भाजपा नेता अनूप मिश्रा …!
भाजपा नेता अनूप मिश्रा :गुजरात फॉर्मूला लागू हुआ तो आपका भविष्य क्या रहेगा?
जवाब- मेरा चुनाव लड़ना जरूरी नहीं, जरूरत सरकार बनाने की है
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन के लिए गुजरात फॉर्मूले की हिमायत कर रहे पूर्व मंत्री और भाजपा नेता अनूप मिश्रा का कहना है कि नए और पुराने प्रत्याशियों में पार्टी को योग्य प्रत्याशी का चयन करना चाहिए। प्रत्याशियों का चयन गुटबाजी या अपने-तेरे की भावना से ऊपर उठकर चुनाव जीतने के लिए होना चाहिए। मेरा या किसी नेता का चुनाव लड़ना जरूरी नहीं है, बल्कि जरूरत है पार्टी की सरकार बनाने की।
सवाल- प्रदेश में आपने गुजरात फॉर्मूले का समर्थन किया है, ये यहां किस तरह लागू होना चाहिए?
– गुजरात फॉर्मूले को जहां तक मैं समझ पाया हूं, उसके हिसाब से नेतृत्व को नए और पुराने प्रत्याशियों में से सक्षम प्रत्याशी का चुनाव कर टिकट देना चाहिए। हमको गुटबाजी से हटकर जीतने वाले प्रत्याशी को ही चुनाव मैदान में उतारना चाहिए।
सवाल – गुजरात फॉर्मूला लागू हुआ तो आपका भविष्य क्या रहेगा? इसे किस रूप में देखते हैं?
– व्यक्ति नहीं, पार्टी बड़ी होती है। यहां मेरा या किसी और नेता का चुनाव लड़ना जरूरी नहीं है। जरूरत है तो सरकार बनाने की। इस सोच के साथ प्रत्याशियों का चयन होना चाहिए। यदि मैं इस दायरे में नहीं आता तो मुझे भी टिकट नहीं देना चाहिए।
सवाल – भाजपा में अभी ब्राह्मण नेता हाशिए पर हैं। पिछड़ा वर्ग, आदिवासी और दलित राजनीति उफान पर है? आप क्या मानते हैं?
– ब्राह्मण के लिए राष्ट्रहित बड़ा है, दल नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति सामाजिक रूप से हितकारी लगती हैं, इसलिए ब्राह्मण खुद की चिंता किए बगैर राष्ट्रहित में
मतदान करेगा।
सवाल- ग्वालियर दक्षिण, ग्वालियर पूर्व और भितरवार विधानसभा क्षेत्रों में आपकी दावेदारी है। इनमें से ही दावेदारी करेंगे या कोई नया क्षेत्र चुनेंगे?
– भितरवार क्षेत्र में चुनाव लड़ने मैं पार्टी के निर्देश पर गया था। वहां मेरी दावेदारी नहीं है। मैं शहर की सीट पर दावेदारी करूंगा, लेकिन दावेदारी कौनसी सीट से होगी यह बात पार्टी के निर्धारित मंच पर ही करूंगा।
सवाल- अब आपकी गिनती सिंधिया कैंप में होती है। सिंधिया लगातार आपके घर भी आ रहे हैं?
– मेरे और सिंधिया परिवार के संबंध अटलजी के कारण शुरू से बहुत अच्छे हैं। स्व. माधवराव सिंधिया को मैं महाराज नहीं, बल्कि भैया कहता था। मेरा पहला टिकट 1990 में स्व. राजमाता ने ही दिलाया था। इस चुनाव में जब बालेंदु शुक्ला हारे तो सबसे पहले बधाई का फोन स्व. माधवराव सिंधिया का ही आया था, जबकि बालेंदु उनके बालसखा थे। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से सांसद थे और मैं भाजपा से, इसके बाद भी हम लोग साथ बैठकर बात करते थे।
सवाल – क्या कारण है कि आप सक्रिय राजनीति से दूरी बनाते जा रहे हैं? आप विकास यात्रा में कहीं दिखे नहीं?
– विकास यात्रा के लिए रोजाना फोन आ रहे हैं, लेकिन मेरे परिवार में शोक होने से मैं पिछले कई दिनों से कार्यक्रमों में नहीं जा रहा हूं। कार्यक्रमों में लोगों का एकत्र होना जिला नेतृत्व पर आधारित है। भितरवार से चुनाव लड़ने के बाद कुछ समय तक शहर इकाई ने मुझे ग्रामीण क्षेत्र का नेता माना, लेकिन अब नई कार्यकारिणी के आने के बाद से पार्टी कार्यक्रमों की सूचना लगातार मिल रही है।