इंदौर:अब नहीं बची पहले जैसी सफाई ?

यह कैसा स्वच्छता में नंबर-1 इंदौर:अब नहीं बची पहले जैसी सफाई, जहां से निकलो वहां पर कचरा ही कचरा

सड़कों पर पहले जैसे कचरा ही कचरा, डस्टबीन भी हुए गायब

इंदौर को स्वच्छता में नंबर-1 का 7वीं बार अवॉर्ड मिला है। लेकिन शहर की जमीनी हकीकत अब कुछ अलग है। इंदौर नगर निगम की लाख कोशिशों के बावजूद न तो शहर की सड़कों के किनारे से कचरा हट रहा है और ना ही समय पर सड़क किनारे रखे डस्टबीन खाली हो रहे हैं।

शहर में जगह-जगह निगम द्वारा लगाए गए डस्टबीन भी कई-कई दिनों कूड़े से फुल पड़े रहते हैं। वहीं निगम ने जहां पर तीन-तीन डस्टबीन रखवाए थे वहां पर अब एक या दो ही डस्टबीन नजर आते हैं, वह भी टूटे-फूटे और कचरे से भरे हुए।

शहर में जगह-जगह रखे गए डस्टबीन के हालात अब ऐसे नजर आते हैं।
शहर में जगह-जगह रखे गए डस्टबीन के हालात अब ऐसे नजर आते हैं।

दो-तीन दिन तक नहीं उठ रहा कचरा

इंदौर के पहली बार स्वच्छता में नंबर-1 आने के बाद से ही कचरे के ढेर तो दूर की बात सड़क पर इधर-उधर कहीं भी कचरा नजर नहीं आता था। लेकिन अब इंदौर में फिर से जगह-जगह कचरे के ढेर नजर आने लगे हैं। नंदलाल पुरा रोड पर पिछले तीन दिन से कचरे का ढेर पड़ा हुआ है।

रहवासियों से जब भास्कर रिपोर्टर ने बात की तो उनका कहना था की निगम बैक लाइन की सफाई करा रहा है। लेकिन तीन दिन से यह कचरे का ढेर उठा नहीं है। कई बार निगम कर्मियों को कचरा उठाने के लिए बोल चुके हैं। नंदलालपूरा रोड़ जैसा ही हाल कलेक्ट्रेट कार्यालय के आगे वाली जेएमबी गली का था। यहां पर भी सड़क किनारे कचरे का ढेर लगा हुआ था।

कलेक्ट्रेट के पहले JMB शॉप की गली मे कचरे का ढेर।
कलेक्ट्रेट के पहले JMB शॉप की गली मे कचरे का ढेर।

सरकारी कार्यालयों में अब नजर नहीं आती सफाई

एमटीएच स्थित यातायात पुलिस कार्यालय के बाहर सड़क के दोनों तरफ कचरा पड़ा था। यहां पर पास में ही एमटीएच हॉस्पिटल भी है। पुलिस कार्यालय और हॉस्पिटल के बाहर सड़क पर यहां-वहां कचरा पड़ा रहता है।

हॉस्पिटल के गार्डों का कहना है कि चार से पांच दिन में एक दिन निगम के कर्मचारी झाड़ू लगाने आते हैं। वहीं पुलिस कार्यालय के बाहर जब्ती की रखी हुई गाडियों के बीच में कचरा ही कचरा पड़ा रहता है। यही हाल पलासिया चौराहा स्थित पुलिस कार्यालय का भी है।

यहां पर कचरा कार्यालय के अंदर ही पड़ा रहता है। जिसकी कोई सुध लेने वाला नहीं है। वहीं रेलवे स्टेशन के बाहर के भी यहीं हाल है। स्टेशन के बाहर ड्रेनेज का पानी और गंदगी पड़ी रहती है।

नंदलाल पुरा रोड पर कचरे का ढेर।
नंदलाल पुरा रोड पर कचरे का ढेर।

सड़के-डिवाइडर अब नहीं होते साफ, नहीं काम आया नो थूथू अभियान

इंदौर शहर में सड़कों के बीच डिवाइडर की सफाई होना जैसे बंद ही हो गई है। पहले रोजाना निगम डिवाइडर को धोने का काम करता था। लेकिन अब यह गंदे ही पड़े रहते हैं। इंदौर के अधिकांश डिवाइडर पर अब लोगों के थूकने के निशान ही दिखाई देते हैं।

वहीं अधिकतर डिवाइडर का रंग उड़ चुका है। विजय नगर से लेकर पलासिया तक और पलासिया से लेकर रीगल चौराहे तक सड़क के दोनों तरफ बीच में डिवाइडर पर लोगों के थूकने के निशान साफ नजर आ जाएंगे। जबकि बीच में महापौर ने शहर में नो थू थू अभियान भी चलाया था जो की अब सफल होता नजर नहीं आ रहा है।

सड़कों पर पड़ी रहती है धूल, एक्यूआई 100 के पार

पहली बार स्वच्छता में नंबर 1 आने के लिए इंदौर की सीमेंटेड सड़कों से सिर्फ तीन महीनों में 400 डंपर यानी 4800 टन धूल उठाई गई थी। इन सड़कों के बाद में नियमित रूप से सफाई होती थी। लेकिन अब यह सफाई होना बंद हो गई है।

सड़कों पर धुल ही धुल रहती है। जिससे शहर का एक्यूआई भी लगातार बढ़ता जा रहा है। 1 जनवरी से लेकर अभी तक शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 100 से नीचे नहीं आया है। वहीं बीच में 5 से 6 दिन यह इंडेक्स 250 के पार भी गया है।

वहीं धुल की यह समस्या बाइपास पर भी है। बाइपास पर देवगुराड़िया से लेकर बिचौली मर्दाना तक रेत के डंपर सड़क के दोनों तरफ अवैध रूप से खड़े रहते है। जिनसे सड़क पर रेत और धुल तो गिरती है साथ ही जाम भी लगा रहता है।

स्ट्रीट फूड शॉप के बाहर नहीं हो रही साफ-सफाई, लोग सड़कों पर फेंक रहे कचरा

इंदौर में अलग-अलग जगह बने स्ट्रीट फूड शॉप पर भी अब गंदगी दोबारा नजर आने लगी है। यहां से कचरा डालने के डस्टबीन भी गायब हो चुके हैं। स्कीम नंबर 140 अग्रवाल पब्लिक स्कूल के सामने बने नए मार्केट के सामने खानों के शौकिन की भीड़ लगी रहती है।

लेकिन यहां पर लोग खाने-पीने के बाद कचरा सड़क पर फेंक कर चले जाते है। वहीं निगम कर्मी भी अब यहां पर कचरा उठाने और साफ सफाई करने नहीं आते है। इसी तरह का हाल मेघदूत के सामने व भोलाराम उस्ताद मार्ग और रीजनल पार्क के यहां की दुकानों के बाहर भी रहता है।

पहली बार इंदौर ऐसे बना था नंबर 1, अब यह कुछ भी सड़कों पर नजर नहीं आता है…

इंदौर के स्वच्छता में नंबर 1 आने वाले अभियान की शुरुआत 2017 के दो साल पहले ही हो गई थी। पुराने सिस्टम, निगम की छवि सुधारने और जनता को साथ लेने जैसी कई चुनौतियां थीं। शहर में पहले रोज 600-700 टन कचरा उठता था।

200 टन फिर भी सड़कों और कचरा पेटियों में रह जाता था। नंबर 1 आने के लिए एक साथ सीएसआई, दरोगा सहित 600 से ज्यादा कर्मचारी हटाए तो 1500 अधिकारी-कर्मचारियों की नई टीम भी खड़ी की गई थी। फूड इंस्पेक्टर तक को सफाई की मॉनिटरिंग में लगाया गया था।

फिर घर-घर से कचरा उठाना शुरू हुआ। लोगों को जागरूक करने के लिए जनप्रतिनिधि, 400 एनजीओ कार्यकर्ता और सामाजिक संगठनों की मदद ली गई थी। होर्डिंग, रैली, स्लोगन, पोस्टर और सिनेमा हॉल के साथ सोशल मीडिया का भी सहारा लिया गया गया था।

बाजारों में तीन समय सफाई, रात में सड़कों की धुलाई

रात में प्रमुख सड़कों के लिए अलग से मशीनों से सफाई का सिस्टम शुरू किया गया था। होलकर काल में शहर की सड़कें धुलती थीं। निगम ने सालों बाद इस काम को फिर शुरू किया था। महंगी महंगी मशीनें खरीदी गई थी।

खुले में शौच से मुक्त और पशुपालकों पर कार्रवाई

खुले में शौच की बड़ी समस्या बस्तियों, रेलवे पटरी और बाहरी इलाकों में थी। यह खत्म करने के लिए पांच हजार से ज्यादा शौचालय बनवाए और पशुपालकों पर कार्रवाई की गई। मॉनिटरिंग के लिए वाहनों पर जीपीएस लगाए और दरोगा तक को वायरलेस सेट दिया गया था। 24 घंटे शिफ्ट के हिसाब से अधिकारी तय किए गए थे, ताकि किसी भी समय काम करवाया जा सके।

कचरा पेटियां हटवाई, डोर टू डोर कचरा उठवाया गया

इंदौर को नंबर 1 बनाने के लिए सबसे पहले कचरा पेटी उठवाई गई। कचरा पेटी के अलावा 300 से ज्यादा कचरा पाइंट थे। गंदगी इनके कारण ही नजर आती थी। इन्हें हटवाने के साथ ही डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन शुरू किया।

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