मातृभाषा में करिअर बनाने के भी हैं कई मौके !

कॉपीराइटर से लेकर पत्रकार और गीतकार तक कई ऑप्शन्स हैं मौजूद

यदि आप किसी व्यक्ति से उस भाषा में बात करते हैं जिसे वह समझता है, तो बात उसके दिमाग में जाती है। लेकिन यदि आप उससे उसकी मातृ-भाषा में बात करते हैं, तो बात उसके दिल तक जाती है।

भारत में कोलोनियल शासन के चलते अंग्रेजी बोलने वाले लोगों को अक्सर अधिक शिक्षित और प्रिविलेज्ड लोगों के रूप में देखा जाता है, जबकि आज भी हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को कम सॉफिस्टिकेटेड या अपमानजनक माना जाता है।

स्कूलों में छोटे बच्चों का एक-दूसरे को चिढ़ाते हुए ‘हिंदी’ का उपयोग ‘चिन्दी’ के रूप में किया जाना आम है। यह विश्वास इंग्लिश से जुड़े सोशल स्टेटस और लाइफ स्टाइल के कारण है, क्योंकि अंग्रेजी अक्सर हाई इनकम नौकरियों और शहरी जीवन से जुड़ी होती है।

लेकिन इससे मातृभाषा अर्थात भारत के सन्दर्भ में हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं का महत्व कम नहीं हो जाता। आज हम मातृभाषा के इसी पहलू पर नजर डालेंगे और देखेंगे कि स्टूडेंट्स और प्रोफेशनल्स के लिए यह किस प्रकार उपयोगी है, उसमें क्या-क्या करिअर ऑप्शंस हैं, इत्यादि।

करिअर फंडा में स्वागत!

भाषा मानव संस्कृति और पहचान का एक अभिन्न अंग है। इसी से हम अपने विचारों और भावनाओं को कम्युनिकेट करते हैं। जैसा नेल्सन मंडेला के कथन से स्पष्ट है हमारी मातृभाषा हमारे दिल के सबसे करीब होती है और अक्सर हमारी सांस्कृतिक विरासत और पालन-पोषण से जुड़ी होती है। जबकि दुनिया ग्लोबलाइज हो चुकी है, और इंग्लिश कम्युनिकेशन की प्रमुख भाषा के रूप में उभरी है, हमारी मातृभाषा अभी भी हमारे करिअर और व्यवसायों को आकार देने में एक आवश्यक भूमिका निभाती है।

अनेकों भाषाएं

भारत में, जहां बहुभाषावाद जीवन का एक तरीका है, मातृभाषा का महत्व और भी अधिक स्पष्ट है। बॉलीवुड से लेकर रीजनल सिनेमा तक, साहित्य से लेकर जर्नलिज्म तक और विज्ञापन से लेकर जनसंपर्क तक, अपनी मातृभाषा का लाभ उठाने वाले व्यक्तियों ने सफलता और पहचान पाई है।

5 क्षेत्रों में सैकड़ों महारथी

यहां कुछ ऐसे लोगों के उदाहरण दिए गए हैं जिन्होंने अपनी मातृभाषा में सफल करिअर बनाया है।

1 कॉपीराइटर्स और ऐडमेकर्स (Copywriters and Admakers)

पीयूष पांडे

कॉपीराइटर विज्ञापन, ब्रोशर, वेबसाइट और अन्य मार्केटिंग सामग्री के लिए कंटेंट लिखते हैं। भारत में ऐसे कई सफल कॉपीराइटर हैं जिन्होंने अपनी मातृभाषा में लिखकर अपना नाम बनाया है।

उदाहरण के लिए, पीयूष पांडे जिन्होंने भारत में कुछ सबसे यादगार विज्ञापन कैम्पेन किए हैं जैसे फेविकोल, मिले सुर मेरा तुम्हारा, वोडाफोन, SBI लाइफ इत्यादि। वे स्वयं नहीं लिखते, लेकिन अपने कैम्पेन्स में हिंदी का उपयोग करते हैं और कई पुरस्कार जीत चुके हैं। इसके अलावा ‘ठंडा मतलब कोका कोला’, ‘क्लोरमिंट क्यों खाते हैं? दोबारा मत पूछना’ जैसे पंचलाइन लिखने वाले प्रसून जोशी हैं।

2 गीतकार (Lyricist)

तमिल गीतकार वैरामुथु
तमिल गीतकार वैरामुथु

गीतों के शब्द लिखने की जिम्मेदारी गीतकारों की होती है। भारत में, फिल्म उद्योग गीतकारों का एक प्रमुख नियोक्ता है, और कई लोगों ने अपनी मातृभाषा में लिखकर सफलता पाई है। मजरूह सुल्तानपुरी, साहिर लुधयानवी से लेकर गुलज़ार और जावेद अख्तर तक सभी ने हिंदी में लिखा अपने काम के लिए कई पुरस्कार जीते और प्रसिद्धि कमाई। क्षेत्रीय भाषा के कई सफल गीतकारों में से एक वैरामुथु हैं, जो तमिल में लिखते हैं और तमिल फिल्म उद्योग में अपने काम के लिए कई पुरस्कार जीते हैं।

3 गायक (Singer)

एस पी बालासुब्रह्मण्यम

भारत में गाने हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में ही चलते हैं। उदाहरण के लिए, लता मंगेशकर एक प्रसिद्ध गायिका रही हैं, जिन्होंने हिंदी, मराठी और बंगाली सहित कई भारतीय भाषाओं में गाने गाए। एक अन्य सफल गायक एस पी बालासुब्रह्मण्यम हैं, जिन्होंने तमिल, तेलुगु और कन्नड़ सहित कई भारतीय भाषाओं में गाया है। उन्होंने अपने काम के लिए कई पुरस्कार जीते और भारतीय सिनेमा के सबसे प्रसिद्ध गायकों में से एक थे।

4 पत्रकार (Journalist)

रवीश कुमार

जनता को समाचार और सूचना देने के लिए पत्रकार जिम्मेदार हैं। भारत में कई सफल पत्रकार हैं जिन्होंने सफलता पाने के लिए अपनी मातृभाषा का इस्तेमाल किया है। रवीश कुमार से लेकर सौरभ द्विवेदी तक सभी ने हिंदी से नाम और धन कमाया है। उन्होंने अपने काम के लिए कई पुरस्कार जीते हैं और उन्हें भारत के सबसे प्रभावशाली पत्रकारों में से एक माना जाता है।

5 लेखक (Authors)

महाश्वेता देवी

लेखक किताबें और अन्य साहित्यिक कार्यों को लिखने के लिए जिम्मेदार हैं। भारत में ऐसे कई सफल लेखक हैं जिन्होंने अपनी मातृभाषा में लिखा है। उदाहरण के लिए, महाश्वेता देवी एक प्रसिद्ध लेखिका हैं, जो बंगाली में लिखती हैं और उन्होंने अपने काम के लिए कई पुरस्कार जीते हैं। उन्हें अब तक के सबसे महान बंगाली लेखकों में से एक माना जाता है। एक अन्य सफल लेखक शिवाजी सावंत हैं, जो मराठी में लिखते हैं और अपने काम के लिए कई पुरस्कार जीत चुके हैं। उन्हें उनके उपन्यास ‘मृत्युंजय’ के लिए जाना जाता है, जिसे अब तक के सबसे महान मराठी उपन्यासों में से एक माना जाता है। आजकल चाहे देवदत्त पटनायक हों या फिर चेतन भगत सभी की किताबें हिंदी में ट्रांसलेट हो उपलब्ध हैं।

कहने का अर्थ यह कि यदि आप अपनी मातृभाषा में करिअर बनाना चाहते हैं तो कई अवसर उपलब्ध हैं।

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