एक IAS पर 26 केस, 25 में आरोप सही..! मप्र में लोकायुक्त-ईओडब्ल्यू में IAS, IPS, IFS पर भ्रष्टाचार के 40 केस

एक IAS पर 26 केस, 25 में आरोप सही…:सरकार ने केस नहीं चलाने दिया; ‘सुरक्षित’ रिटायरमेंट दे दिया …
​​​​​​​मप्र में लोकायुक्त-ईओडब्ल्यू में IAS, IPS, IFS पर भ्रष्टाचार के 40 केस, 29 में अभियोजन स्वीकृति नहीं …

जो सिस्टम भ्रष्टों को जेल पहुंचाने के लिए बना है, वही बड़े साहबों का सुरक्षा कवच भी है। मप्र में आईएएस अफसरों के खिलाफ 31, आईपीएस के खिलाफ 3 और आईएफएस पर 2 मामले लोकायुक्त पुलिस में दर्ज हैं। एक आईएएस पर तो 26 केस 10-12 साल से दर्ज हैं, लेकिन 25 में अभियोजन की स्वीकृति तक नहीं दी गई। हैरानी की बात है कि ये अफसर अब रिटायर हो चुके हैं।

ऐसे ही पांच आईएएस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, उनकी जांच जारी है। इनमें से तीन रिटायर हो चुके हैं, जबकि एक प्रमुख सचिव हैं तो एक अन्य की मौत हो चुकी है। ईओडब्ल्यू में भी चार आईएएस के खिलाफ केस चलाने की स्वीकृति मांगी गई है। यहीं 15 साल पुराने मामले अटके पड़े हैं। मप्र में बड़े साहबों के मामले सालों अटके रहते हैं, जबकि राजस्थान में सिस्टम इससे ठीक उलट है। वहां ऐसे केस की जांच और कार्रवाई एसीबी करती है। वहां कई आईएएस-आईपीएस ट्रैप हो चुके हैं और जेल जा चुके हैं। इस पर सामान्य प्रशासन विभाग की प्रमुख सचिव दीप्ति गौड़ मुखर्जी का कहना है कि केंद्र की मंजूरी पर ही अभियोजन की स्वीकृति देते हैं। दिल्ली में अभी दो अभियोजन पेंडिंग हैं।

ये आईएएस रिटायर हो गए, अभियोजन स्वीकृति नहीं मिली

आईएएस अंजू सिंह बघेल और योगेंद्र शर्मा पर ईओडब्ल्यू में केस दर्ज हैं और इसका इन्वेस्टिगेशन पूरा होने पर अभियोजन स्वीकृति के लिए भेजा जा चुका है। दोनों रिटायर हो चुके है और आरोप करीब 9 से 12 साल पुराने हैं।

मप्र में 22 साल से कोई IAS ट्रैप नहीं हुआ, राजस्थान में एसीबी कई भ्रष्ट अफसरों को रंगे हाथ पकड़कर जेल भेज चुकी है

शिवशेखर शुक्ला, आईएएस, आरोप- दो हवाई पट्‌टी पर खड़े होने वाले अन्य विमानों से किराया वसूल नहीं किया।

केस 1- 5 पूर्व कलेक्टर भ्रष्टाचार में घिरे, 4 साल से इन्वेस्टिगेशन जारी, मामला अटका

मप्र कैडर के 5 आईएएस शिवशेखर शुक्ला (संस्कृति-पर्यटन विभाग में पीएस), अजातशत्रु श्रीवास्तव, बीएम शर्मा और कवींद्र कियावत सहित 16 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 व आईपीसी की धारा 120 बी के तहत 22 जुलाई 2015 को प्राथमिक जांच (पीई) और 2019 में एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोप है कि इन्होंने 2006 से 2013 के बीच यश एयरवेज और दताना-मताना हवाई पट्टी पर खड़े होने वाले अन्य विमानों से किराया वसूल नहीं किया।

क्या बोले- शुक्ला ने कहा कि मुझे कमेंट नहीं करना। रिटायर्ड अजातशत्रु ने नो कमेंट कहा। नर्मदा वैली में कॉन्ट्रैक्ट पर वे मेंबर हैं। रिटायर्ड कियावत से संपर्क नहीं हो पाया।

रमेश थेटे, आरोप- पद का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार।

केस 2- भ्रष्टाचार के 26 केस के बावजूद चालान नहीं

पूर्व आईएएस रमेश थेटे पर भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के 26 केस लोकायुक्त में दर्ज हैं। 25 में जांच पूरी, लेकिन अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिलने से चालान अटके हैं। 2020 में रिटायर भी हो गए। वे बड़वानी में एसडीएम, खरगोन में अपर कलेक्टर, जबलपुर निगम कमिश्नर, संचालक रोजगार एवं प्रशिक्षण जबलपुर रहे।

क्या बोले- थेटे बोले, लोकायुक्त पुलिस कुछ भी कर सकती हैै। मैंने शासन को जवाब दिया था। केस झूठे हैं। इसलिए अभियोजन स्वीकृति नहीं मिली।

पवन जैन, आरोप- समय से पहले बंधक प्लॉट मुक्त करा दिए।

केस 3- एक साल पहले अभियोजन स्वीकृति मांगी, नहीं मिली

2015 में इंदौर में तत्कालीन एसडीओ (राजस्व) पवन जैन के खिलाफ ईओडब्ल्यू में पद के दुरुपयोग की शिकायत हुई थी। उन पर कॉलोनी के आंतरिक विकास कार्य पूरे होने से डेढ़ साल पहले ही बंधक प्लॉट मुक्त करने से सरकार को 1 करोड़ की राजस्व हानि पहुंचाने के आरोप हैं। 2022 में अभियोजन के लिए स्वीकृति मांगी गई। अभी वे सागर में एडीशनल कमिश्नर है।

क्या बोले- उन्होंने संपर्क करने पर सागर में तैनात होने की बात कही और केस को लेकर पूछते ही फोन काट दिया।

तरुण भटनागर, आरोप- आवासीय भूमि पर शराब फैक्ट्री की इजाजत दी।

केस 4- आरोप के वक्त साडा में सीईओ थे, अब उप सचिव हैं

आईएएस तरुण भटनागर पर आरोप है कि ग्वालियर विशेष क्षेत्र प्राधिकरण के सीईओ रहते उन्होंने आवासीय और सार्वजनिक जमीन पर शराब फैक्टरी के विस्तार की अनुमति दे दी, जिससे सरकार को 1 करोड़ का नुकसान हुआ। 2020 में की गई शिकायत की विशेष पुलिस ग्वालियर ने जांच की। अभी वे मंत्रालय में उप सचिव है।

क्या बोले- हाईकोर्ट के निर्देश के बाद लोकायुक्त ने अंतिम निस्तारण कर राज्य शासन को सूचित कर दिया है।

पड़ोसी राज्य में ऐसे निपटते हैं केस…

राजस्थान में भ्रष्ट अफसरों की प्रॉपर्टी जब्त करने का कानून भी

ACB के रिटायर डीजी ओमेंद्र भारद्वाज का कहना है कि राजस्थान में भ्रष्टाचार में घिरे अफसरों पर कार्रवाई को लेकर एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) है। एसीबी स्वतंत्र है, लेकिन सरकार के अधीन है। एसीबी ने कई आईएएस, आईपीएस, आरएएस को पकड़ा, जेल भी भेजा। राजस्थान में 2012 से ऐसे केस में प्रॉपर्टी जब्त करने का कानून भी है।

कैसे बचाता है सिस्टम

जब किसी बड़े आईएएस पर भ्रष्टाचार का केस दर्ज होने के बाद अभियोजन की स्वीकृति मांगी जाती है तो राज्य इसे केंद्र को भेजता है। वहां से मंजूरी पर ही स्वीकृति मिलती है। ज्यादातर केस में शासन केंद्र को भेजने में देरी करता है। इसलिए वे अटकते हैं।

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