भाजपा को 336 करोड़ चंदा देने वाले ट्रस्ट …!
अडाणी से नहीं…भाजपा को ‘लक्ष्मी’ मित्तल से मिली:भाजपा को 336 करोड़ चंदा देने वाले ट्रस्ट में सबसे बड़ा दान आर्सेलर मित्तल का
पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव से 2023-24 के चुनावी मेले का आगाज हो चुका है। रैलियां, भाषण और करोड़ों का खर्च…चुनावी मौसम में इन चीजों की चर्चा आम है।
ये सवाल आपके दिमाग में भी आता जरूर होगा कि पार्टियां आखिर फंड जुटाती कहां से हैं। कहने को तो जवाब भी आसान है…दान।
लेकिन इस आसान से दिखने वाले दान के ब्योरे को खंगालें तो चौंकाने वाली बातें भी सामने आती हैं।
जैसे…क्या आप जानते हैं कि सबसे ज्यादा दान पाने वाली पार्टी भाजपा को दान देने वालों में न तो गौतम अडाणी का नाम है और ना ही मुकेश अंबानी का।
इन दोनों भारतीय अरबपतियों के ग्रुप्स की कंपनियों ने भी 2021-22 में भाजपा को दान नहीं दिया। पार्टी को मिले 614 करोड़ से ज्यादा के दान में से 55% भारत के सबसे बड़े इलेक्टोरल ट्रस्ट, प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने दिया है।
मजेदार बात ये है कि प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने जो राशि दान में दी, उसका करीब 28% पैसा अरबपति स्टील टायकून लक्ष्मी मित्तल के आर्सेलर मित्तल ग्रुप से आया था। 11% से ज्यादा भारती एयरटेल ग्रुप से और करीब 10% पैसा अदार पूनावाला के सीरम इंस्टिट्यूट से।
दान में मिली रकम, दान में बांटने से लेकर इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिये पार्टियों तक फंड पहुंचाने के तरीकों तक पार्टियों का चुनावी खर्च किसी भूलभुलैया से कम नहीं है।
समझिए, कैसे पार्टियों को मिलती है फंडिंग और कौन हैं दान के लिए बने इलेक्टोरल ट्रस्ट्स के असली मालिक…
पहले देखिए, कितनी पार्टियों ने दिया दान में मिली रकम का ब्योरा
40 पार्टियों ने चुनाव आयोग को दिया दान का ब्योरा…9 ने कहा- 1 रुपया भी दान नहीं मिला
8 राष्ट्रीय पार्टियों समेत कुल 40 पार्टियों ने 2021-22 में मिले दान का ब्योरा चुनाव आयोग को सौंपा है। इनमें से बसपा समेत 9 पार्टियों ने कहा है उन्हें 1 रुपया भी दान में नहीं मिला।
2021-22 में सबसे ज्यादा 614.52 करोड़ का दान भाजपा को मिला है। इसके बाद की दो पायदानों पर दक्षिण की दो पार्टियां हैं। 308 करोड़ रुपए का दान तमिलनाडु में सत्तारूढ़ DMK और 193 करोड़ रुपए का दान तेलंगाना में सत्तारूढ़ TRS को मिला है।
अब इस दान की बारीकी में उतरिए…
भाजपा को मिले 614 करोड़ के दान में से 336 करोड़ प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने दिए
भाजपा ने जो एफिडेविट और दानदाताओं की सूची चुनाव आयोग को सौंपी है, उसके मुताबिक 2021-22 में पार्टी को 614.52 करोड़ रुपए बतौर दान मिले हैं।
खास बात ये है कि इसमें से करीब 55% दान यानी 336.50 करोड़ रुपए प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट की ओर से मिले है।
पूरे साल में ट्रस्ट ने पार्टी को 26 बार दान दिया है। किसी भी बार दान की राशि 1 करोड़ से कम नहीं थी, जबकि सबसे ज्यादा दान 23 फरवरी, 2022 को दिया गया। राशि 55 करोड़ रुपए थी।
पूरे 336.50 करोड़ की रकम 26 चेक में दी गई थी।
इस हिसाब से प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट भाजपा की सबसे बड़ी दानदाता है।
अब सवाल…क्या है प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट
33 कॉर्पोरेट कंपनियों की बैकिंग से चलता है भारत का सबसे बड़ा इलेक्टोरल ट्रस्ट…2014 में बना था
भारत में 22 इलेक्टोरल ट्रस्ट रजिस्टर्ड हैं। इनमें से प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा एक्टिव भी है।
ये ट्रस्ट 2014 में बना था और उस समय नई दिल्ली के वसंत कुंज में भारती एयरटेल की एक इमारत से ही चलता था।
हालांकि बाद में इसका दफ्तर बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हंस भवन में शिफ्ट कर दिया गया। भारती एयरटेल ग्रुप ने लगातार इस ट्रस्ट के साथ अपने संबंधों पर सफाई दी है।
ग्रुप का कहना है कि ट्रस्ट से सिर्फ भारती एयरटेल ही नहीं, DLF, जेके टायर्स, हीरो मोटोकॉर्प, जिंदल स्टील समेत कई कॉर्पोरेट जुड़े हैं। करीब 33 कंपनियों से प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट को दान मिलता रहा है।
कंपनी रजिस्ट्रार के मुताबकि इस ट्रस्ट में सिर्फ दो शेयरहोल्डर्स हैं…मुकुल गोयल और गणेश वेंकटचलम। दोनों ने ही 2014 में बतौर डायरेक्टर जॉइन किया था।
कंपनियों से मिले 464 करोड़…72% से ज्यादा भाजपा को दिया
प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने चुनाव आयोग को ये ब्योरा दिया है कि 2021-22 में उसे कंपनियों से कितना पैसा मिला और इसमें कितना किस पार्टी को दान में दिया गया।
इस दस्तावेज के मुताबिक ट्रस्ट ने 464.81 करोड़ रुपए 2021-22 में राजनीतिक पार्टियों को दान में दिए गए।
खास बात ये है कि इसमें से 72.39% राशि सिर्फ भाजपा को ही दान में दी गई। कांग्रेस पार्टी को तीन तरह से दान दिया गया, लेकिन फिर भी कुल राशि 16.5 करोड़ ही थी। यानी ट्रस्ट के कुल दान का सिर्फ 3.54% ही कांग्रेस को दिया गया।
अब देखिए…प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट को पैसा कहां से मिला
5 बड़े ग्रुप्स से आया प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट का 60% पैसा…सबसे ज्यादा आर्सेलर मित्तल से
प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट के चुनाव आयोग को दिए ब्योरे के मुताबिक उसे अलग-अलग कंपनियों और लोगों से 2021-22 में कुल 464.83 करोड़ रुपए दान में मिले।
इसमें से 464.81 करोड़ रुपए अलग-अलग राजनीतिक दलों को दान में दिए गए।
ट्रस्ट को दान देने वालों का ब्योरा बताता है कि 5 बड़े कॉर्पोरेट ग्रुप्स के दान से ही ट्रस्ट का 60.4% पैसा आया है।
इसमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी स्टील टायकून लक्ष्मी मित्तल के आर्सेलर मित्तल की है। इस ग्रुप की दो कंपनियों ने करीब 28% पैसा दिया।
ग्राफिक में देखिए, प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट के सबसे बड़े दानदाता कौन हैं…
कंपनियों से मिले दान का तो ब्योरा है…इलेक्टोरल बॉन्ड्स का तो कोई डिटेल ही नहीं
पार्टियां किसी व्यक्ति, ट्रस्ट या कंपनी से मिले का दान का ब्योरा तो चुनाव आयोग को सौंपती हैं। मगर इसमें इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिये मिलने वाले पैसे का जिक्र नहीं होता।
2018 में सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड की स्कीम शुरू की थी। इसके तहत एसबीआई अपनी शाखाओं के जरिये इलेक्टोरल बॉन्ड्स बेचती है। कोई भी व्यक्ति या कंपनी ये बॉन्ड्स खरीद सकते हैं।
एक बार खरीदने के बाद ये बॉन्ड्स किसी भी राजनीतिक पार्टी को दान में दिए जा सकते हैं। पार्टी बिक्री के 15 दिन के अंदर-अंदर इन बॉन्ड्स को कैश करवा सकती है।
लेकिन न तो बॉन्ड खरीदने वाले को ये बताना होता है कि उसने बॉन्ड किसे दिया और ना ही पार्टियों को ये बताना होता है कि ये बॉन्ड किसने दिया।
मार्च 2018 से लेकर दिसंबर 2022 के बीच करीब 11700 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड बिके हैं।
हालांकि बॉन्ड खरीदने वालों के नाम और किस पार्टी को किसने बॉन्ड दान दिया, ये ब्योरा सरकार के पास रहता है। लेकिन ये जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती है।
चुनाव के साल में ज्यादा बिकते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड…जनवरी, 2023 में कितने बिके ये आंकड़ा अभी सार्वजनिक नहीं
हर बार चुनावी साल में इलेक्टोरल बॉन्ड्स की बिक्री बढ़ जाती है। 2019 में मार्च, अप्रैल और मई के महीने में इलेक्टोरल बॉन्ड्स की बिक्री बहुत ज्यादा हुई थी। ये समय लोकसभा चुनाव का था।
जनवरी, 2022 में उत्तर प्रदेश, पंजाब और गोवा के विधानसभा चुनाव के दौरान भी इलेक्टोरल बॉन्ड्स की बिक्री फिर बढ़ गई थी।
जनवरी, 2023 में SBI ने अपनी 29 शाखाओं से इलेक्टोरल बॉन्ड्स की बिक्री की घोषणा की थी। ये बिक्री 28 जनवरी तक की गई, लेकिन इसमें कितने बॉन्ड बिके ये आंकड़ा अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।
पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में चुनाव को देखते हुए ये माना जा रहा है कि जनवरी में बॉन्ड्स की बिक्री फिर बढ़ी होगी।
दानदाताओं की भूलभुलैया से इलेक्टोरल बॉन्ड्स की जानकारी सार्वजनिक न किए जाने तक भारत में पार्टियों की फंडिंग की प्रक्रिया अभी भी पारदर्शिता से दूर है।