बाघों की संख्या – मध्यप्रदेश में 700 हो सकती है संख्या ..!

बाघों की संख्या:गणना का बदला फाॅर्मूला, शिखर पर होगा टाइगर, देश में 2967 से बढ़कर 4 हजार; मध्यप्रदेश में 700 हो सकती है संख्या
अनुमान है कि देश में 4 हजार तो मप्र में 700 से ज्यादा बाघ निकल सकते हैं …

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को प्रोजेक्ट टाइगर की स्वर्ण जयंती पर बाघों की संख्या के ताजा आंकड़े जारी करेंगे। वे इंटरनेशनल बिग कैट्स अलायंस (आईबीसीए) का भी शुभारंभ करेंगे। आईबीसीए दुनिया की सात प्रमुख बड़ी बिल्लियों- बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर और चीता की सुरक्षा और संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करेगा।

अनुमान है कि देश में 4 हजार तो मप्र में 700 से ज्यादा बाघ निकल सकते हैं। मप्र को लगातार दूसरी बार टाइगर स्टेट का दर्जा मिलना तय है। 2018 में देश में 2967 बाघ थे। पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जेएस चौहान के मुताबिक बाघ बढ़ने की दो वजह हैं। पहली- इस बार आधुनिक सॉफ्टवेयर, कैमरों से टाइगर रिजर्व, सेंचुरी के साथ संरक्षित, असंरक्षित, राजस्व वनों में घूम रहे बाघों को गिना है। दूसरा- बाघों के अप्रत्यक्ष प्रमाणों को जोड़ा। अप्रत्यक्ष प्रमाण में बाघ की यूरिन के बाद पेड़ों में उगने वाली फंगस भी प्रमाण माना गया है।

दो बार मिल चुका है मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा

2006 में मप्र पहली बार टाइगर स्टेट बना था। तब राज्य में 300 बाघ थे। फिर शिकार बढ़े तो 2010 में तीसरे नंबर पर पहुंच गया। 2014 में दूसरे स्थान पर आया। फिर 2018 में जब सही संख्या पता लगाने के लिए मप्र राज्य वन अनुसंधान एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट से गणना कराई गई तो मप्र में 526 बाघ मिले, जो कर्नाटक से दो ज्यादा थे।

ये रहे पहले 3 नंबर वाले राज्य
राज्य 2006 2010 2014 2018
मप्र 300 257 308 526
कर्नाटक 290 300 406 524
उत्तराखंड 178 227 340 442

पहले ऐसे होती थी गणना

ट्रांजिट लाइन डालकर उस पर चलकर बाघ के प्रत्यक्ष प्रमाण जुटाए जाते थे। ट्रैप कैमरे, पगमार्क, विष्ठा जांचते थे। पेड़ों पर खरोंच के निशान, सैटेलाइट इमेज से प्रत्यक्ष प्रमाण का मिलान करते थे। जिन शावकों की उम्र 18 महीने से ऊपर होती थी, उन्हें गणना में जोड़ते थे।

इस बार ऐसे हुई

सैटेलाइट मैपिंग के साथ जियो मैंपिंग की। रिजर्व व सेंचुरी के बाहर के बाघों को भी जोड़ा। दो एप का सहारा लिया। इस बार एक साल के शावक को भी जोड़ा गया। बाघ की दहाड़, पेड़ों पर उसके बाल, रगड़ के निशान, टेरेटरी मार्क को प्रमाण माना। यूरिन स्प्रे को सूंघ कर दर्ज उसकी उपस्थिति को दर्ज किया गया। यूरिन स्प्रे से बने ब्लैक स्पॉट (फंगस) को चेक किया गया।

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