जानें निकाय चुनाव के लिए किसकी क्या तैयारी?

भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस…

आज हम आपको बताएंगे कि राज्य के चार प्रमुख राजनीतिक दलों ने चुनाव को लेकर क्या-क्या तैयारियां की हैं? पार्टियां किस रणनीति के तहत जीत दर्ज करना चाहती हैं? 

उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है। प्रथम चरण के मतदान के लिए मंगलवार से नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। नामांकन पत्र दाखिल करने का सिलसिला 17 अप्रैल तक चलता रहेगा। पहले चरण में नौ मंडलों के 37 जिलों में चार मई को मतदान होना है। 

चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में गहमा-गहमी तेज हो गई है। खासतौर पर प्रत्याशियों के नामों को लेकर राजनीतिक पार्टियों में सबसे ज्यादा उठापठक है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि राज्य के चार प्रमुख राजनीतिक दलों ने चुनाव को लेकर क्या-क्या तैयारियां की हैं? पार्टियां किस रणनीति के तहत जीत दर्ज करना चाहती हैं? आइए जानते हैं…  

UP Nagar Nikay Chunav: BJP, SP, BSP and Congress... know whose preparation for the Nagar Nikay elections?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
किस पार्टी ने क्या तैयारी की और क्या दांव पर लगा? 

भाजपा: गुटबाजी से निपटना सबसे बड़ी चुनौती 
टिकट को लेकर सबसे ज्यादा गहमागहमी सत्ताधारी भाजपा में है। टिकट बंटवारे को लेकर भाजपा नेताओं के बीच खूब जंग चल रही है। इसके चलते पार्टी में गुटबाजी भी दिख रही है। पार्टी ने इस बार किसी विधायक, सांसद और मंत्री के परिवार के सदस्यों को टिकट नहीं देने का फैसला किया है। इसके अलावा पार्टी ने पुराने और युवा कार्यकर्ताओं को मौका देने का भी फैसला लिया है। इसको लेकर सोमवार को ही सीएम योगी आदित्यनाथ के आवास पर बैठक हुई है। कहा ये भी जा रहा है कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर 11 मौजूदा मेयरों का टिकट भी कट सकता है। 

भाजपा ने सरकार के दिग्गज मंत्रियों व संगठन के तेजतर्रार नेताओं को निगम चुनाव की कमान सौंपी है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना को लखनऊ व गोरखपुर नगर निगम का प्रभारी बनाया गया है। वहीं, पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह को बरेली व वाराणसी नगर निगम का प्रभारी नियुक्त किया है। निकाय चुनाव में पार्टी ने प्रत्येक नगर निगम के साथ नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत में एक-एक चुनाव संयोजक नियुक्त किए हैं।

जीत समीकरण को कैसे साधेगी भाजपा?

  • दलित-पिछड़े वर्ग के ज्यादा से ज्यादा चेहरों को मौका दिया जाएगा।
  • युवाओं और महिलाओं को वरीयता देने की कोशिश होगी।
  • जिन नेताओं या मौजूदा पार्षद और मेयर की सही रिपोर्ट नहीं है, उन्हें टिकट नहीं मिलेगा।
  • महिलाओं को जोड़ने के लिए ‘सहभोज’ का आयोजन किया गया।
  • मुस्लिम बहुल सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार भी उतारने की तैयारी।

क्या दांव पर लगा? 
2017 में भाजपा ने नगर निगम चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया था। नगर निगम की 16 में से 14 सीटों पर भाजपा के मेयर चुने गए थे। दो सीटों पर बसपा के मेयर बने थे। हालांकि, नगर पालिका और नगर पंचायत में जरूर पार्टी को झटका लगा था। यही कारण है कि इस बार पार्टी ने नगर निगम के साथ-साथ नगर पालिका और नगर पंचायत चुनाव जीतने के लिए भी कमर कस ली है। इस बार नगर निगम में 16 की बजाय 17 सीटें हैं। इस बार शाहजहांपुर को भी नगर निगम का दर्जा मिल गया है। पार्टी की कोशिश है कि सभी 17 सीटों पर भाजपा के ही मेयर चुने जाएं।

UP Nagar Nikay Chunav: BJP, SP, BSP and Congress... know whose preparation for the Nagar Nikay elections?
अखिलेश यादव –
समाजवादी पार्टी: स्थिति बेहतर करने की चुनौती
2017 में नगर निगम चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने सबसे खराब प्रदर्शन किया था। सपा को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। हालांकि, नगर पालिका और नगर पंचायत में जरूर सपा के समर्थित उम्मीदवारों ने सफलता हासिल की थी। प्रदर्शन सुधारने के लिए पार्टी ने नगर निकाय चुनाव की तैयारी विधानसभा चुनाव के बाद से ही शुरू कर दी थी।

जीत के लिए क्या रणनीति? 

  • पिछड़े और दलित जातियों को एक साथ लाकर जातिगत समीकरण साधने की कोशिश। इसके लिए स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेताओं को आगे किया गया है। दलितों को साधने के लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने हाल ही में बसपा के संस्थापक कांशीराम की मूर्ति का अनावरण किया। इसके अलावा वह 14 अप्रैल को डॉ. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के जन्म स्थान महू का दौरा भी करने वाले हैं। इसके अलावा कानपुर में आयोजित खटीक सम्मेलन में भी अखिलेश शामिल हो चुके हैं।  
  • युवाओं और महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा टिकट देने की तैयारी है। 
  • मुस्लिम-यादव और दलित गठजोड़ बनाने की कोशिश हो रही है। इसके लिए मुस्लिम नेताओं के साथ-साथ भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर को साथ लाने की तैयारी हो रही है। 
  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद के साथ मैदान में उतरने की भी योजना है। 

क्या दांव पर लगा है? 
पिछली बार नगर पालिका और नगर पंचायत में जरूर सपा के कुछ प्रत्याशी चुनाव जीत गए थे, लेकिन नगर निगम से बिल्कुल ही साफ हो गए थे। अगले साल फिर से लोकसभा चुनाव होना है। ऐसे में पार्टी किसी भी स्थिति में अपने प्रदर्शन को बेहतर करने की कोशिश कर रही है। अगर नगर निकाय चुनावों में पार्टी को उम्मीद के अनुसार परिणाम देखने को नहीं मिला तो कार्यकर्ताओं में निराशा बढ़ जाएगी। इससे पार्टी को लोकसभा चुनाव के दौरान भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

UP Nagar Nikay Chunav: BJP, SP, BSP and Congress... know whose preparation for the Nagar Nikay elections?
मायावती और आकाश आनंद
बसपा: पुरानी सीटों को बचाए रखने के साथ-साथ नई पर जीत हासिल करने की चुनौती
2017 में हुए नगर निगम चुनाव में बसपा ने दो सीटों पर जीत हासिल की थी। अब पार्टी के सामने उन दोनों सीटों को बचाए रखने के साथ-साथ नई सीटों पर जीत हासिल करने की बड़ी चुनौती है। 2012 विधानसभा चुनाव के बाद से बसपा की स्थिति खराब होती जा रही है। कोर वोटर्स भी पार्टी का साथ छोड़कर भाजपा की ओर शिफ्ट हुआ है।

जीत के लिए क्या प्लानिंग? 

  • मुस्लिम-दलित गठजोड़ पर फिर से फोकस। कई मुस्लिम चेहरों को मैदान में उतारने की तैयारी।
  • कोर वोटर्स को वापस हासिल करने के लिए नेताओं को जमीन स्तर पर उतरने के लिए कहा।
  • युवा नेताओं को टिकट बंटवारे में तरजीह देने की योजना।
कांग्रेस, सुहेलदेव, अपना दल और निषाद पार्टी भी मैदान में उतरने को तैयार
नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस अकेले दम पर चुनावी मैदान में उतरने को तैयार है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी ने कहा कि नगर निकाय चुनाव कांग्रेस पूरी मजबूती के साथ लड़ेगी और प्रदेश में पार्टी को अप्रत्याशित सफलता मिलने की उम्मीद है।

उन्होने कहा कि प्रदेश भर में जहां वरिष्ठ और अनुभवी कांग्रेसजनों और युवाओं के तालमेल से क्षेत्रों में पार्टी की उपलब्धियों को आम जन तक पहुंचाया जा रहा है और जनहित के मुद्दों पर विगत कई वर्षों से केवल कांग्रेस पार्टी लड़ रही है। इसके आधार पर इस चुनाव में आम जनता का पूरा समर्थन पार्टी को मिलेगा।

वहीं, भाजपा के सहयोगी दलों में शुमार अपना दल और निषाद पार्टी ने भी चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। बताया जाता है कि दोनों पार्टियां टिकट बंटवारे को लेकर भाजपा के संपर्क में हैं। भाजपा के एक प्रदेश स्तरीय नेता का कहना है कि नगर निगम में पिछली बार 16 में से 14 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। ऐसे में नगर निगम की सभी सीटों पर पार्टी अकेले चुनाव लड़ सकती है। हालांकि, नगर पालिका और नगर पंचायत की कुछ सीटों पर जरूर सहयोगी दलों के प्रत्याशियों को मौका दिया जा सकता है।

वहीं, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने भी अकेले दम पर नगर निकाय चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि जहां-जहां उनकी पार्टी मजबूत है वहां वो अकेले दम पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे।

अब जानिए चुनाव का पूरा कार्यक्रम
यूपी में नगर निकाय चुनाव दो चरणों में होना है। पहले चरण में नौ मंडलों के 37 जिलों में चार मई को मतदान होगा, जबकि बाकी नौ मंडलों के 38 जिलों में दूसरे चरण में 11 मई को मतदान होगा। इसके बाद सभी 75 जिलों में 13 मई को मतगणना होगी।

राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, इस बार 17 नगर निगम, 199 नगर पालिका और 544 नगर पंचायतों में 14684 सीटों पर मतदान होगा। इसमें चार करोड़ से ज्यादा मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 2.29 करोड़ पुरुष और 2.02 करोड़ महिला वोटर्स हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *