ग्वालियर : नर्सिंग घोटाला ..?

CBI ने 24 कॉलेजों की रिपोर्ट दी, इनमें 80% में गड़बड़ी; सरकारी नियम कई नर्सिंग कॉलेज नहीं मान रहे …

हाई कोर्ट ने जांच एजेंसी से पूछा- 385 कॉलेजों की लिस्ट में ये 24 हैं या नहीं …

नर्सिंग परीक्षा पर लगी रोक का मामला उलझता ही जा रहा है। बुधवार को हुई सुनवाई में मप्र के एडवोकेट जनरल सीनियर एडवोकेट प्रशांत सिंह ने 385 कॉलेजों की सूची प्रदान की, जिन्हें मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने सत्र 2020-21 के लिए 2022-23 में संबद्धता प्रदान की है। वहीं, कोर्ट के आदेश पर उपस्थित हुए सीबीआई अधिकारी ने बताया कि अभी तक कुल 24 नर्सिंग कॉलेजों की जांच की गई है।

इसमें से 80% कॉलेज ऐसे हैं, जो मापदंडों को पूरा नहीं कर रहे। कोर्ट ने इस पर अचरज जताया और सीबीआई से कहा – अब ये बताएं कि जिन 24 कॉलेजाें की आपने जांच की है, उनके नाम 385 कॉलेजाें की सूची में हैं या नहीं ? मामले की अगली सुनवाई 28 को होगी। यहां बता दें कि एडवोकेट दिलीप शर्मा ने जनहित याचिका दायर करते हुए मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी के दो नोटिफिकेशन को चुनौती दी है, जिनमें भूतलक्षी प्रभाव (बैकडेट) से प्रदेश के 100 काॅलेज को संबद्धता प्रदान की गई। 27 फरवरी को हाई कोर्ट ने परीक्षा पर अंतरिम रोक लगाई थी, जो अभी भी बरकरार है।

24 में से 9 कॉलेज ग्वालियर तो 15 भोपाल के

28 सितंबर 2022 को विभिन्न निजी नर्सिंग कॉलेजों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है। इसी के पालन में सीबीआई अब तक 24 कॉलेजों की जांच कर चुकी है और इसके संबंध में बुधवार को रिपोर्ट पेश की। 24 में से 9 कॉलेज ग्वालियर तो 15 भोपाल के हैं। केवल चार कॉलेज मापदंड के अनुसार संचालित होते मिले। सीबीआई की ओर से बताया कि जांच के लिए कुल पांच टीम बनाई गई हैं। इसकी मॉनिटरिंग का जिम्मा वरिष्ठ अधिकारी को दिया गया है।

संभावना- वास्तविक नर्सिंग कॉलेजों के छात्रों को मिल सकती है परीक्षा में भाग लेने की अनुमति

बुधवार को हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने एमपीएनआरसी की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक खेड़कर को ये बताने के लिए कहा कि मप्र में कितने सरकारी नर्सिंग कॉलेज हैं? उनमें कौन-कौन से कोर्स संचालित होते हैं और कुल सीटों की संख्या कितनी है? वहीं, सीबीआई को ये बताने के लिए कहा है कि मप्र के किस जिले में कितने नर्सिंग कॉलेज हैं? सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हम केवल ये चाहते हैं कि वास्तविक छात्र ही परीक्षा में भाग लें। जिस तर्ज पर हाई कोर्ट ने एमपीएनआरसी और सीबीआई से जानकारी मांगी है, उससे ऐसा लगता है कि नियमों का पालन करते हुए जिन कॉलेजों का संचालन किया जा रहा है। उन कॉलेजों के छात्रों को परीक्षा में भाग लेने की अनुमति मिल सकती है।

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