मीठा जहर बना नोएडा का कफ-सीरप?

टेस्टी करने को प्रतिबंधित एथिलीन ग्लाइकॉल डाला, जांच में 22 सैंपल फेल; उज्बेकिस्तान का दावा था-इससे 18 बच्चों की मौत हुई …

3 मार्च 2023 को नोएडा पुलिस ने अतुल रावत, तुहिन भट्टाचार्य और मूल सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया …

उज्बेकिस्तान में कथित तौर पर जिस भारतीय कफ सीरप DOK-1 MAX को पीने से 18 बच्चों की मौत हुई थी। उसकी जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। नोएडा की मैरियन बायोटेक कंपनी पर कफ सीरप को जानलेवा बनाने का आरोप है। इसी आरोपों की तहकीकात में उसकी जांच हुई तो 22 सैंपल फेल निकले।

चंडीगढ़ लैब से आई रिपोर्ट में पता चला है कि कफ सीरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल केमिकल मौजूद था। जो भारत समेत कई देशों में बैन है। ये केमिकल कफ सीरप को स्ट्रांग और टेस्टी बनाने के लिए इस्तेमाल होता है। जिससे बच्चों को पीने पर कड़वाहट महसूस न हो। मगर, केमिकल की ज्यादा मात्रा इसको धीमी मौत का सामान बना देती है।

फार्मेसी कंपनी का लाइसेंस कैंसिल करने की तैयारी, 3 अरेस्ट
अब जिन देशों में इस कफ सीरप की सप्लाई हुई, उसको वापस मंगवाया जा रहा है। वहीं, फार्मेसी कंपनी का लाइसेंस कैंसिल करने की तैयारी है। मामले में कंपनी के 3 अधिकारी जेल भेजे जा चुके हैं। जबकि टॉप लेवल के अफसर फरार चल रहे हैं।

अब आपको इस मामले को शुरुआत से परत दर परत समझाते हैं…

उज्बेक रिपोर्ट में दावा- 300 गुना ज्यादा थी एथिलीन ग्लाइकॉल

ये तस्वीरें अतुल रावत, मूल सिंह और तुहीन भट्‌टाचार्य के हैं। इनको 3 मार्च 2023 को गिरफ्तार किया गया।
  • इस मामले में भारत में 27 दिसंबर 2022 को दूतावास से सूचनाएं मिलनी शुरू हुईं। 28 दिसंबर 2022 को भारत सरकार के फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल उदया भास्कर ने मैरियन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड नोएडा के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर सचिन जैन को एक ईमेल भेजी। इसमें बताया कि उज्बेकिस्तान में 2 महीने के भीतर 18 बच्चों की मौत हो गई।
  • भारतीय दूतावास और मीडिया रिपोर्ट में कफ सीरप पीने से मौत होने का दावा किया गया। ये भी बताया गया कि ये कफ सीरप भारत में नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक कंपनी में बना था।
  • इन रिपोटर्स में UzPharmAgency (एजेंसी ऑन डेवलपमेंट फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया था। इसमें ये बताया गया कि कफ सीरप में प्रोपलीन ग्लाइकॉल की जगह एथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा 300 गुना ज्यादा पाई गई है। DG उदया भास्कर ने 3 बिंदुओं पर मैरियन बायोटेक के एमडी से 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी और रिपोर्ट नहीं देने पर लाइसेंस सस्पेंड करने के लिए कहा था।

ब तक क्या हुआ, सिलसिलेवार पढ़िए

मैरियन बायोटेक कंपनी से कफ सीरप की सप्लाई उज्बेकिस्तान सहित फिलीपीन्स, कंबोडिया, किर्गिस्तान आदि कई देशों में होती है।

27 दिसंबर 2022 : यूपी ड्रग विभाग की टीम नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक कंपनी में पहुंची और 36 सैंपल लिए। 9 जनवरी 2023 : सरकार ने जांच पूरी होने तक कंपनी में कई दवाओं का उत्पादन बंद करा दिया। 12 जनवरी 2023 : गड़बड़ी के आरोप में लाइसेंस सस्पेंड कर दिया। कंपनी ने जांच से जुड़े कागजात नहीं दिखाए। 02 मार्च 2023 : ड्रग इंस्पेक्टर आशीष ने नोएडा के थाना फेस-3 में मैरियन बायोटेक कंपनी के डायरेक्टर जया जैन, सचिन जैन, ऑपरेशन हेड तुहीन भट्टाचार्य, मैन्युफैक्चरिंग केमिस्ट अतुल रावत और मूल सिंह आदि के खिलाफ धारा 274, 275, 276, औषधि प्रसाधन सामग्री अधिनियम 17,17-ए और 17-बी के तहत FIR दर्ज कराई। 3 मार्च 2023 : नोएडा पुलिस ने अतुल रावत, तुहिन भट्टाचार्य और मूल सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 4 मार्च 2023 : ड्रग विभाग ने आधिकारिक तौर पर मीडिया को बताया कि क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला (RDTL) चंडीगढ़ लैब से जांच रिपोर्ट आई। इसमें 36 में से 22 सैंपल फेल पाए गए हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट
नोएडा के ड्रग इंस्पेक्टर वैभव बब्बर ने बताया, “22 सैंपल पूरी तरह फेल मिले हैं। इसमें कई सैंपल में कफ सीरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा अधिक पाई गई है। हमने ये रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को भेज दी है।”

सूत्रों ने बताया, “मैरियन बायोटेक कंपनी UK के ड्रग्स बायलॉज के हिसाब से कफ सीरप बना रही थी। जबकि इंडिया और यूएस के ड्रग डिपार्टमेंट अपनी दवाओं में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल को प्रयोग करने की अनुमति नहीं देते।”

एथिलीन ग्लाइकॉल के इस्तेमाल से फेल हो सकती है किडनी
जानकार बताते हैं, एथिलीन ग्लाइकॉल एक कार्बन कंपाउंड होता है। कफ सीरप को मीठा करने के लिए इसको डाला जाता है। अगर सीरप में इसकी अधिक मात्रा हो जाए तो ये जानलेवा हो सकता है। इसके सेवन से किडनी खराब होने का खतरा रहता है। ये केमिकल सीधे तौर पर किडनी पर असर करता है। किडनी तक फेल हो सकती है। इंडिया और यूएस समेत कई देशों में इस केमिकल का प्रयोग प्रतिबंधित है।

जिन देशों को सप्लाई, वहां से वापस आएंगी दवाएं
नोएडा की मैरियन बायोटेक कंपनी से कफ सीरप की सप्लाई उज्बेकिस्तान सहित फिलीपीन्स, कंबोडिया, किर्गिस्तान आदि कई देशों में होती है। नोएडा के ड्रग इंस्पेक्टर वैभव बब्बर ने बताया, “भारत में मैरियन बायोटेक कंपनी के कफ सीरप DOK-1 की सप्लाई नहीं है। इसका एक स्लॉट मई-2021 में उज्बेकिस्तान गया था। जिन-जिन देशों को मैरियन कंपनी की दवाएं सप्लाई हुई थीं। उन्हें वापस मंगवाने का आदेश जारी करने के लिए एक अलर्ट मिला है।”

अब आपको कंपनी के बारे में बताते हैं…
एंटी वायरल, कोल्ड, पेन और फीवर की बनती हैं दवाएं

  • मैरियन बायोटेक लिमिटेड, नोएडा के सेक्टर- 67 में है। इस फर्म के नाम से नोएडा प्राधिकरण ने 5 अक्टूबर 2006 को जमीन आवंटित की थी। कंपनी सचिन जैन और जया जैन के नाम पर रजिस्टर्ड है।
  • इसकी कैटेगरी कास्मेटिक्स परफ्यूम और अदर ब्यूटी प्रोडक्ट्स के नाम से है। अदर कैटेगरी में ड्रग मेंशन किया गया है।
  • साल 2009 में बिल्डिंग को नोएडा अथॉरिटी से कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी हुआ। 8 सितंबर 2010 को कंपनी ने फंक्शनल सर्टिफिकेट प्राप्त किया। कंपनी का बिजनेस प्रोफाइल एक्सपोर्ट मेन्युफेक्चरर है।
  • ये कंपनी रशिया, एक्स सोवियत रिपब्लिक साउथ ईस्ट, एशिया अफ्रीका, लेटिन अमेरिका आदि में दवाओं की सप्लाई करती है। यहां पर एंटी वायरल, एंटी कोल्ड मेडिसिन, पेन और फीवर की दवाएं साथ ही एंटीबायोटिक दवाएं बनती हैं।

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