष्ण दमानी ने किया था शुरू, आधी कमाई फूड और ग्रॉसरी से…
डी-मार्ट यानी भारत का वॉलमार्ट। कंपनी जो न होली देखती है, न दीवाली। इसका सिर्फ एक ही मोटो है- कम खरीदो, सस्ता बेचो। राधाकृष्ण दमानी जब डी-मार्ट की शुरुआत कर रहे थे, उससे पहले कई बार अमेरिका जा चुके थे। वे दुनिया की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट के फाउंडर सैम वाल्टन की रिटेल थ्योरी को समझना चाहते थे। बाद में उन्होंने ‘एवरी-डे लो प्राइस और एवरी-डे लो कॉस्ट’ जैसी थ्योरी अपनी कंपनी में भी लागू की। आज करीब 20 सालों से मौजूद डी-मार्ट के देशभर में 300 से ज्यादा स्टोर्स हैं। फिलहाल डी-मार्ट अपने फाउंडर दमानी की वजह से चर्चा में है। दमानी ने हाल ही में रियल एस्टेट की सबसे बड़ी डील करके सबको चौंका दिया। उन्होंने मुंबई में 1238 करोड़ रुपए में 28 लग्जरी अपार्टमेंट खरीदे हैं।
आज मेगा एम्पायर में जानिए डी-मार्ट के सफल होने की कहानी…
दमानी के कई बिजनेस मॉडल फेल होने के बाद बना डी-मार्ट
डी-मार्ट शुरू करने से पहले दमानी ने सबसे पहले बॉल-बियरिंग बिजनेस शुरू किया लेकिन वो चला नहीं। इसी बीच उनके पिता की मृत्यु हो गई। दमानी ने नए सिरे से नया काम शुरू किया। पांच हजार रुपए स्टॉक मार्केट में लगाए और ट्रेडिंग शुरू की। छोटी-छोटी कंपनियों में इन्वेस्ट करके 1990 तक दमानी ने करोड़ों रुपए कमाए। साल 1999 में मुंबई में ही एक और फ्रेंचाइजी बिजनेस मॉडल शुरू किया। दमानी का ये बिजनेस मॉडल भी फेल हो गया। फिर आया साल 2002 जब मुंबई के पवई में दमानी ने डी-मार्ट का पहला स्टोर शुरू किया, जो चल निकला।
तीन कारणों में समझिए डी-मार्ट के सालभर ऑफर देने की वजह
डी-मार्ट अपने डिस्काउंट वाले आइडिया की वजह से सफल हुई, ये सबको पता है। मगर क्या आप जानते है कि कैसे कोई कंपनी सालभर ऑफर देकर भी घाटे में नहीं जाती! इसे तीन कारणों में समझिए-
पहला कारण है, डी-मार्ट के किसी भी स्टोर का किराए पर न होना। कंपनी खुद की बिल्डिंग खरीदती है। लीज पीरियड भी इसका तीस सालों से अधिक होता है।
दूसरा कारण है, स्टोर में कुछ ही मुख्य ब्रांड का होना और ज्यादा से ज्यादा अपने ब्रांड का सामान रखना। कंपनी का मानना है कि ज्यादा ब्रांड का सामान रखना कस्टमर्स को कन्फ्यूज करता है।
तीसरा कारण है, स्टॉक को जल्द से जल्द खत्म कर देना। जहां एक तरफ डी-मार्ट का इंवेंटरी टर्न ओवर टाइम करीब 30 दिन है। वहीं, अधिकांश कंपनियों का 70 दिन होता है।
बाकी स्टोर्स के मुकाबले डी-मार्ट के इतने सफल हो जाने का फॉर्मूला
डी-मार्ट कई वजहों से बाकी कंपनियों से अलग हैं। इसके इतने सफल होने के पीछे स्टोर किराए पर नहीं लेना और ज्यादा ब्रांड नहीं रखना, ये कारण तो है ही। इसके अलावा डी-मार्ट का फॉर्मूला है कि ये किसी भी मॉल या शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में अपना स्टोर नहीं खोलते। साथ ही अपने स्टोर से जुड़े वेंडर्स और सप्लायर्स का विशेष ध्यान रखते हैं। वे उन्हें किसी भी कीमत पर निराश नहीं होने देते। अपने वेंडर्स को तुरंत भुगतान करते हैं। इससे उन्हें सामान सस्ता मिलता है। फिर वो खुद उसे सस्ता बेचते हैं।
डी-मार्ट ज्यादा स्टोर खोलने की दौड़ में शामिल नहीं हुआ
डी-मार्ट के नए स्टोर खोलने की रफ्तार बाकी कंपनियों की तुलना में काफी धीमी है। दमानी का मानना है कि हमें हर चीज के बारे में लंबी अवधि के लिए सोचना चाहिए। यही वजह है कि नए स्टोर खोलना हो या नया प्रोडक्ट लॉन्च करना हो, डी-मार्ट हड़बड़ी नहीं करता। एक तरफ जहां 2006 से शुरू हुए रिलांयस रिटेल के आज 10 हजार से ज्यादा स्टोर्स हैं। वहीं दूसरी तरफ 2002 से चल रहे डी-मार्ट के अभी भी 400 से कम स्टोर हैं। डी-मार्ट अपने ज्यादातर रिटेल स्टोर मिडिल क्लास वाले रिहाइश में खोलता हैं, जहां प्रॉपर्टी की कीमत भी कम हो। मौजूदा समय में इस रिटेल चेन के स्टोर देश के 10 राज्यों, एक केंद्र शासित प्रदेश और एनसीआर में हैं। अभी इसमें करीब 10 हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं। कंपनी कॉन्ट्रैक्ट पर भी लोगों को नियुक्त करती है। कॉन्ट्रैक्ट पर 30 हजार से ज्यादा कर्मचारी हैं।
डी-मार्ट का पूरा कारोबार दमानी की दो बेटियों की देखरेख में चलता है
डी-मार्ट रिटेल चेन चलाने वाली कंपनी एवेन्यू सुपरमार्केट के फाउंंडर राधाकृष्ण की तीन बेटियां हैं। बड़ी बेटी मधु, दूसरे नंबर की बेटी मंजरी जिनकी शादी मशहूर चांडक डेवलपर के परिवार में हुई है। मधु की शादी अभय चांडक और मंजरी की शादी आदित्य से हुई है। चांडक परिवार मुंबई के नामी और रईस परिवार में से एक है। दमानी की सबसे छोटी बेटी का नाम ज्योति है। मौजूदा समय में डी-मार्ट चेन के स्टोर्स का बिजनेस दमानी की बड़ी बेटी मधु और दूसरे नंबर की बेटी मंजरी की देखरेख में चलता है। कंपनी से जुड़े सारे अहम फैसले वे ही लेती हैं।