सिंधिया के गढ़ में नई-पुरानी भाजपा …!

सिंधिया के गढ़ में नई-पुरानी भाजपा में कई दावेदार…टिकट के लिए भागवत कथा और सुंदरकांड; कतार में पूर्व IPS की पत्नी-बेटे भी
2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में भाजपा को केवल 6 सीटें मिली। सिंधिया के भाजपा में आने के बाद यहां की तस्वीर बदली है। इस पड़ताल में हम बताएंगे कि इस साल होने वाले चुनाव के लिए कहां-कौन दावेदारी कर रहा है।

ग्वालियर-चंबल अंचल के 7 जिलों की 31 सीटों की मौजूदा तस्वीर समझने से पहले जानते हैं 2018 का रिजल्ट…

कांग्रेस ने 24 सीटों पर जीत हासिल की। इसी से पार्टी की सत्ता में वापसी का दरवाजा खुला। भाजपा को सिर्फ 6 सीटें मिली। एक सीट बसपा के खाते में गई। इस इलाके में कांग्रेस की कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संभाल रखी थी। सरकार बनी तो कमलनाथ सीएम बन गए। 15 महीने की रस्साकशी के बाद सिंधिया की बगावत के कारण कांग्रेस सरकार गिर गई। इसी के साथ यहां की राजनीतिक तस्वीर भी बदल गई। यहां कांग्रेस से जीते 15 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। भाजपा ने सभी को उपचुनाव में टिकट दिया। परिणाम आया तो इसमें से 8 फिर से जीत गए। जो हार गए, उनको निगम-मंडलों में पद देकर एडजस्ट कर दिया गया।

भाजपा के लिए इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट बांटना सबसे बड़ी चुनौती होगी। चूंकि दावेदार ज्यादा हो गए हैं, इसलिए सिंधिया समर्थक और बीजेपी के पुराने लोगों में टिकट को लेकर टसल शुरू हो गई है। ऐसे में भाजपा को भितरघात की चिंता सता रही है। चुनाव से पहले बीजेपी यहां के सभी समीकरण को दुरुस्त कर लेना चाहती है। वहीं, कांग्रेस सिंधिया के बगावत के बाद एकजुट नजर आ रही है। उसके संभावित प्रत्याशी क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं।

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