हम हमेशा ही सबकुछ नियमों और पैसे के लिए नहीं करते
आपके दिमाग का बायां हिस्सा- जो कि तार्किक है- कहेगा कि सैलेरी मिलने में अभी तीन दिन बाकी हैं, ऐसे में यह बेकार का खर्च होगा। वहीं दाहिना हिस्सा- जो कि भावनात्मक है- बच्चे की इस मांग को उचित ठहराते हुए कहेगा कि क्यों नहीं, आखिर यह पूरे परिवार के लिए एक रीक्रिएशनल एक्टिविटी है। तब किस विचार को अंतिम रूप से स्वीकारा जाएगा?
अगर आप अनुशासनप्रिय पिता हैं, जो छोटी से छोटी खुशियों के लिए भी क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल नहीं करना चाहते, तो बहुत सम्भव है आप दिमाग के बाएं हिस्से का सुझाव मानें और कहें कि इसकी जरूरत नहीं है, इसे बाद में भी किया जा सकता है। क्योंकि परिवार के प्रमुख के रूप में आपका अहंकार आपको अपने बच्चे से यह कहने की इजाजत नहीं देगा कि बेटा, पापा के पास अभी पैसे नहीं हैं, तुम बस तीन दिन रुक जाओ।
मैं प्रॉमिस करता हूं कि सैलेरी मिलते ही तुम्हें अगले वीकएंड में आइस्क्रीम खिलाऊंगा। लेकिन अगर आपका बेटा कहे कि पूरे परिवार द्वारा साथ मिलकर आइस्क्रीम खाना एक रीक्रिएशन एक्टिविटी है, जो आपसी बॉन्डिंग के लिए जरूरी है तो आपका दिमाग ओवरटाइम करने लगेगा और अपने निर्णय को यह कहकर उचित ठहराने की कोशिश करने लगेगा कि जब कोई चीज मुफ्त नहीं आती तो वह रीक्रिएशन कैसे हो सकती है?
तब आपका स्कूल जाने वाला इंटेलीजेंट बच्चा डिक्शनरी ले आएगा और आपको रीक्रिएशन शब्द का मतलब बताएगा कि हर वो चीज जो फुरसत के समय की जाती है और जिससे खुशी मिलती है, रीक्रिएशन कहलाती है। तब आप बच्चे की पीठ थपथपाते हैं और जिद छोड़ सकते हैं, क्योंकि बच्चा बिना कोई बखेड़ा खड़ा किए तर्क कर रहा है। आखिरकार बेटे के दिमाग के दाहिने हिस्से के तर्कों के सामने पिता के दिमाग का बायां हिस्सा हार मान लेता है।
मुझे अपने पिता के साथ बचपन में हुई ऐसी ही एक डिबेट इस बुधवार को याद हो आई, जब बॉम्बे हाईकोर्ट ने वेब्स्टर और ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी को उद्धृत करते हुए रीक्रिएशन शब्द का मतलब समझाया। वैसा उसने बीएमसी बनाम आर-सिटी मॉल के मामले में फैसला सुनाते हुए किया।
मॉल अपने अहाते में 28 से 30 अप्रैल तक आइस्क्रीम फेस्टिवल आयोजित करना चाहता था। जबकि बीएमसी ने डेवलपमेंट कंट्रोल एंड प्रमोशन रेगुलेशंस फॉर ग्रेटर मुम्बई, 2034 या डीसीपीआर 2034 के नियम 27 का हवाला देते हुए इस अल्पकालीन फेस्टिवल के लिए एनओसी देने की अपील को खारिज कर दिया।
मामले की सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने कहा कि चूंकि डीसीपीआर 2034 के तहत रीक्रिएशनल एक्टिविटीज़ की कोई परिभाषा नहीं दी गई है, इसलिए इसका एक साधारण अर्थ करना होगा। तब जजों ने शब्दकोशों की मदद लेते हुए कहा कि रीक्रिएशनल एक्टिविटीज़ वो होती हैं, जो खाली समय में खुशी या मनोरंजन के लिए की जाती हैं।
नियम इसलिए बनाए जाते हैं ताकि कानून के दायरे में रहकर की जाने वाली गतिविधियों की रक्षा की जा सके, इसलिए नहीं कि नागरिकों को खुशियों से वंचित कर दिया जाए। हर शहर के प्रशासन को नियमों का हवाला देने से पहले लोगों की खुशी को ज्यादा महत्व देना चाहिए।